भारत में खेती का सौरीकरण करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ 2019 में शुरू की गई प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना संकट में है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि योजना ने केवल 30 लक्ष्य ही पूरे किए हैं, जिससे यह आशंका बढ़ गई है कि शायद यह योजना 2026 का टारगेट पूरा न कर पाए।
अगस्त 7 को जारी की गई इस रिपोर्ट में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर योजना की जमीनी हकीकत का गहन विश्लेषण किया गया है, और इसके सफल कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक रोडमैप दिया गया है।
पीएम-कुसुम योजना के तीन भाग हैं: पहला, बंजर भूमि पर मिनी-ग्रिड स्थापित करना; दूसरा, डीजल वाटर पंपों की जगह ऑफ-ग्रिड सोलर पंप लगाना; और तीसरा, इलेक्ट्रिक पंपों को ऑन-ग्रिड सोलर पंपों से बदलना और कृषि फीडर के सौरीकरण के लिए मिनी-ग्रिड स्थापित करना। रिपोर्ट के अनुसार दूसरे भाग में अच्छी प्रगति हुई है, खासकर हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में। लेकिन पहले और तीसरे भाग का कार्यान्वयन पिछड़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सस्ती बिजली की उपलब्धता और बड़े सौर पंपों की लागत के कारण किसान सौर ऊर्जा अपनाने में हिचकिचाते हैं। योजना की सफलता के लिए जरूरी है कि इसका विकेंद्रीकरण करके कार्यान्वयन स्थानीय एजेंसियों के जिम्मे सौंपा जाए जिन्हें जमीनी स्थिति की जानकारी हो। साथ ही किसानों को किश्तों में पैसा चुकाने का विकल्प देने से भी योजना की पहुंच बढ़ेगी।
भारत की ऊर्जा क्षमता में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़कर हुई 44%
साल 2024 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता में 19.4% और स्थापित नवीकरणीय क्षमता में 44.2% हो गई, जबकि पिछले साल इस अवधि में यह आंकड़ा क्रमशः 15.9% और 38.4% था।
तजा आंकड़ों के अनुसार, 2024 की दूसरी तिमाही के अंत में बड़ी पनबिजली परियोजनाओं सहित भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 196.4 गीगावॉट थी, जो कुल बिजली क्षमता मिश्रण का 44% है। पहली तिमाही के अंत में कुल नवीकरणीय ऊर्जा (190.6 गीगावॉट) की हिस्सेदारी 43.1% थी।
भारत ने पिछली तिमाही के दौरान लगभग 36 बिलियन यूनिट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया, जबकि पहली तिमाही में उत्पादन 32 बिलियन यूनिट था। जून 2024 के अंत में देश की कुल स्थापित बिजली क्षमता में बड़ी पनबिजली परियोजनाओं का योगदान 10.5% और पवन ऊर्जा का योगदान 10.4% था। बायोमास और लघु पनबिजली की हिस्सेदारी क्रमशः 2.3% और 1.1% थी।
500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने के लिए होगा 30 लाख करोड़ रुपए का निवेश: सरकार
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा में कहा कि 2030 तक देश के 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 30 लाख करोड़ रुपए तक के निवेश की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि नवीकरणीय सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है और इस वर्ष बजट में परिव्यय दोगुना कर 20,000 करोड़ रुपए से अधिक कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में पहले ही 7 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है, और “500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लिए (30 लाख करोड़ रुपए का निवेश) अपेक्षित है।”
पीएम सूर्य घर, पीएम कुसुम, नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) और सौर मॉड्यूल के लिए पीएलआई जैसी योजनाओं के लिए भी ऑर्डर दिए गए हैं। “इस सब में 1.60 लाख करोड़ रुपए लगेंगे, उन्होंने कहा।
जोशी ने कहा कि सरकार ने 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करने और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।
भारत में 2028 तक 6 गीगावाट हो जाएगा अक्षय ऊर्जा स्टोरेज: क्रिसिल
क्रिसिल के रिसर्च के अनुसार, भारत 2028 तक 6 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) स्टोरेज क्षमता स्थापित कर सकता है। मार्च 2024 तक यह क्षमता 1 गीगावॉट से कम थी। क्रिसिल ने यह अनुमान क्रियान्वित की जा रही परियोजनाओं और नीलामी की अपेक्षित गति को देखते हुए लगाया है।
एजेंसी ने कहा कि देश के कुल ऊर्जा उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी को स्थायी रूप से इंटीग्रेट करने के लिए स्टोरेज में वृद्धि महत्वपूर्ण है।
“परियोजनाओं के धीमे कार्यान्वयन के बावजूद, अक्षय ऊर्जा विकसित करने की ओर सरकार का प्रयास और पिछले दो सालों के दौरान चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा का टैरिफ बिजली के अन्य स्रोतों के बराबर हो जाने के कारण, अक्षय ऊर्जा एडॉप्शन की उम्मीद बेहतर हुई है,” क्रिसिल ने कहा।
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