बताया जा रहा है कि आपसी लड़ाई में लगे घाव के कारण मादा चीता ‘दक्षा’ ने दम तोड़ दिया।

कूनो नेशनल पार्क में एक और अफ्रीकी चीते की मौत

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है। कूनो में पिछले डेढ़ महीने में यह अफ्रीका से लाए गए तीसरे चीते की मौत है।

अधिकारियों के मुताबिक मादा चीता ‘दक्षा’ को दो नर चीतों के साथ मेटिंग के लिये छोड़ा गया था। लेकिन चीतों के हिंसक व्यवहार के कारण दक्षा घायल हो गई। मंगलवार को मॉनिटरिंग टीम ने ‘दक्षा’ को घायल अवस्था में देखा। उसका इलाज किया गया लेकिन करीब 12 बजे उसकी मौत हो गई। कूनो में इससे पहले भी दो चीते दम तोड़ चुके हैं। इससे पहले साशा और उदय की मौत हुई थी। तीन मौतों के बाद कूनो नेशनल पार्क में अब 17 चीते ही बचे हैं।

इसी बीच चीतों को बाड़े से बाहर खुले जंगल मे छोड़ने की तैयारी भी चल रही है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि जून में मानसून की बारिश शुरू होने से पहले इन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा।      

राजस्थान में मिला लिथियम का बड़ा भंडार, देश की 80% जरूरत होगी पूरी

जम्मू और कश्मीर के बाद अब राजस्थान के डेगाना में लिथियम के भंडार का पता लगा है। बताया जा रहा है कि इन भंडारों में हाल ही में जम्मू और कश्मीर में पाए गए 5.9 मिलियन टन की तुलना में काफी अधिक लिथियम है।

अधिकारियों का दावा है कि राजस्थान में पाई जाने वाली लीथियम की मात्रा से देश की करीब 80 फीसदी मांग और जरूरत को पूरा किया जा सकता है।

लिथियम का उपयोग लिथियम-आयन बैटरी बनाने के लिए किया जाता है, जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रिक उपकरणों में किया जाता है।  

राजस्थान में लिथियम के नए भंडार मिलने जाने से देश इन उद्योगों के लिए नई उम्मीद जगी है, क्योंकि देश में लिथियम के प्रोडक्शन से ईवी की बैटरी के लिए जरूरी लिथियम स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो जाएगा। इसके अलावा मोबाइल, टैबलेट, इनवर्टर, आदि उपकरणों के साथ-साथ मेडिकल डिवाइसेस की कीमतों में काफी गिरावट आने की संभावना बन गई है।

फिलहाल, लिथियम के लिए भारत पूरी तरह से विदेशी आपूर्ति पर निर्भर है। अधिकतर लिथियम चीन से आयात किया जाता है।  लेकिन देश में ही इस मिनरल के भंडार मिलने और प्रोडक्शन होने से घरेलू स्तर पर ही लिथियम उपलब्ध हो जाएगा। 

इस नए भंडार की खोज के बाद अब लिथियम के लिए भारत को चीन पर निर्भर नहीं रहना होगा।

33 स्थानों पर नहाने लायक नहीं गंगा का पानी, एनजीटी ने बिहार सरकार पर लगाया जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिहार सरकार को 4,000 करोड़ रुपए का मुआवजा भरने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने यह जुर्माना ठोस और तरल कचरे का वैज्ञानिक तरीके से उचित प्रबंधन न कर पाने के लिए लगाया है।

कोर्ट ने कहा है कि इस राशि का उपयोग अपशिष्ट प्रबंधन के लिए किया जाएगा। साथ ही इस राशि को दो महीनों के भीतर रिंग-फेंस खाते में जमा किया जाना चाहिए।

आदेश में कहा गया है कि इस राशि का उपयोग सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग इकाइयों की स्थापना, पुराने कचरे के ट्रीटमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों और मल कीचड़ ट्रीटमेंट संयंत्रों की स्थापना के लिए किया जाएगा।

वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिए आंकड़ों से पता चला है कि गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता की निगरानी करने वाले सभी 33 स्थानों पर गंगा का पानी नहाने लायक नहीं है।

ग्लोबल वार्मिंग पर भारत में 81% लोग चिंतित, सरकार से हैं और उम्मीदें

येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और सी-वोटर द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि भारत में लगभग 81% लोग ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंतित हैं, जबकि 64% भारतीय सोचते हैं कि सरकार को ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए।

लगभग 83% भारतीय एक ऐसा राष्ट्रीय कार्यक्रम चाहते हैं जो लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के बारे में शिक्षित करे।

भारत में कम से कम 84% लोग सोचते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग हो रही है जबकि 74% कहते हैं कि उन्होंने इसके प्रभावों का अनुभव किया है।

सर्वेक्षण के अनुसार, 57% लोगों का मानना ​​है कि धरती ज़्यादातर मानवीय गतिविधियों के कारण गर्म हो रही है। सर्वे में भाग लेने वाले 80% लोग मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन का नुकसान पौधों और जानवरों की प्रजातियों को होगा, 77% मानते हैं कि भारत के लोगों को इससे नुकसान होगा, 77% भावी पीढ़ियों को, 72% उनके समुदाय को और 69% खुद उन्हें और उनके परिवार को नुकसान होने की संभावना जताते हैं।

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