भारत और चीन समेत पूरे एशिया में इस साल फिर रिकॉर्डतोड़ गर्मी होगी।

अल-निनो प्रभाव के कारण गर्मियों में अधिक तापमान की संभावना

लगातार तीन साल ला-निना प्रभाव (जिसमें भूमध्य रेखा के पास वातावरण ठंडा रहता है और सामान्य स्थितियां होती हैं) इस साल अल-निनो स्थितियों की संभावना है जिस कारण गर्मियों में अधिक तापमान हो सकता है। अमेरिका के नेशनल ओशिनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जून, जुलाई और अगस्त के महीने में अल-निनो प्रभाव की  50% संभावना है जबकि जुलाई, अगस्त, सितंबर में यह संभावना 58% रहेगी।  

अल-निनो प्रभाव ला-निना के विपरीत है और इसमें प्रशान्त महासागर में भूमध्य रेखा के आसपास समुद्र असामान्य रूप गर्म हो जाता है जिसका भारत के तापमान और मॉनसून पर प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने अभी संभावित अल-निनो प्रभाव के कारण भारत में गर्मियों का तापमान बढ़ने की बात तो की है लेकिन कहा है कि सालाना मॉनसून पर क्या असर पड़ेगा यह कहना जल्दबाज़ी होगी। 

चीन में अधिक बाढ़ और हीटवेव की  चेतावनी 

चीन के मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि इस साल देश में एक बार फिर चरम मौसमी घटनाओं का प्रभाव देखने को मिलेगा। इसमें कहा गया है कि अत्यधिक तापमान (हीटवेव) और लम्बे सूखे के अलावा बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है और देश के अलग अलग हिस्सों में चीनी प्रशासनिक विभागों को इससे निपटने के लिये तैयार रहना होगा।  चीन को पिछले साल भी करीब 70 दिन तक हीटवेव का सामना करना पड़ा था जिससे फसल बर्बाद हो गई, झीलें और जलाशय सूख गये और जंगलों में आग लगी। चीन मौसम विभाग ने देश के दक्षिणी प्रान्त को विशेष रूप से तैयार रहने को कहा है। विभाग के अधिकारी के मुताबिक ग्लोबल वॉर्मिंग का ग्राफ तेज़ी से बढ़ रहा है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कारण  क्लाइमेट सिस्टम असंतुलित हो रहा है। 

चक्रवात गेब्रिअल का कारण न्यूज़ीलैंड में आपातकाल घोषित 

देश के उत्तरी हिस्से में चक्रवात गेब्रेअल से व्यापक बाढ़, भूस्खलन और समुद्री जल भराव  के बाद न्यूज़ीलैंड में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी गई है। तटीय हिस्सों में रह रहे समुदायों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है – हॉकी खाड़ी, कोरोमंडल और उत्तरी द्वीप को सबसे अधिक क्षति हुई है।  न्यूज़ीलैड के राष्ट्रीय जल और वातावरण अनुसंधान के मुताबिक उत्तरी द्वीप के तटों पर शक्तिशाली तूफान के कारण 12 मीटर ऊंची लहरें उठी और यह एक रिकॉर्ड था। इस दौरान हवाओं की रफ्तार 150 से 160 किलोमीटर प्रति घंटा रही। न्यूज़ीलैंड के इसी हिस्से में दो हफ्ते पहले भारी बारिश और बाढ़ से चार लोगों की मौत हो गई थी और करीब सवा दो लाख लोगों को पावर कट का सामना करना पड़ा। 

टर्की और सीरिया में भूकंप, मरने वालों की संख्या 41,000 हुई 

टर्की और सीरिया में 7.8 तीव्रता के भूकंप से करीब 41,000 लोगों की मौत हो गई है। अकेले टर्की में ही 35 हज़ार से अधिक लोग मर गये हैं। यह देश के इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप रहा। यह पूरी दुनिया में पिछले 20 साल का सबसे विनाशकारी भूकंप रहा। 

उधर वॉर ज़ोन सीरिया में करीब 5,800 लोग मारे जा चुके हैं। इनमें से सरकार के कब्ज़े वाले क्षेत्र में 1,400 लोग मरे हैं। बाकी मौतें विद्रोहियों के अधिकार क्षेत्र में हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र के 52 ट्रक सीरिया में राहत सामग्री और दवा लेकर पहुंचे हैं। 

सरकार ने संसद में जोशीमठ के धंसने के बात मानी पर भारी निर्माण पर चुप्पी 

बजट सत्र के दौरान पूछे गये एक सवाल के जवाब में सरकार जोशीमठ में हो रही भारी निर्माण पर मौन रही। हालांकि सरकार ने 1976 में दी गई एम सी मिश्रा कमेटी के रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि उस (जोशीमठ के) क्षेत्र में लगातार धंसाव हो रहा है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा, “उत्तराखंड सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जोशीमठ बहुत पुराने भूस्खलन के मलबे की मोटी परत पर बसा हुआ है… और इस क्षेत्र में लंबे समय से धंसाव की धीमी प्रक्रिया चल रही है। यह बात 1976 में महेश चन्द्र मिश्रा की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट में कही गई है।”

मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मिश्रा कमेटी का सुझाव था कि इस क्षेत्र में ज़मीनी स्थिति और निर्माण क्षेत्र की बोझ सहने की क्षमता का आकलन करके ही कोई भारी निर्माण किया जाना चाहिये। हालांकि उन्होंने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने के लिये क्या कदम उठाये गये और उनकी वर्ष-वार जानकारी क्या है।  इस बीच मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन ने कहा है कि जोशीमठ के हालात का चारधाम यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 

अब रक्त नलिकाओं में भी पाया गया माइक्रोप्लास्टिक 

प्लास्टिक इंसानी शरीर में घुसपैठ करता जा रहा है और एक विकट स्वास्थ्य संकट का रूप ले रहा है। पहले प्लास्टिक के अंश इंसान के फ़ेफ़ड़ों में पाये गये लेकिन अब वैज्ञानिकों को पेंट और फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले माइक्रोप्लास्टिक के अंश मानव रक्त नलिकाओं में मिले हैं। इससे पहले अजन्मे बच्चों को मां से जोड़ने वाली गर्भनाल (प्लेसेंटा) में भी प्लास्टिक के अंश पाये गये हैं। वैज्ञानिक शोध में यह भी पाया गया है कि लोग हर साल 2,500 से अधिक एयरबोर्न माइक्रोप्लास्टिक (बहुत सूक्ष्म और हल्के कण) के संपर्क में आ रहे हैं।  निम्न और मध्यम आय के लोगों के घरों में प्लास्टिक   की उच्च मात्रा पाई गई है। 

+ posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.