
मार्च में ही चलने लगी है हीटवेव, मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को चेतावनी दी कि पूर्वी और पश्चिमी भारत में असामान्य रूप से भीषण गर्मी की स्थिति मार्च में ही पैदा हो गई है और कई क्षेत्रों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है। हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक कम से कम पिछले वर्ष, ऐसी भीषण गर्मी की स्थिति अप्रैल के प्रारम्भ में ही दर्ज की गई थी।
विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र, ओडिशा, सौराष्ट्र, कच्छ, तेलंगाना और रायलसीमा में भीषण गर्मी की स्थिति है, शुक्रवार को ओडिशा के झारसुगुड़ा में देश का सबसे अधिक तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शनिवार को देश भर में सबसे अधिक तापमान ओडिशा के बौध में 42.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
राजधानी दिल्ली में सफदरजंग में होली के दिन शुक्रवार को अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस साल के इस समय के लिए सामान्य से 7.5 डिग्री अधिक था। हालांकि शाम को हुई बारिश ने तापमान में गिरावट ला दी, शनिवार को अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.1 डिग्री अधिक था।
मौसम विज्ञानियों के मुताबिक ऐसी हीटवेव के लिए यह समय नहीं हैं लेकिन मार्च में विरले ही इस तरह की वेदर एक्सट्रीम देखी जाती है। इस असामान्य तापमान को जलवायु परिवर्तन के असर के तौर पर देखा जा रहा है।
सितंबर 2029 तक पार हो जाएगी 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा: सी3एस
कॉपर्निकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) की रिपोर्ट है कि वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों के मुकाबले 1.38 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है, और यदि यही ट्रेंड जारी रहा तो ग्लोबल वार्मिंग की 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा सितंबर 2029 तक पार हो जाएगी। गौरतलब है कि पहले वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि यह सीमा 2030 के दशक में पार होगी। पेरिस समझौते के तहत विभिन्न देश ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए उत्सर्जन में कटौती करने हेतु प्रतिबद्ध हुए थे।
यदि यह सीमा पार होती है तो जलवायु परिवर्तन के अधिक गंभीर प्रभाव देखने को मिलेंगे।
उदाहरण के लिए, 1.5 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग पर दुनिया की लगभग 14% आबादी हर पांच साल में कम से कम एक बार गंभीर हीटवेव का सामना करेगी; 2 डिग्री सेल्सियस पर यह आंकड़ा 37% तक बढ़ जाएगा। धरती की सतह का तापमान लगातार 12 महीनों से 1850-1900 औसत के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया है।
क्लाइमेट चेंज से बढ़ सकता है स्पेस जंक, उपग्रह होंगे प्रभावित: शोध
एमआईटी के एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन अंतरिक्ष के मलबे (स्पेस जंक) को बढ़ा सकता है, जिससे पृथ्वी की निचली कक्षा में और अधिक कचरा जमा हो सकता है। अध्ययन के अनुसार, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन निचले वातावरण को गर्म करता है और ऊपरी वातावरण को ठंडा, जिससे ऊपरी वातावरण का घनत्व कम हो जाता है। इससे प्राकृतिक ड्रैग कमजोर होता है जो स्पेस जंक को हटाने के लिए जिम्मेदार है। इस कारण से अधिक मलबा इकठ्ठा होता सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सदी के अंत तक, पृथ्वी की कक्षा का उपयोग करने योग्य 82% स्थान कम हो सकता है।
लगभग 12,000 उपग्रह पहले से ही कक्षा में हैं, इसलिए मलबे के कारण संचार, नेविगेशन और सुरक्षा पर भी खतरा हो सकता है। विशेषज्ञों ने कक्षीय मलबे का प्रबंधन करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए अंतरिक्ष सस्टेनेबल बना रहे।
