climate finance

बाकू सम्मेलन के बाद विकासशील देशों ने खटखटाया अंतर्राष्ट्रीय अदालत का दरवाज़ा

बाकू में कॉप-29 सम्मेलन में विकसित देशों को उनकी जलवायु संबंधी जिम्मेदारियों के लिए उत्तरदायी

बाकू में खींचतान की कहानी: विकसित देशों ने कैसे क्लाइमेट फाइनेंस के आंकड़े को $300 बिलियन तक सीमित रखा

एक बार फिर जलवायु वित्त समझौते में सत्ता, संघर्ष और लंबे समय से चली आ रही असमानताओं का पर्दाफाश हुआ।

बाकू में ग्लोबल नॉर्थ के देशों ने किया ‘धोखा’, क्लाइमेट फाइनेंस पर नहीं बनी बात, वार्ता असफल

भारत ने वार्ता के दस्तावेज़ को नकारते हुए इसे एक ‘प्रकाशीय भ्रम’ बताया है।

क्लाइमेट फाइनेंस पर जी20 का ठंडा रुख

जो बात अटपटी लगती है वह यह है कि घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से जीवाश्म ईंधन से दूर जाने का समर्थन नहीं किया गया है, जो दर्शाता है कि जी20 देश वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा बदलाव को पूरी तरह से अपनाने में झिझक रहे हैं।

बाकू सम्मेलन: राजनीतिक उठापटक के बावजूद क्लाइमेट-एक्शन की उम्मीद कायम

अतीत और वर्तमान के जलवायु सम्मेलनों ने जटिलता और उतार-चढ़ाव देखे हैंऔर उनके बावजूद, कार्य करने का सामूहिक दृढ़ संकल्प भी दिखाया है।

कॉप29: संकट में खाली गुल्लक

कॉप 29 में विकासशील देशों का सवाल: क्या जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए धनी देश और बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्थायें सुनिश्चित करेंगी खरबों की राशि?

कॉप29: एनसीक्यूजी पर जारी है विवाद

क्लाइमेट फाइनेंस के लिए एनसीक्यूजी के प्रमुख विवरणों पर विकसित और विकासशील देशों के बीच गहरे मतभेद हैं। क्लाइमेट फाइनेंस की परिभाषा से लेकर डोनर्स की संख्या पर विवाद हैं और आम सहमति तक पहुंचना मुश्किल लग रहा है।

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