Vol 1, May 2023 | कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत से उठे सवाल

Newsletter - May 11, 2023

चक्रवात की मार: राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे म्यांमार के लिए साइक्लोन मोका नई चुनौती पेश कर रहा है।

क्या चक्रवात से निपटने के लिए तैयार है म्यांमार

अधिकांश वेदर मॉडल बता रहे हैं कि बंगाल की खाड़ी में उठा चक्रवाती तूफान मोका बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर टकरायेगा। डाउन टु अर्थ में प्रकाशित इस रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि क्या म्यांमार इस शक्तिशाली तूफान से निपटने के लिये तैयार है। यह देश न केवल राजनीतिक अस्थिरता झेल रहा है बल्कि क्लाइमेट के लिहाज से भी बड़ा संकटग्रस्त है। मौसम विज्ञानी बता रहे हैं कि मोका शुक्रवार सुबह तक करीब 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बांग्लादेश-म्यांमार बॉर्डर पर किसी जगह टकरायेगा। 

इस चक्रवात के कारण भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों (जैसे पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा)  में प्रभाव पड़ेगा। म्यांमार में इससे पहले 2008 में नर्गिस चक्रवात ने 84,000 लोगों की जान थी। बंगाल की खाड़ी से चक्रवातों का उठना कोई नयी बात नहीं है लेकिन समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण अब यह चक्रवातों की संख्या बढ़ रही है और वह अधिक ताकतवर हो रहे हैं। 

जोशीमठ में भवनों में फिर दरारों की शिकायत, डर बढ़ा 

उत्तराखंड के जोशीमठ में संकट के बादल गहरा रहे हैं। लोगों ने एक बार घरों में दरारें बढ़ने की शिकायत की है। मीडिया में प्रकाशित ख़बरों के मुताबिक यह दरारें उन घरों में आईं हैं जिन्हें सुरक्षित इलाका माना जा रहा था हालांकि दिसंबर और जनवरी में जोशीमठ के कई ब्लॉक्स में भूधंसाव और भवनों में दरार  के बाद सरकार ने पूरे  जोशीमठ को भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया था और  सैकड़ों घरों को खाली कराया गया।

आपदा प्रबंधन विभाग ने  शहर के दो होटलों को गिरा दिया था। नया संकट इस क्षेत्र में बरसात के बाद शुरू हुआ है और एक बार फिर से लोगों में भय है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले दो महीनों में हालात के स्थिर होने की उम्मीद जगी लेकिन अब कुछ लोगों द्वारा घरों में दरारों की शिकायत से फिर डर बढ़ गया है। आधिकारिक रूप से अभी तक जोशीमठ के 9 ब्लॉक्स के कुछ 868 घरों में दरारें हैं जिनमें 181 घर असुरक्षित ज़ोन में चिन्हित किये गये हैं। प्रशासन के मुताबिक 53 परिवारों को 14.38 करोड़ का मुआवज़ा दिया जा चुका है। 

रिकॉर्ड हीटवेव बिना जलवायु परिवर्तन प्रभाव के नामुमकिन: शोध 

नये वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पिछले महीने चली रिकॉर्डतोड़ हीटवेव बिना किसी क्लाइमेट चेंज प्रभाव के संभव नहीं है। यहां तक कि ग्लोबल वॉर्मिंग प्रभावों को जोड़ने पर भी यह एक असामान्य घटना है। अगर सांख्यिकी के हिसाब से देखें तो इतनी ज़बरदस्त हीटवेव 400 सालों में कभी एक बार होनी चाहिये। वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन की ताज़ा रिपोर्ट में हीटवेव को लेकर यह गंभीर चेतावनी दी गई हैं। भूमध्य सागरीय क्षेत्र और उसके आसपास बसे देशों में तापमान सामान्य से कई डिग्री ऊपर गया है। 

पुर्तगाल में अप्रैल का तापमान 36.9 डिग्री, स्पेन में करीब 39 डिग्री सेंटीग्रेट तो अल्जीरिया में 40 डिग्री पहुंच गया। मोरक्को के कुछ शहरों में तो यह  41 डिग्री पार कर गया। 