अमेरिकी मौसम विभाग में छंटनी से पड़ेगा भारत पर असर
वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को चिंता है कि अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) में छंटनी का प्रभाव वैश्विक मौसम के पूर्वानुमान पर पड़ेगा। भारत में मानसून की भविष्यवाणियों और साइक्लॉन ट्रैकिंग पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है। सैकड़ों एनओएए कर्मचारियों को हाल ही में बर्खास्त कर दिया गया, जिनमें कई मौसम विज्ञानी भी थे। इससे डेटा ऑब्ज़र्वेशन कम हो गया है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कमजोर ओशनिक मॉनिटरिंग से जलवायु भविष्यवाणियां और आपदा के पहले की तैयारियां प्रभावित हो सकती है। हिंद महासागर के ऑब्ज़र्वेशन नेटवर्क का आधा हिस्सा एनओएए समर्थित है। विशेषज्ञों का कहना है कि सटीक पूर्वानुमान और चेतावनी सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।
देश में पहली बार हुई डॉल्फिन की गणना, 28 नदियों में मिलीं 6,327 डॉल्फिन मछलियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7वीं नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (एनबीडब्ल्यूएल) की बैठक में भारत की पहली रिवराईन डॉल्फिन एस्टिमेशन रिपोर्ट जारी की, जिसके अनुसार देश के आठ राज्यों की 28 नदियों में 6,327 डॉल्फ़िन होने का अनुमान है। डॉल्फ़िन की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में पाई गई, उसके बाद बिहार, फिर पश्चिम बंगाल और फिर असम में। मोदी ने डॉल्फिन संरक्षण में स्थानीय सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया और छात्रों के लिए एक्सपोज़र विज़िट का सुझाव दिया।
प्रोजेक्ट डॉल्फिन की रिपोर्ट में नदियों के गहरे क्षेत्रों की सुरक्षा करने का सुझाव दिया गया है, जहां डॉल्फ़िन मछलियां रहती हैं। डॉल्फिन मछलियों को जीवित रहने के लिए शांत पानी की जरूरत होती है इसलिए वह गहराई में रहती हैं। रिपोर्ट में हैबिटैट के नुकसान को रोकने और उनके दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
नैनीताल हाइकोर्ट ने हाथी कॉरिडोर में 3,300 पेड़ काटने पर लगाई रोक
उत्तराखंड में हाइकोर्ट ने ऋषिकेश और भनियावाला के बीच एक सड़क मार्ग के लिए 3,300 पेड़ों के कटान पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह रास्ता राजाजी नेशनल पार्क के एलीफैण्ट कोरिडोर से होकर जाता है। कोर्ट ने देहरादून की निवासी रेनू पॉल की याचिका पर यह रोक लगाई है। अदालत ने याचिकाकर्ता से अनुरोध किया है कि वह परियोजना से प्रभावित गलियारे और सड़क के विशिष्ट खंडों को दर्शाने वाली गूगल तस्वीरें प्रस्तुत करें। अदालत ने राज्य सरकार को परियोजना से संबंधित सभी प्रासंगिक अनुमतियां उसके समक्ष प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
उत्तराखंड में यह सड़क प्रोजेक्ट मोतीचूर, बडकोट और ऋषिकेश फॉरेस्ट रेन्ज में एलीफैण्ड कोरिडोर से होकर जायेगा। मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्द्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की पीठ ने सरकारी वकील से कहा कि अगर कोरिडोर से सड़क निकलती है तो उसकी जगह फ्लाईओवर बनाया जाना चाहिए क्योंकि इसे अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है। इस मामले की सुनवाई अब 21 मार्च को होगी।
कैम्पा फंड के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने क्षतिपूरक वनीकरण के लिए बने कैम्पा फंड के कथित दुरुपयोग पर उत्तराखंड सरकार को लताड़ लगाई है। पिछले महीने विधानसभा में रखी गई इस सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में विकास कार्यों से नष्ट हुए जंगलों की क्षतिपूर्ति के बदले पेड़ लगाने के लिए जमा (कैम्पा) फंड का एक हिस्सा आईफ़ोन, किचन की सामग्री, भवनों को चमकाने और अदालतों के मुकदमे लड़ने पर खर्च किया गया था।
