नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है कि हरित ऊर्जा बिजली परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाने वाले डेवलपर्स को एक्सटेंशन नहीं मिलेगा।
मंत्रालय ने डेवलपर्स को चेतावनी दी है कि कोविड-19 और बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) के मद्देनजर सौर और पवन-सौर हाइब्रिड परियोजनाओं को दिया गया एक्सटेंशन सबके लिए नहीं है, बल्कि इसका निर्णय हर मामले की परिस्थितियों और दस्तावेजों की जांच के बाद किया जाएगा।
यह आदेश एक्सटेंशन अनुरोध के उन सभी मामलों पर लागू होगा जिन्हें आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के कारण मंत्रालय ने पहले स्वीकार कर लिया था।
जिन परियोजनाओं ने भूमि अधिग्रहण शुरू नहीं किया है या मॉड्यूल के लिए ऑर्डर नहीं दिया है उन्हें कोई राहत नहीं दी जाएगी।
मेरकॉम ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि मॉड्यूल निर्माताओं के विरोध के बावजूद, अगले मार्च तक एएलएमएम अनिवार्यता को निलंबित करने के साथ ही मंत्रालय ने डेवलपर्स की क्षमता बढ़ाने में मदद करने की अपनी भूमिका पूरी कर दी। अब, मंत्रालय का मानना है कि उन डेवलपर्स को बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए जो परियोजनाओं को क्रियान्वित करने की क्षमता के बिना नीलामी में भाग ले रहे हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा अनिवार्य करने के लिए न्यूयॉर्क ने बनाया कानून
न्यूयॉर्क स्टेट ने एक कानून पारित किया है जिससे राज्य का नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन बढ़ेगा। इसे नवीकरणीय ऊर्जा इकाइयों को निजी से सार्वजनिक स्वामित्व की ओर ले जाने की दिशा में एक प्रमुख कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है।
राज्य के आगामी बजट में शामिल इस बिल के तहत सार्वजनिक बिजली निर्माता को 2030 तक 100 प्रतिशत उत्पादन स्वच्छ ऊर्जा से करना होगा।
बिल्ड पब्लिक रिन्यूएबल्स एक्ट (बीपीआरए) यह सुनिश्चित करेगा कि सभी सरकारी संपत्तियां, जो आमतौर पर न्यूयॉर्क पावर अथॉरिटी (एनवाईपीए) से बिजली प्राप्त करती हैं, 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित हों। जिन सम्पत्तियों का स्वामित्व नगरपालिका के पास है जैसे अस्पताल, स्कूल सार्वजनिक आवास और सार्वजनिक परिवहन इत्यादि, उन्हें भी 2035 तक नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना आवश्यक होगा।
भारत में 2030 तक थर्मल पावर से अधिक होगी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: सीईए
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2029-30 तक भारत की सौर ऊर्जा क्षमता, थर्मल उत्पादन की 276.5 गीगावाट क्षमता को पार कर 292.6 गीगावाट हो जाएगी।
सीईए ने कहा कि थर्मल स्थापित क्षमता वित्त वर्ष 29-30 तक घटकर कुल स्थापित क्षमता का 35.5% रह जाएगी। अभी कुल ऊर्जा क्षमता में इसका योगदान 59% है। वहीं अनुमान है कि नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 41% से बढ़कर कुल स्थापित क्षमता का 62.4% हो जाएगी।
भारत में ऊर्जा क्षेत्र की कुल स्थापित क्षमता 777 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें 292.6 गीगावाट हिस्सा सौर ऊर्जा का, 100 गीगावाट पवन ऊर्जा का, 53.9 गीगावाट हाइड्रोपावर का, 18.9 गीगावाट पंप स्टोरेज (पीएसपी) और 14.5 गीगावाट बायोमास ऊर्जा का हिस्सा होगा। बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़कर 41.7 गीगावाट प्रति 208.3 गीगावाट-ऑवर हो जाएगी।
2023 की पहली तिमाही के अंत में भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 170.32 गीगावाट रही।
थर्मल बैटरी के उपयोग से तेज हो सकती है उद्योगों के उत्सर्जन में कटौती
वैश्विक उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई हिस्सा उद्योगों से आता है, इस प्रकार यह जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े वाहक हैं। यदि हम उद्योगों को कार्बन-मुक्त नहीं कर सकते, तो हम अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाएंगे। अक्सर कहा जाता है कि उद्योगों का डी-कार्बनाइज़ेशन, या विकार्बनीकरण बहुत कठिन है।
लेकिन ‘नवीकरणीय बिजली + तापीय ऊर्जा भंडारण’ का सूत्र अपनाकर आधे से अधिक औद्योगिक उत्सर्जन को खत्म किया जा सकता है।
अधिकांश उद्योग जीवाश्म ईंधन से हीट प्राप्त करते हैं। यदि उद्योगों को स्वच्छ ऊर्जा द्वारा हीट दी जाए तो तेजी से औद्योगिक डीकार्बनाइजेशन का एक नया मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित थर्मल ऊर्जा भंडारण से ऐसा किया जा सकता है।
थर्मल एनर्जी स्टोरेज (टीईएस) प्रणाली में नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण तब किया जा सकता है जब यह कम से कम खर्चीला हो, जैसे तेज धूप या हवा के समय ‘थर्मल बैटरी’ को हजारों डिग्री तक गर्म किया जा सकता है। इस ऊर्जा को घंटों या दिनों तक स्टोर करके, जब आवश्यकता हो तब उपयोग किया जा सकता है।
थर्मल बैटरी को सस्ते में असेम्बल किया जा सकता है, इसका रख-रखाव आसान होता है और इसे दशकों तक प्रयोग किया जा सकता है।
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