डब्लूएचओ ने कोविड महामारी के खात्मे की घोषणा की 

कोरोना वायरस से दुनिया में हुई पहली मौत के करीब साढ़े तीन साल बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ)  ने अब इस महामारी के अन्त की घोषणा कर दी है। 11 जनवरी 2020 में चीन में  कोविड से हुई पहली मौत को स्वीकार किया गया था और उसके बाद करीब 3 हफ्ते बाद 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आधिकारिक रूप से इसे वैश्विक महामारी घोषित किया।  

पूरी दुनिया में कोरोना महामारी से करीब 70 लाख लोगों की जान गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट के मुताबिक भारत में इस महामारी से 4.5 करोड़ लोग संक्रमित हुये और 5.3 लाख लोगों की जान गई। कोविड महामारी के खात्मे की आधिकारिक घोषणा से पहले ही दुनिया के सभी देशों में रोजमर्रा की दिनचर्या लगभग सामान्य हो गई है। 

कनाडा के जंगलों में भीषण आग, हज़ारों लोगों को घर छोड़ना पड़ा 
पश्चिमी कनाडा में जंगलों में आग की सौ से अधिक घटनाओं के बाद करीब 30,000 लोगों को घर छोड़ना पड़ा है। तीस से अधिक जगह आग नियंत्रण से बाहर बताई जा रही हैं। जंगलों में यह आग पश्चिम कनाडा के अलबर्टा प्रान्त में लगी हैं जो तेल बाहुल्य क्षेत्र है। यहां पिछले रविवार को 109 जगहों में आग धधकने के बाद तेल और प्राकृतिक गैस से जुड़े काम रोक दिये गये और आपातकाल की घोषणा कर दी गई।  इतनी बड़ी आग के बाद तापमान में तीव्र वृद्धि के कारण बर्फ पिघलने से ब्रिटिश कोलंबिया के कई इलाकों बाढ़ आ गई।

बताया जा रहा है कि आपसी लड़ाई में लगे घाव के कारण मादा चीता ‘दक्षा’ ने दम तोड़ दिया।

कूनो नेशनल पार्क में एक और अफ्रीकी चीते की मौत

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है। कूनो में पिछले डेढ़ महीने में यह अफ्रीका से लाए गए तीसरे चीते की मौत है।

अधिकारियों के मुताबिक मादा चीता ‘दक्षा’ को दो नर चीतों के साथ मेटिंग के लिये छोड़ा गया था। लेकिन चीतों के हिंसक व्यवहार के कारण दक्षा घायल हो गई। मंगलवार को मॉनिटरिंग टीम ने ‘दक्षा’ को घायल अवस्था में देखा। उसका इलाज किया गया लेकिन करीब 12 बजे उसकी मौत हो गई। कूनो में इससे पहले भी दो चीते दम तोड़ चुके हैं। इससे पहले साशा और उदय की मौत हुई थी। तीन मौतों के बाद कूनो नेशनल पार्क में अब 17 चीते ही बचे हैं।

इसी बीच चीतों को बाड़े से बाहर खुले जंगल मे छोड़ने की तैयारी भी चल रही है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि जून में मानसून की बारिश शुरू होने से पहले इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा।      

राजस्थान में मिला लिथियम का बड़ा भंडार, देश की 80% जरूरत होगी पूरी

जम्मू और कश्मीर के बाद अब राजस्थान के डेगाना में लिथियम के भंडार का पता लगा है। बताया जा रहा है कि इन भंडारों में हाल ही में जम्मू और कश्मीर में पाए गए 5.9 मिलियन टन की तुलना में काफी अधिक लिथियम है।

अधिकारियों का दावा है कि राजस्थान में पाई जाने वाली लीथियम की मात्रा से देश की करीब 80 फीसदी मांग और जरूरत को पूरा किया जा सकता है।

लिथियम का उपयोग लिथियम-आयन बैटरी बनाने के लिए किया जाता है, जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रिक उपकरणों में किया जाता है।  

राजस्थान में लिथियम के नए भंडार मिलने जाने से देश इन उद्योगों के लिए नई उम्मीद जगी है, क्योंकि देश में लिथियम के प्रोडक्शन से ईवी की बैटरी के लिए जरूरी लिथियम स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो जाएगा। इसके अलावा मोबाइल, टैबलेट, इनवर्टर, आदि उपकरणों के साथ-साथ मेडिकल डिवाइसेस की कीमतों में काफी गिरावट आने की संभावना बन गई है।