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 2019 से 2022 के बीच, 275.34 करोड़ रुपए का ब्याज अदा नहीं किया गया। राज्य ने इसे स्वीकार किया और 2023 में 150 करोड़ रुपए जमा किए, लेकिन अभी भी एक बड़ी राशि का कोई हिसाब नहीं है। अदालत ने मामले पर मुख्य सचिव से 19 मार्च तक जवाब मांगा है, और आगे कार्रवाई की चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कैम्पा फंड का उपयोग करने में जवाबदेही की आवश्यकता है।
लॉस एंड डैमेज फंड से बाहर हुआ अमेरिका
अमेरिका हानि और क्षति (लॉस एंड डैमेज) फंड के बोर्ड से बाहर हो गया है। यह फंड विकासशील देशों को जलवायु आपदाओं से निपटने में मदद करता है। यह ट्रंप प्रशासन द्वारा वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों को विफल करने की दिशा में एक और कदम है। इससे पहले अमेरिका पेरिस समझौते से पीछे हटने और क्लाइमेट फंडिंग में कटौती करने का निर्णय कर चुका है। अमेरिका के प्रतिनिधि ने 4 मार्च को एक पत्र लिखकर बोर्ड को इस निर्णय के बारे में सूचित किया। 2022 में कॉप27 के दौरान लंबी बातचीत के बाद यह फंड बनाया गया था। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से कमजोर देशों को लाभान्वित करना था। ट्रंप सरकार के आने से पहले अमेरिका ने लॉस एंड डैमेज फंड में 17.5 मिलियन डॉलर देने का वादा किया था। जानकारों का कहना है कि अमेरिका की वापसी से वैश्विक क्लाइमेट जस्टिस और जलवायु परिवर्तन से होने वाली हानि को दूर करने के प्रयास कम होंगे।
फाइनेंस पर वादा पूरा करें विकसित देश तो 1.5 डिग्री के लक्ष्य की प्राप्ति संभव: भारत
भारत का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना अभी भी संभव है, लेकिन इसके लिए विकसित देशों को अपनी वित्तीय और तकनीकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करना होगा। द एनर्जी रिसोर्स इंस्टिट्यूट (टेरी) की वर्ल्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट को संबोधित करते हुए, पर्यावरण मंत्री भूपेंदर यादव ने कहा कि मौजूदा वैश्विक सिस्टम जलवायु परिवर्तन से निपटने में विफल है और तत्काल सुधारों की आवश्यकता है।
उन्होंने यूएनईपी की इमीशन गैप रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सौर, हवा और जंगल उत्सर्जन में कटौती करने में मदद कर सकते हैं यदि तत्काल कार्रवाई की जाती है। हालांकि, विकसित देश अपने वादे से पीछे हट गए हैं और उन्होंने सालाना 1.3 ट्रिलियन डॉलर के फाइनेंस की बजाय 2035 तक केवल 300 बिलियन डॉलर की पेशकश की है।
जेटी परियोजना के लिए अडानी समूह को मिली मैंग्रोव पेड़ काटने की अनुमति
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अडानी सीमेंटेशन लिमिटेड को महाराष्ट्र के रायगड में एक जेटी परियोजना के लिए 158 मैंग्रोव पेड़ काटने की अनुमति दे दी है। हालांकि, अदालत ने पर्यावरण संरक्षण और विकास में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। कोर्ट ने कंपनी को पर्यावरणीय क्षति को कम करने के लिए सभी नियामक शर्तों का पालन करने का निर्देश दिया। 172 करोड़ रुपए की इस परियोजना का उद्देश्य जलमार्गों के माध्यम से सीमेंट और कच्चे माल की ढुलाई करना है। कोर्ट ने कहा कि इससे सड़कों पर ट्रैफिक कम होगा जिससे कार्बन उत्सर्जन में 60% से अधिक की कटौती संभव है। अदालत ने परियोजना के सार्वजनिक लाभ को स्वीकार करते हुए प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया, विशेष रूप से तब जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और जैव-विविधता में हानि से जूझ रही है।
