नए मानदंड 'नवीकरणीय ऊर्जा और स्टोरेज पावर के साथ साथ समेकित कर के ताप/जल विद्युत् स्टेशनों के उत्पादन और शेड्यूलिंग' पर संशोधित कार्यक्रम का हिस्सा हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा के साथ समेकित जीवाश्म ईंधन बिजली परियोजनाएं अब बिना समझौते कर सकती हैं बिजली आपूर्ति

नए मानदंडों के तहत, थर्मल पावर प्लांट कहीं भी अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित कर सकते हैं और अतिरिक्त समझौते के बिना ऊर्जा की आपूर्ति कर सकते हैं। मरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार नए मानदंड ‘नवीकरणीय ऊर्जा और स्टोरेज पावर के साथ साथ समेकित कर के ताप/जल विद्युत् स्टेशनों के उत्पादन और शेड्यूलिंग’ पर संशोधित कार्यक्रम का हिस्सा हैं। 

नए दिशानिर्देश सभी नए और मौजूदा कोयला और गैस आधारित बिजली संयंत्रों या जल विद्युत स्टेशनों को उसी परिसर के भीतर सह-स्थित या बाहर की परियोजनाओं में अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने या साफ ऊर्जा की खरीद अनुमति देते हैं। जीवाश्म ईंधन बिजली परियोजनाएं अपने मौजूदा विद्युत् क्रय समझौतों के अनुरूप बिजली की आपूर्ति के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर सकती हैं। मरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, इस मिश्रण में आरई के हिस्से को डिस्कॉम के अक्षय खरीद दायित्व के अनुपालन के तौर पर गिना जाएगा।

ग्रिड-स्केल बैटरी के घरेलू निर्माताओं को मिल सकती है $2.5 बिलियन की सहायता 

भारत सरकार देश में ऊर्जा भंडारण की लागत को कम करने के उद्देश्य से ग्रिड-स्केल बैटरी के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए $2.5 बिलियन (करीब 20,000 करोड़ रुपये) की सब्सिडी योजना शुरू करने की सोच रही है। ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि सरकार एक निश्चित अवधि में बैटरी निर्माताओं को प्रोत्साहन देने की चर्चा के शुरुआती चरण में है और कुल सब्सिडी लगभग 200 अरब रुपए हो सकती है। उन्होंने ने कहा कि भारत लिथियम के व्यापार पर चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए ऑस्ट्रेलिया से लिथियम आयात करने पर विचार कर रहा है। 

उन्होंने यह भी कहा कि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, भारत 2030 तक अपने कोयला बिजली संयंत्रों को 25% तक विस्तारित करने की योजना बना रहा है, जब तक कि सस्ता भंडारण उपलब्ध न हो।

राजस्थान नियामक: सौर ऊर्जा बाहर बेचने वाली कंपनियां राज्य को दे 10% मुफ्त

राजस्थान बिजली नियामक आयोग ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह राज्य के बाहर बिजली बेचने वाले सौर ऊर्जा उत्पादकों को राज्य की वितरण कंपनियों को 10% मुफ्त बिजली देने का नियम बनाने पर विचार करे। 

इस कदम का समर्थन करने वालों की दलील है कि उत्पादक भूमि के विशाल खंड, बिजली के बुनियादी ढांचे और पर्यावरण समेत स्थानीय क्षेत्रों के पूरे पारितंत्र का उपयोग करते हैं, जो कि किसी भी अन्य उद्योग द्वारा उपयोग किए जाने की तुलना में बहुत अधिक है, इसलिए उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह राज्य की वितरण कंपनियों को मुफ्त बिजली की आपूर्ति करें जो आगे स्थानीय आबादी तक पहुंचे जा सकती है।

लेकिन सौर उद्योग के प्रतिनिधियों ने कहा कि राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम पहले से ही राज्य के बाहर के ग्राहकों को आपूर्ति करने वाले बिजली उत्पादकों से 2 लाख रुपए प्रति मेगावाट ले रहा है और यदि राज्य इस योजना पर आगे बढ़ता है तो यह देश में एक गलत मिसाल कायम करेगा।

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में पहले से ही 14,000 मेगावाट की स्थापित सौर क्षमता है और इस सौर समृद्ध राज्य ने बहुत सारी जमीन पर परियोजनाओं की अनुमति भी दे रखी है।

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