सालों के गतिरोध के बावजूद दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला के भारत आने का रास्ता साफ हो गया है।
न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मस्क ने कहा कि वह 2024 में भारत आ सकते हैं, और “जल्द से जल्द टेस्ला भारत में होगी”।
टेस्ला के भारत आ जाने से भारतीय ईवी उद्योग में भी बड़ा बदलाव आने की संभावना है। भारतीय ईवी उद्योग में अभी भी दोपहिया और तिपहिया वाहनों का वर्चस्व है। इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी बहुत कम है। टेस्ला के भारत आने से देश के इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट को काफी बढ़ावा मिल सकता है।
चूंकि टेस्ला का इरादा भारत में एक स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला बनाने का है, इसलिए अन्य सुधारों के साथ-साथ, देश के घरेलू बैटरी निर्माण और प्रौद्योगिकी को भी बढ़ावा मिल सकता है।
चीन ने इलेक्ट्रिक कारों पर टैक्स में दी अबतक की सबसे बड़ी छूट
चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और अन्य हरित कारों के लिए आगामी चार वर्षों में 520 बिलियन युआन (लगभग 592 करोड़ रुपए) की टैक्स छूट का ऐलान किया है। यह ईवी उद्योग को दी गई अब तक की सबसे बड़ी टैक्स छूट है क्योंकि चीन कम होती बिक्री को बढ़ावा देना चाहता है।
दुनिया के सबसे बड़े ऑटो बाजार में कमजोर होती बिक्री ने चीन के आर्थिक विकास को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। हालांकि सरकार के आश्वासन के बाद ईवी उद्योग को वित्तीय सहायता की उम्मीद थी, फिर भी इस घोषणा के बाद देश के प्रमुख वाहन निर्माताओं के शेयरों में उछाल देखा गया।
चीन के वित्त मंत्रालय ने कहा कि 2024 और 2025 में खरीदे गए न्यू एनर्जी व्हीकल्स (एनईवी) को खरीद कर में प्रति वाहन 30,000 युआन (लगभग 3.5 लाख रुपए) तक की छूट दी जाएगी। वहीं 2026 और 2027 में खरीदे गए एनईवी पर खरीद कर में 15,000 युआन (लगभग 1.75 लाख रुपए) तक की छूट दी जाएगी।
चीन ने पहले भी एक दशक से अधिक समय तक ईवी की खरीद पर सब्सिडी दी थी, लेकिन यह स्कीम पिछले साल समाप्त हो गई।
ईवी के साथ भारत में हाइब्रिड कारों की बिक्री भी बढ़ी
इलेक्ट्रिक वाहन की बढ़ती हुई बिक्री के बीच देखा जा रहा है कि लोगों में स्ट्रांग हाइब्रिड कारों की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। स्ट्रांग हाइब्रिड कारें पेट्रोल या डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा संचालित होती हैं।
आंकड़ों के अनुसार ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने अक्टूबर 2022 से मई 2023 के बीच घरेलू बाजार में 48,424 यूनिट स्ट्रांग हाइब्रिड कारें बेचीं, जो इसी अवधि के दौरान बेची गई 48,991 इलेक्ट्रिक कारों की तुलना में केवल 600 यूनिट कम हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्ट्रांग हाइब्रिड कारों की मांग में वृद्धि जारी रहेगी, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में इनकी कुल लागत कम है, रेंज अधिक है और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी का कोई प्रभाव इनपर नहीं पड़ता।
उनका मानना है कि हाइब्रिड कारें न केवल ईवी की और ट्रांजिशन में सहायक होंगी बल्कि इनसे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने में भी मदद मिलेगी।
ओला ने भारत की सबसे बड़ी गीगाफैक्ट्री का निर्माण शुरू किया
ओला इलेक्ट्रिक ने भारत में अपनी गीगाफैक्ट्री का निर्माण शुरू कर दिया है। यह भारत में कंपनी की दूसरी फैसिलिटी होगी। इस आगामी फैक्ट्री को भारत में सबसे बड़ी ईवी सेल फैक्ट्री माना जा रहा है और उम्मीद है कि आगे चलकर यहां नए उत्पादों का भी निर्माण होगा।
यह गीगाफैक्ट्री ओला इलेक्ट्रिक के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कंपनी ईवी निर्माण के सभी आयामों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है।
दोपहिया वाहनों के अलावा, यह पहले से ही चार पहिया वाहनों पर काम कर रही है, अब बैटरी का निर्माण इसके लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा। साथ ही, बैटरी सेल के घरेलू उत्पादन से सप्लाई चेन में आने वाली बाधाओं को रोकने और ईवी की लागत कम करने में भी मदद मिलेगी।
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