दिल्ली की एयर क्वॉलिटी 161 दिनों बाद ‘संतोषजनक’ स्तर पर लौटी
पिछले साल 29 सितंबर, 2024 के बाद पहली बार शनिवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता “संतोषजनक” श्रेणी में आईसुधरी। राजधानी में 161 दिन बाद आये इस बदलाव में शुक्रवार से क्षेत्र में छिटपुट बारिश और कभी-कभी चली तेज हवाओं ने मदद की। इस कारण वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण 1 की पाबंदियों को हटा लिया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दैनिक राष्ट्रीय बुलेटिन के अनुसार, शनिवार को शाम 4 बजे दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 85 (संतोषजनक) था, जो शुक्रवार के 198 (मध्यम) से काफी बेहतर है। गुरुवार को यह 179 (मध्यम) और बुधवार को 228 (खराब) था। पिछले साल 29 सितंबर को दिल्ली का AQI 76 (संतोषजनक) रहा था।
यमुना के 23 मॉनिटरिंग स्थल जल गुणवत्ता परीक्षण में फ़ेल हुए: संसदीय समिति की रिपोर्ट
एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली क्षेत्र में यमुना नदी की जीवनदायिनी क्षमता लगभग नगण्य पाई गई है। यमुना दिल्ली में 40 किलोमीटर रास्ता तय करती है। यमुना के बहाव क्षेत्र में कुल 33 मॉनीटरिंग स्थलों में से जिन 23 क्षेत्रों की जांच की गई उनमें राष्ट्रीय राजधानी के छह स्थल शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि वे सभी प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में विफल रहे।
जल संसाधन पर संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि नदी में घुली ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर, जो नदी की जीवन को बनाए रखने की क्षमता को दर्शाता है, दिल्ली क्षेत्र में लगभग नगण्य पाया गया।
ऊपरी यमुना नदी सफाई परियोजना और दिल्ली में नदी तल प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट में पैनल ने चेतावनी दी कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के निर्माण और अपग्रेडेशन के बावजूद जल प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बहुत अधिक बना हुआ है। कुछ 33 निगरानी स्थलों में से उत्तराखंड में केवल चार और हिमाचल प्रदेश में चार ही प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंडों पर खरे उतरे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मिलकर जनवरी 2021 से मई 2023 के बीच 33 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता का आकलन किया। इस आकलन में घुली हुई ऑक्सीजन (डीओ), pH, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और फेकल कोलीफॉर्म (एफसी) के चार प्रमुख पैरामीटर शामिल थे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नई रिपोर्ट में प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संगम का पानी “स्नान के लिए उपयुक्त”
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण को सौंपी गई नई रिपोर्ट में सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर दावा किया गया है कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संगम में पानी की गुणवत्ता “स्नान के लिए उपयुक्त” थी। सीपीसीबी का यह कथन फरवरी में दी गई पिछली रिपोर्ट के बिल्कुल विपरीत है।
सीपीसीबी की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि सांख्यिकीय विश्लेषण इसलिए आवश्यक था क्योंकि एक ही स्थान से अलग-अलग तिथियों और एक ही दिन में अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों में “आंकड़ों में भिन्नता” थी, जिसके कारण ये आंकड़े “नदी क्षेत्र में समग्र नदी जल की गुणवत्ता” को नहीं दर्शाते थे।
