नीति आयोग देश में लिथियम-आयन बैटरी पर चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के प्रयोग को बढ़ावा देने की योजना की समीक्षा कर सकता है। क्योंकि भारत में लिथियम आयन का लगभग 75% आयात चीन से होता है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार के भीतर एक वर्ग को लगता है कि भारत को लिथियम-आयन के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर नहीं होना चाहिए और इसके बजाय हरित वाहनों के संचालन के लिए दूसरे स्रोतों का पता लगाना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, लिथियम आयन के लिए चीन पर भारत की निर्भरता और अर्थव्यवस्था पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव का आकलन करने की योजना पर विचार-विमर्श जारी है।
यह चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन ईवी मोटर्स में उपयोग किए जाने वाले रेअर-अर्थ मैटेरियल और हाई परफॉर्मेंस मैग्नेट्स का निर्यात रोकने पर विचार कर रहा है।
भारत का कुल लिथियम-आयन आयात 2021-22 में 1.83 बिलियन डॉलर से बढ़कर अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के बीच 2.31 बिलियन डॉलर पहुंच गया।
आर्थिक थिंकटैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार ईवी के घरेलू निर्माण के चलते कच्चे माल, खनिज प्रोसेसिंग और बैटरी उत्पादन के लिए भारत की चीन पर निर्भरता बढ़ेगी।
ईवी निर्माताओं ने लंबित सब्सिडी के लिए संसदीय पैनल से लगाई गुहार
सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) ने संसदीय स्थायी समितियों से अपील की है कि वह सरकार को ईवी सेक्टर के लिए निर्धारित 1,200 करोड़ रुपए की रुकी हुई सब्सिडी जारी करने का निर्देश दे।
एसएमईवी ने अपनी याचिका में कहा है कि ईवी उद्योग वित्तीय संकट से जूझ रहा है जिसके कारण देश में बैटरी वाहन अपनाने की गति धीमी हो रही है।
याचिका में कहा गया है कि देश में पूरी सप्लाई चेन लगभग तैयार है और केवल 1,200 करोड़ रुपए की लंबित सब्सिडी ने सेक्टर की प्रगति को रोके रखा है।
पिछले साल दिसंबर में सरकार ने कहा था कि वह फेम योजना के तहत सब्सिडी की कथित हेराफेरी के लिए 12 वाहन निर्माताओं की जांच कर रही है।
वर्तमान में, फेम इंडिया योजना का 10,000 करोड़ रुपए का दूसरा चरण 1 अप्रैल, 2019 से पांच साल की अवधि के लिए लागू किया जा रहा है।
इस बीच, सरकार के सूत्रों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फेम योजना को मार्च 2024 के बाद आगे बढ़ाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
इस साल बिकने वाली हर पांच कारों में से एक होगी इलेक्ट्रिक: रिपोर्ट
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईए) की आउटलुक रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में ईवी अपनाने की गति तेज हो रही है और उम्मीद है कि इस साल बिकने वाली हर पांच कारों में से एक इलेक्ट्रिक होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री इस साल 35 प्रतिशत बढ़कर 14 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। इस वृद्धि के बाद वैश्विक वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत हो जाएगी। साल 2020 में यह हिस्सेदारी सिर्फ 4 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक कार अपनाने के कारण तेल की वैश्विक मांग में प्रतिदिन कम से कम पांच मिलियन बैरल की कमी आएगी।
हालांकि रिपोर्ट यह भी कहती है कि ‘चीन के बाहर स्थित मूल ईवी निर्माताओं को किफायती दरों पर वाहन उपलब्ध करने की जरूरत है, ताकि उन्हें बड़े पैमाने पर अपनाया जा सके’।
ऑस्ट्रेलिया में मीडियम-साइज ईवी बिक्री ने पेट्रोल-संचालित कारों को पीछे छोड़ा
ऑस्ट्रेलियन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन के अनुसार, पहली बार ऑस्ट्रेलिया में मध्यम-साइज श्रेणी में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री ने पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को पीछे छोड़ दिया है।
एसोसिएशन के ईवी इंडेक्स से पता चला है कि जनवरी से मार्च 2023 तक ऑस्ट्रेलिया में मध्यम आकार की 7,866 बैटरी कारें खरीदी गईं, जो इस श्रेणी में कुल बिक्री का 58.3 प्रतिशत था।
हालांकि हल्के वाहनों की श्रेणी में अंतर्दहन इंजन (आईसीई) वाहनों का दबदबा कायम है।
पहली तिमाही में सभी श्रेणियों में 17,396 बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहन बेचे गए, जो पहली बार पारंपरिक पेट्रोल हाइब्रिड वाहनों की बिक्री से अधिक था, जिनकी संख्या 16,101 रही।
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