फिलहाल, लिथियम के लिए भारत पूरी तरह से विदेशी आपूर्ति पर निर्भर है। अधिकतर लिथियम चीन से आयात किया जाता है।  लेकिन देश में ही इस मिनरल के भंडार मिलने और प्रोडक्शन होने से घरेलू स्तर पर ही लिथियम उपलब्ध हो जाएगा। 

इस नए भंडार की खोज के बाद अब लिथियम के लिए भारत को चीन पर निर्भर नहीं रहना होगा।

33 स्थानों पर नहाने लायक नहीं गंगा का पानी, एनजीटी ने बिहार सरकार पर लगाया जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिहार सरकार को 4,000 करोड़ रुपए का मुआवजा भरने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने यह जुर्माना ठोस और तरल कचरे का वैज्ञानिक तरीके से उचित प्रबंधन न कर पाने के लिए लगाया है।

कोर्ट ने कहा है कि इस राशि का उपयोग अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किया जाएगा। साथ ही इस राशि को दो महीनों के भीतर रिंग-फेंस खाते में जमा किया जाना चाहिए।

आदेश में कहा गया है कि इस राशि का उपयोग सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना, पुराने कचरे के ट्रीटमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों और मल कीचड़ ट्रीटमेंट संयंत्रों की स्थापना के लिए किया जाएगा।

वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए आंकड़ों से पता चला है कि गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने वाले सभी 33 स्थानों पर गंगा का पानी नहाने लायक नहीं है।

ग्लोबल वार्मिंग पर भारत में 81% लोग चिंतित, सरकार से हैं और उम्मीदें

येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और सी-वोटर द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि भारत में लगभग 81% लोग ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंतित हैं, जबकि 64% भारतीय सोचते हैं कि सरकार को ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए।

लगभग 83% भारतीय एक ऐसा राष्ट्रीय कार्यक्रम चाहते हैं जो लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के बारे में शिक्षित करे।

भारत में कम से कम 84% लोग सोचते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग हो रही है जबकि 74% कहते हैं कि उन्होंने इसके प्रभावों का अनुभव किया है।

सर्वेक्षण के अनुसार, 57% लोगों का मानना ​​है कि धरती ज़्यादातर मानवीय गतिविधियों के कारण गर्म हो रही है। सर्वे में भाग लेने वाले 80% लोग मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन का नुकसान पौधों और जानवरों की प्रजातियों को होगा, 77% मानते हैं कि भारत के लोगों को इससे नुकसान होगा, 77% भावी पीढ़ियों को, 72% उनके समुदाय को और 69% खुद उन्हें और उनके परिवार को नुकसान होने की संभावना जताते हैं।

कभी-कभी बाहरी प्रदूषण की तुलना में घर के अंदर का प्रदूषण अधिक खतरनाक होता है।

दिल्ली-गाज़ियाबाद में आठ वर्षों में बेहतर वायु गुणवत्ता सर्वाधिक दिन

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 7 वर्षों की तुलना में दिल्ली में इस साल जनवरी से अप्रैल के दौरान ‘अच्छी से मध्यम’ वायु गुणवत्ता वाले अधिकतम दिन देखे गए हैं। यह आकड़े 2020 को छोड़कर मापे गए जब लॉकडाउन के दौरान बहुत कम मानवजनित, औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां हुई थी। राजधानी में वर्ष 2016 में पहले चार महीनों के लिए ‘अच्छे से मध्यम’ वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या 8 थी; 2017 में 29; 2018 में 32; 2019 में 44; 2020 में 68; 2021 में 31; 2022 में 27; और वर्ष 2023 में 52। दिल्ली ने पिछले 7 वर्षों की इसी अवधि (2020 को छोड़कर) की तुलना में 2023 में अपना न्यूनतम वायु गुणवत्ता सूचकांक औसत  रिपोर्ट किया।  