दिसंबर के आदेश के अनुपालन में 17 फरवरी को सीपीसीबी ने जो रिपोर्ट दी, उसमें दिखाया गया कि जनवरी के दूसरे सप्ताह में की गई जांच के दौरान प्रयागराज में संगम के पानी में फीकल कोलीफॉर्म और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर स्नान लायक जल के मानदंडों को पूरा नहीं करता था।
लेकिन अब 28 फरवरी की तारीख वाली और 7 मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई नई रिपोर्ट में कहा गया है कि सीपीसीबी ने 12 जनवरी से लेकर हर सप्ताह दो बार वॉटर मॉनीटरिंग की थी, जिसमें महाकुंभ के दौरान शुभ स्नान के दिन भी शामिल थे। गंगा नदी पर पांच स्थानों और यमुना नदी पर दो स्थानों पर जल निगरानी की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है, “विभिन्न तिथियों पर एक ही स्थान से लिए गए नमूनों के लिए विभिन्न मापदंडों जैसे पीएच, घुलित ऑक्सीजन (डीओ), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और फीकल कोलीफॉर्म काउंट (एफसी) के मूल्यों में महत्वपूर्ण परिवर्तनशीलता है। एक ही दिन एकत्र किए गए नमूनों के लिए उपर्युक्त मापदंडों के मूल्य भी अलग-अलग स्थानों पर भिन्न होते हैं।”
मध्य प्रदेश में यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का दूसरा चरण पूरा
मध्य प्रदेश के धार जिले में एक डिस्पोज़ल प्लांट में यूनियन कार्बाइड कचरे को जलाने का दूसरा चरण शनिवार रात को समाप्त हो गया। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि परीक्षण का दूसरा चरण 6 मार्च को सुबह 11 बजे शुरू हुआ और 8 मार्च (शनिवार) को शाम 7.01 बजे समाप्त हुआ। उनके मुताबिक इस दौरान निपटान इकाई में कुल 10 टन कार्बाइड अपशिष्ट को जला दिया गया।
यह कचरा भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकला है जहां 1984 में ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। आपदा के स्थल के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत, 2 जनवरी को सामग्री को राज्य की राजधानी से लगभग 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में कचरा निपटान संयंत्र में ले जाया गया। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, इस कचरे का परीक्षण निपटान सुरक्षा मानदंडों का सख्ती से पालन करते हुए तीन चरणों में किया जाना है और 27 मार्च को उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की जानी है। टेस्ट का पहला चरण 3 मार्च को संपन्न हुआ।
यूनियन कार्बाइड की कीटनाशक फैक्ट्री से 2 और 3 दिसंबर, 1984 की रात को अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस लीक हो गई थी। दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक आपदा में कम से कम 5,479 लोग मारे गए और हज़ारों अन्य शारीरिक रूप से विकलांग हो गए।
चीनी कंपनी चला रही थी खदान, ज़हरीले रिसाव से नदी प्रदूषित
जाम्बिया में चीनी स्वामित्व वाली तांबे की खदान में एसिड रिसाव के कारण काफू नदी प्रदूषित हो गई है और इस कारण लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। यह रिसाव 18 फरवरी को हुआ जब एक टेलिंग बांध टूट गया, जिससे 50 मिलियन लीटर जहरीला कचरा निकला। अधिकारियों को दीर्घकालिक पर्यावरणीय क्षति का डर है, क्योंकि नदी राजधानी लुसाका में रहने वाले बाशिंदों समेत पाँच मिलियन लोगों के लिए मछली पकड़ने, खेती करने और पानी की आपूर्ति का समर्थन करती है।
रिसाव क्षेत्र के 100 किमी नीचे की ओर मरी हुई मछलियाँ देखी गई हैं, और यहां खेतों में फसलें नष्ट हो गई हैं। अब सरकार एसिड को बेअसर करने के लिए चूने का उपयोग कर रही है। साइनो-मेटल्स लीच जाम्बिया ने इस रिसाव के लिए माफ़ी मांगी और पर्यावरण को बहाल करने का संकल्प लिया। एक अन्य चीनी स्वामित्व वाली खदान में एक और छोटा एसिड रिसाव पाया गया, जहाँ एक श्रमिक की मौत हो गई।