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार पिछले वर्षों की इसी अवधि की तुलना में गाजियाबाद में भी “अच्छे” से “मध्यम” वायु गुणवत्ता  वाले 70 दिन दर्ज हुए है। पिछली बार गाज़ियाबाद शहर ने इतनी साफ़ हवा 2020 में लॉकडाउन के दौरान देखी थी जब अच्छी” या “मध्यम” वायु गुणवत्ता के 58 दिन दर्ज हुए थे।  

दिल्ली में पेट्रोलिंग यूनिट, एंटी-स्मॉग गन, स्प्रिंकलर; गुरुग्राम में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क होगा तैनात

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के साथ गर्मी के महीनों के दौरान वायु प्रदूषण को कम करने के लिए 14-सूत्रीय कार्य योजना की घोषणा की। इससे निपटने के लिए सरकार ने 84 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीन, 609 वाटर स्प्रिंकलर और 185 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन खरीदे हैं। एमसीडी के अंतर्गत आने वाली छोटी गलियों में धूल को व्यवस्थित करने के लिए सप्ताह में एक या दो बार पानी का छिड़काव किया जाएगा। जहां दिन में शहर में गश्त के लिए 225 टीमें गठित की जाएंगी, वहीं रात में करीब 159 टीमें प्रदूषण के अन्य स्रोतों की पहचान के लिए सड़कों पर गश्त करेंगी। साथ ही, एक नए कानून के तहत, 500 वर्ग मीटर से बड़े किसी भी निर्माण स्थल को दिल्ली सरकार के पास पंजीकृत कराना होगा। केजरीवाल ने कहा कि अब तक ऐसी 750 साइटों ने सरकार के पास पंजीकरण कराया है और उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

वही गुरुग्राम में रियल्टी डेवलपर सिग्नेचर ग्लोबल और पॉलिसी रिसर्च इंस्टीटूशन काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क तैनात करेंगे। नेटवर्क में 9 वायु गुणवत्ता मॉनिटर और एक स्वचालित मौसम स्टेशन शामिल होगा, जिसका डेटा परियोजना डेवलपर्स और शोध दल के लिए एक डैशबोर्ड के माध्यम से उपलब्ध होगा जो विभिन्न ऑन-साइट निर्माण गतिविधियों के दौरान प्रदूषण सांद्रता को कैप्चर करेगा। नेटवर्क का उद्देश्य निर्माण स्थलों पर प्रदूषण गतिविधियों के नियमन को मजबूत करना और स्वच्छ निर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देना है।

घर के अंदर का वायु प्रदूषण है अस्थमा का एक कारण  

वायु प्रदूषण दुनिया भर में अस्थमा पैदा करने का प्रमुख कारण रहा है। जबकि ज्यादातर यह माना जाता है कि स्थिति बाहरी प्रदूषण से उत्पन्न होती है, इनडोर यानी घरो में होने वाला प्रदूषण भी इसका एक प्रमुख कारण है। कभी-कभी बाहरी प्रदूषण की तुलना में घर के अंदर का प्रदूषण अधिक खतरनाक होता है क्योंकि यह जमी हुई धूल होती है। बाहरी प्रदूषण में हवा के कण अधिक बिखरे और विरल होते हैं लेकिन घरो के अंदर जमी हुई धूल लगातार हमारे अंदर जाती है।  

डॉक्टरों का कहना है कि इनडोर वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से छींकने और खांसने से लेकर कैंसर और अस्थमा जैसे रोग हो सकते हैं। वायु प्रदूषण के कई आंतरिक स्रोत हैं जैसे सिगरेट का धुआँ, खाना पकाना, लकड़ी और अन्य बायोमास स्टोव और फायरप्लेस। झाड़ू लगाने जैसी गतिविधियों के कारण धूल के कण हवा में लटक जाते हैं। 

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, 2019 में दुनिया भर में अस्थमा से 4,55,000 लोगों की मृत्यु हुई थी। इतना ही नहीं, जिन लोगों में अस्थमा का इलाज पूरा नहीं हो पाता है, वे नींद में खलल, दिन के दौरान थकान और खराब एकाग्रता का शिकार हो सकते हैं।

ढाका बना दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर, घंटों में वायु प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ा

बीती 1 मई को ढाका एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के मामले में दुनिया में सबसे निचले स्तर पर था। यहां उस दिन सुबस 9.20 बजे एक्यूआई 175 मापा गया। दिलचस्प है कि 1 मई को मज़दूर दिवस के कारण अवकाश होने और उद्योगों के बन्द होने और कम ट्रैफिक के बावजूद प्रदूषण का यह स्तर रहा। दूसरे नंबर पर जकार्ता और तीसरे नंबर पर म्यामार का येंगोंग रहा।

2023 की पहली तिमाही के अंत में भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 170.32 गीगावाट रही।

हरित परियोजनाओं के कार्यान्वन में देरी करने वाले डेवलपर्स को नहीं मिलेगा एक्सटेंशन

नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है कि हरित ऊर्जा बिजली परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाने वाले डेवलपर्स को एक्सटेंशन नहीं मिलेगा

मंत्रालय ने डेवलपर्स को चेतावनी दी है कि कोविड-19 और बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) के मद्देनजर सौर और पवन-सौर हाइब्रिड परियोजनाओं को दिया गया एक्सटेंशन सबके लिए नहीं है, बल्कि इसका निर्णय हर मामले की परिस्थितियों और दस्तावेजों की जांच के बाद किया जाएगा।

यह आदेश एक्सटेंशन अनुरोध के उन सभी मामलों पर लागू होगा जिन्हें आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के कारण मंत्रालय ने पहले स्वीकार कर लिया था।

जिन परियोजनाओं ने भूमि अधिग्रहण शुरू नहीं किया है या मॉड्यूल के लिए ऑर्डर नहीं दिया है उन्हें कोई राहत नहीं दी जाएगी।

मेरकॉम ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि मॉड्यूल निर्माताओं के विरोध के बावजूद, अगले मार्च तक एएलएमएम अनिवार्यता को निलंबित करने के साथ ही मंत्रालय ने डेवलपर्स की क्षमता बढ़ाने में मदद करने की अपनी भूमिका पूरी कर दी। अब, मंत्रालय का मानना है कि उन डेवलपर्स को बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए जो परियोजनाओं को क्रियान्वित करने की क्षमता के बिना नीलामी में भाग ले रहे हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा अनिवार्य करने के लिए न्यूयॉर्क ने बनाया कानून

न्यूयॉर्क स्टेट ने एक कानून पारित किया है जिससे राज्य का नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा। इसे नवीकरणीय ऊर्जा इकाइयों को निजी से सार्वजनिक स्वामित्व की ओर ले जाने की दिशा में एक प्रमुख कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है।

राज्य के आगामी बजट में शामिल इस बिल के तहत सार्वजनिक बिजली निर्माता को 2030 तक 100 प्रतिशत उत्पादन स्वच्छ ऊर्जा से करना होगा।

बिल्ड पब्लिक रिन्यूएबल्स एक्ट (बीपीआरए) यह सुनिश्चित करेगा कि सभी सरकारी संपत्तियां, जो आमतौर पर न्यूयॉर्क पावर अथॉरिटी (एनवाईपीए) से बिजली प्राप्त करती हैं, 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित हों। जिन सम्पत्तियों का स्वामित्व नगरपालिका के पास है जैसे अस्पताल, स्कूल सार्वजनिक आवास और सार्वजनिक परिवहन इत्यादि, उन्हें भी 2035 तक नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना आवश्यक होगा।

भारत में 2030 तक थर्मल पावर से अधिक होगी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: सीईए

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2029-30 तक भारत की सौर ऊर्जा क्षमता, थर्मल उत्पादन की 276.5 गीगावाट क्षमता को पार कर 292.6 गीगावाट हो जाएगी।

सीईए ने कहा कि थर्मल स्थापित क्षमता वित्त वर्ष 29-30 तक घटकर कुल स्थापित क्षमता का 35.5% रह जाएगी। अभी कुल ऊर्जा क्षमता में इसका योगदान  59% है। वहीं अनुमान है कि नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 41% से बढ़कर कुल स्थापित क्षमता का 62.4% हो जाएगी। 

भारत में ऊर्जा क्षेत्र की कुल स्थापित क्षमता 777 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें 292.6 गीगावाट हिस्सा सौर ऊर्जा का, 100 गीगावाट पवन ऊर्जा का, 53.9 गीगावाट हाइड्रोपावर का, 18.9 गीगावाट पंप स्टोरेज (पीएसपी) और 14.5 गीगावाट बायोमास ऊर्जा का हिस्सा होगा। बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़कर 41.7 गीगावाट प्रति 208.3 गीगावाट-ऑवर हो जाएगी।

2023 की पहली तिमाही के अंत में भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 170.32 गीगावाट रही।

थर्मल बैटरी के उपयोग से तेज हो सकती है उद्योगों के उत्सर्जन में कटौती 

वैश्विक उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई हिस्सा उद्योगों से आता है, इस प्रकार यह जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े वाहक हैं। यदि हम उद्योगों को कार्बन-मुक्त नहीं कर सकते, तो हम अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाएंगे। अक्सर कहा जाता है कि उद्योगों का डी-कार्बनाइज़ेशन, या विकार्बनीकरण बहुत कठिन है।

लेकिन ‘नवीकरणीय बिजली + तापीय ऊर्जा भंडारण’ का सूत्र अपनाकर आधे से अधिक औद्योगिक उत्सर्जन को खत्म किया जा सकता है

अधिकांश उद्योग जीवाश्म ईंधन से हीट प्राप्त करते हैं। यदि उद्योगों को स्वच्छ ऊर्जा द्वारा हीट दी जाए तो तेजी से औद्योगिक डीकार्बनाइजेशन का एक नया मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित थर्मल ऊर्जा भंडारण से ऐसा किया जा सकता है।

थर्मल एनर्जी स्टोरेज (टीईएस) प्रणाली में नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण तब किया जा सकता है जब यह कम से कम खर्चीला हो, जैसे तेज धूप या हवा के समय ‘थर्मल बैटरी’ को हजारों डिग्री तक गर्म किया जा सकता है। इस ऊर्जा को घंटों या दिनों तक स्टोर करके, जब आवश्यकता हो तब उपयोग किया जा सकता है।

थर्मल बैटरी को सस्ते में असेम्बल किया जा सकता है, इसका रख-रखाव आसान होता है और इसे दशकों तक प्रयोग किया जा सकता है।

फेम योजना के तहत सब्सिडी पाने के लिए ईवी निर्माताओं ने की थी कीमतों में हेर-फेर।

ग्राहकों को चार्जर का पैसा वापस करेंगी चार ईवी कंपनियां

ओला इलेक्ट्रिक, एथर एनर्जी, टीवीएस मोटर और हीरो मोटरकॉर्प आदि कंपनियां अपने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स के ग्राहकों बेचे गए चार्जर्स की कीमत वापस करेंगी

ईवी निर्माताओं ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि केंद्र ने उन्हें चार्जर की कीमत ग्राहकों से वसूलने के कारण फेम-II योजना के तहत इंसेंटिव देने से मना कर दिया था। कंपनियां ग्राहकों को कुल मिलकर करीब 300 करोड़ रुपए वापस करेंगी, जिसके बाद इन्हें फेम-II इंसेंटिव फिर से मिल सकेंगे।

इन कंपनियों पर आरोप थे कि इन्होंने सब्सिडी का दावा करने के लिए जानबूझ कर अपने स्कूटर्स की कीमतों को कम रखा, लेकिन चार्जर्स और सॉफ्टवेयर के नाम पर ग्राहकों से अलग से पैसे वसूल लिए।

इन विसंगतियों का पता चलने के बाद सरकार ने ईवी निर्माताओं को फेम योजना का लाभ देना बंद कर दिया था।

बंगाल सरकार के नोटिस के कारण रुका है प्रोजेक्ट: हिन्दुस्तान मोटर्स  

कभी एम्बेसेडर कार के लिये विख्यात रही हिन्दुस्तान मोटर्स ने कहा है कि उत्तरपाड़ा में उसका ईवी प्लांट पश्चिम बंगाल सरकार के नोटिस के कारण रुका हुआ है। असल में कंपनी ने मई 2014 में ज़मीन पर काम निलंबित करने की घोषणा की थी और राज्य सरकार द्वारा लम्बी वक्त तक निष्क्रियता के कारण ज़मीन वापस लेने का फ़ैसला कर लिया। 

शेयर बाज़ार को दी जानकारी में कंपनी ने कहा है इलैक्ट्रिक वाहन सेगमेंट की एक कंपनी के साथ वार्ता कर रही है और उसने एमओयू भी किया है लेकिन अब तक प्रोजेक्ट इसलिये रुका है क्योंकि उत्तरपाड़ा में कंपनी की ज़मीन पर कार्य दोबारा शुरू करने की अनुमति नहीं मिल पाई है। 

कोलकात ने निकलने वाले अख़बार द टेलीग्राफ के मुताबिक साल 2006 में राज्य सरकार ने कंपनी को 307 एकड़ ज़मीन बेचने की अनुमति दी थी ताकि काम शुरू करने के लिये ज़रूरी 85 करोड़ कमा सके। लेकिन बाद में पता चला कि कंपनी ने  बंगाल श्रीराम को 300 करोड़ में प्लॉट बेचा। साल 2014 में ऑडिट के बाद राज्य सरकार ने कंपनी से अतिरिक्त धन सरकारी कोष में जमा करने को कहा लेकिन कंपनी ने बताया कि वह ईवी निर्माण शुरू करने जा रही है। 

ईवी दुपहिया और तिपहिया के सुरक्षा सर्टिफिकेशन में देरी से गिरी सेल  

पिछले महीने बैटरी दुपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री गिर गई। ईवी निर्माताओं ने इसके पीछे सुरक्षा सर्टिफिकेशन में देरी को वजह बताया। उनके मुताबिक नए  सेफ्टी रेग्युलेशन के तहत प्रोडक्ट को प्रमाण पत्र मिलने में देरी हुई और उत्पादन गिरा। 

सरकार ने वाहनों में आग लगने की समस्या से निपटने के लिए ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड्स के नियम 156 में संशोधन करके, इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए नए सुरक्षा नियम लागू किए हैं। ईवी निर्माताओं के लिए इन नए नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

सरकार के वाहन पोर्टल से प्राप्त पंजीकरण आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में हाई-स्पीड इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की रिटेल बिक्री पिछले महीने की तुलना में 23% घट गई, वहीं तिपहिया वाहनों की बिक्री में 16% की गिरावट आई। 

लेकिन एक साल पहले की तुलना में, दोनों श्रेणियों की खुदरा बिक्री में क्रमशः 27% और 76% की वृद्धि हुई है।

ओला इलेक्ट्रिक एकमात्र प्रमुख इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनी रही जिसने बिक्री में क्रमिक वृद्धि दर्ज की। ओला इलेक्ट्रिक का 500 वां स्टोर श्रीनगर में खुल रहा है, कंपनी के सीईओ भाविश अग्रवाल ने ट्विटर पर इसकी घोषणा की।

भारत सरकार की नई नीति से 28 गीगावॉट क्षमता के निर्माणाधीन कोयला संयंत्रों पर रोक नहीं लगेगी।

नए कोयला संयंत्रों का निर्माण बंद कर सकता है भारत

भारत अपनी राष्ट्रीय विद्युत नीति (एनईपी) के अंतिम मसौदे से एक महत्वपूर्ण खंड को हटाकर नए कोयला बिजली संयंत्रों का निर्माण बंद करने की योजना बना रहा है।

रॉयटर्स ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि यदि इस मसौदे को कैबिनेट की मंजूरी मिल जाती है, तो चीन एकमात्र बड़ा देश रह जाएगा जहां नए कोयला बिजली संयंत्र बनाने की संभावनाएं खुली रहेंगीं।

हालांकि, नई नीति से 28 गीगावॉट क्षमता के निर्माणाधीन कोयला संयंत्रों पर रोक नहीं लगेगी।

वहीं एक अन्य रिपोर्ट में रॉयटर्स ने बताया कि चीन के साथ मिलकर भारत जी20 समूह के भीतर एक आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि देशों को जीवाश्म ईंधन का उपयोग समाप्त करने की समय सीमा तय करने के बजाय, उत्सर्जन में कटौती का रोडमैप चुनने का विकल्प मिल सके।

रिपोर्ट के अनुसार दोनों देशों ने कॉप26 के दौरान कोयले से ट्रांजिशन करने के प्रस्ताव की भाषा को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

जी20 की अध्यक्षता कर रहे भारत की कोशिश है कि सितंबर में होनेवाले शिखर सम्मेलन की विज्ञप्ति में ‘मल्टीपल एनर्जी पाथवे’ वाक्यांश शामिल कर दिया जाए, और इस कोशिश में चीन और दक्षिण अफ्रीका सहित कुछ देश भारत के साथ हैं।

विश्व की लगभग 80% सक्रिय कोयला परियोजनाएं भारत और चीन में हैं।

9 सालों के प्रतिबंध के बाद मेघालय में शुरू हो सकता है कोयला खनन

मेघालय में अप्रैल 2014 से प्रतिबंधित कोयला खनन जुलाई से फिर शुरू हो सकता है

मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने 1 मई को एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने चार खनन पट्टों को मंजूरी दे दी है और राज्य में साइंटिफिक माइनिंग का मार्ग प्रशस्त किया है।

मेघालय के खनन और भूविज्ञान विभाग के सचिव को कोयला मंत्रालय की ओर से 24 अप्रैल को भेजे गए एक पत्र में कहा गया कि खलीहरियात, कलागाव, बिंदीहाटी और नोंगस्टोइन कोयला ब्लॉकों में खनन पट्टों को मंजूरी दे दी गई है।

रैट-होल कोयला खनन पर प्रतिबंध के बावजूद, मेघालय में वर्षों से कोयले का अवैध खनन और ट्रांसपोर्ट चलता रहा है

पिछले महीने मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को अवैध रूप से निकाला गया कोयला बांग्लादेश को निर्यात करने में मिलीभगत के आरोप से बरी करने से इंकार कर दिया था

संयुक्त राष्ट्र समर्थित क्लाइमेट इनिशिएटिव से अडानी समूह की 3 कंपनियां बाहर

प्राकृतिक गैस खनन और जीवाश्म ईंधन के उपयोग का विस्तार करने के लिए अडानी समूह की तीन कंपनियों को संयुक्त राष्ट्र समर्थित साइंस बेस्ड टार्गेट्स इनिशिएटिव (एसबीटीआई) से  हटा दिया गया है

अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन के खिलाफ यह कार्रवाई तब की गई जब कैंपेन ग्रुप मार्केट फोर्सेस के सहयोग से एक गैर-लाभकारी संस्था ईको ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन अभियान ‘यूएन रेस टू जीरो’ को एक पत्र भेजा।

पत्र में दोनों संस्थाओं ने अडानी समूह की कंपनियों के निष्कासन की कई वजहें बताईं। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की कारमाइकल जैसी कोयला खनन परियोजनाओं में निवेश करके समूह जीवाश्म ईंधन के प्रयोग के विस्तार का समर्थन कर रहा है और यह गुजरात के मुंद्रा में भारत के सबसे बड़े कोयला आयात टर्मिनल का संचालक भी है।

उन्होंने यह भी कहा कि अडानी समूह गैस आयात का विस्तार करने और पूरे भारत के 56 जिलों में नए इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करने की योजना भी बना रहा है।

जलवायु संकट कम करने में विफल रहा पेरिस समझौता: रिपोर्ट

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता अपने एजेंडे को पूरा करने में अप्रभावी रहा है

स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 रिपोर्ट के अनुसार समझौते के बाद के आठ साल — 2015-2022 — वैश्विक स्तर पर लगातार सबसे गर्म साल रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले तीन सालों में यदि ला नीना नहीं हुआ होता, तो स्थिति और भी खराब हो सकती थी।

रिपोर्ट का कहना है कि जलवायु संकट के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार जीवाश्म ईंधन के उपयोग को पेरिस समझौता पूरी तरह से समाप्त करने की प्रतिबद्धता में सफल नहीं रहा है।

क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल की ग्लोबल पॉलिटिकल स्ट्रेटेजी प्रमुख हरजीत सिंह ने कहा, “यह साफ है कि पेरिस समझौता जलवायु संकट के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार जीवाश्म ईंधन को समान रूप से समाप्त करने में सफल नहीं रहा है।”

उन्होंने कहा कि हमें पेरिस समझौते के पूरक के रूप में जीवाश्म ईंधन संधि जैसे एक नए वैश्विक ढांचे की जरूरत है।