अधिकारियों ने दोनों खदानों को बंद कर दिया और दो चीनी प्रबंधकों को गिरफ़्तार कर लिया गया। आलोचकों ने चीनी कंपनियों पर सुरक्षा और पर्यावरण नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। जाम्बिया, जो पहले से ही चीन के कर्ज में डूबा हुआ है, इन घटनाओं को लेकर गुस्से में है, स्थानीय लोग अपनी ज़मीन और संसाधनों की बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
पावर डिमांड को पूरा करने के लिए 600 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता की आवश्यकता: रिपोर्ट
दिल्ली स्थित काउंसिल ऑन एनर्जी, इंवायरेंमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के मुताबिक भारत को बढ़ती बिजली मांग को विश्वसनीय और किफायती तरीके से पूरा करने के लिए 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता को 600 गीगावाट (जीडब्ल्यू) तक बढ़ाने की जरूरत है।
अध्ययन के अनुसार, यदि बिजली की मांग केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा अनुमानित दर से बढ़ती है, तो भारत की मौजूदा, निर्माणाधीन और नियोजित उत्पादन क्षमताएं 2030 में बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होंगी।
लेकिन शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि अगर जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी बढ़ने या मजबूत आर्थिक विकास के कारण बिजली की मांग मौजूदा अनुमानों से आगे निकल जाती है, तो 600 गीगावॉट गैर-जीवाश्म क्षमता का एक उच्च नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) मार्ग सबसे माकूल और व्यवहारिक समाधान प्रदान करता है। सीईईडब्ल्यू अध्ययन में कहा गया है, “इसमें 377 गीगावॉट सौर, 148 गीगावॉट पवन, 62 गीगावॉट जलविद्युत और 20 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा शामिल होगी।”
अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 600 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा के संयंत्र अगर विभिन्न राज्यों में लगाये जायें तो इससे उत्पादन लागत में 6-18 पैसे प्रति यूनिट की कमी आ सकती है और नए कोयला संयंत्रों की आवश्यकता समाप्त हो सकती है। इससे बिजली खरीद लागत में ₹13,000 करोड़ से ₹42,400 करोड़ के बीच की बचत हो सकती है और 53,000 से 100,000 अतिरिक्त नौकरियां पैदा हो सकती हैं। साथ ही वित्त वर्ष 24 की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में 9-16% की कटौती हो सकती है।
रूफटॉप सोलर से 0.13 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है धरती का तापमान: शोध
चीनी शोधकर्ताओं और सिंगापुर और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के विशेषज्ञों द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, यदि विश्वभर में सभी उपयुक्त छतों पर सौर पैनल लगाए जाएं तो पृथ्वी के तापमान में 0.13 डिग्री सेल्सियस तक की कमी आ सकती है।
यह निष्कर्ष सौर ऊर्जा के दोहरे लाभ को रेखांकित करता है: एक ओर यह नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत है, वहीं दूसरी ओर यह जलवायु परिवर्तन को कम करने में सहायक हो सकता है।
अध्ययन में बताया गया है कि सौर पैनलों की स्थापना से न केवल जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भी महत्वपूर्ण कमी आएगी। इसके अतिरिक्त, सौर पैनल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करते हैं, जिससे सतह पर पड़ने वाली गर्मी कम होती है, जो शहरी क्षेत्रों में तापमान नियंत्रण में सहायक है।
जटिल टेंडर, समझौतों में देरी से जूझ रहा अक्षय ऊर्जा सेक्टर
इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को टेंडरों की मांग में कमी, बिजली समझौतों में देरी और परियोजनाएं रद्द होने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। साल 2024 में भारत ने 73 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लिए निविदाएं जारी की थीं। हालांकि, 8.5 गीगावाट परियोजनाओं के लिए पर्याप्त खरीदार या निवेशक नहीं मिल सके। निविदा (बोली) प्रक्रिया की जटिलता और राज्यों के बीच ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना में देरी से यह परियोजनाएं आकर्षक नहीं रह गई थीं।
लगभग 40 गीगावाट ऊर्जा के लिए खरीद समझौतों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। जबकि 2020 से 2024 के बीच, 38.3 गीगावाट की परियोजनाएं रद्द हो चुकी हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे निवेशकों की रूचि कम हो सकती है और कम लागत वाली फाइनेंसिंग भी प्रभावित हो सकती है।
दिल्ली सरकार की नई ईवी पॉलिसी: 2027 तक 95% ईवी एडॉप्शन का लक्ष्य
दिल्ली की नई सरकार ने प्रस्तावित इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पॉलिसी 2.0 की घोषणा की है। योजना में 2027 तक नए पंजीकृत वाहनों में ईवी एडॉप्शन को 95% करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रस्तावित पालिसी के मुख्य बिंदुओं में सीएनजी ऑटो-रिक्शा, टैक्सियों और हल्के व्यावसायिक वाहनों (एलसीवी) को फेज आउट करने के साथ-साथ, पूर्ण रूप से इलेक्ट्रिक बसों में ट्रांज़िशन आदि शामिल हैं। नीति में इलेक्ट्रिक दो-पहिया, तीन-पहिया, एलसीवी, और ई-ट्रक की खरीद पर इंसेंटिव देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा जीवाश्म ईंधन वाहनों (आईसीई) की रेट्रोफिटिंग और स्क्रैपिंग पर भी इंसेंटिव प्रस्तावित है।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए सरकार ने अधिक सार्वजनिक चार्जिंग पॉइंट्स स्थापित करने, नई इमारतों में अनिवार्य चार्जिंग स्टेशन और फास्ट-चार्जिंग कॉरिडोर विकसित करने की योजना बनाई है। एक समर्पित राज्य ईवी फंड ग्रीन लेवी और प्रदूषण उपकर के माध्यम से इंसेंटिव का समर्थन करेगा।
बैटरी प्लांट की स्थापना में देरी के लिए रिलायंस पर लगा जुर्माना
सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की एक इकाई पर तय समय सीमा के भीतर बैटरी सेल प्लांट स्थापित करने में विफल रहने के लिए जुर्माना लगाया है। इस प्लांट के लिए कंपनी को प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) दिया गया था।
रिलायंस ने एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में घोषणा की कि इसकी सहायक कंपनी रिलायंस न्यू एनर्जी बैटरी स्टोरेज लिमिटेड को 3 मार्च को भारी उद्योग मंत्रालय से एक पत्र मिला, जिसमें कहा गया है कि देरी के लिए 1 जनवरी, 2025 से हर दिन (50 करोड़ रुपए की) परफॉरमेंस सिक्योरिटी के 0.1% की दर से जुर्माना लगाया जाएगा।
महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों पर 6% टैक्स लगाएगी महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र सरकार ने 2025-26 के बजट में 30 लाख रुपए से अधिक की लागत वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर 6 प्रतिशत टैक्स का प्रस्ताव रखा है। उप-मुख्यमंत्री और वित्तमंत्री अजीत पवार द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट में सीएनजी और एलपीजी वाहनों पर लगने वाले मोटर वाहन कर में 1% बढ़ोतरी की घोषणा की गई है।
सरकार ने कंस्ट्रक्शन वाहनों पर 7% कर का प्रस्ताव रखा है, जिससे 180 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है। जबकि ईवी और सीएनजी-एलपीजी वाहनों पर टैक्स से 2025-26 में 150 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है।
अमेरिका प्रमुख उत्सर्जकों को कोयले से हटने में सहयोग की योजना से पीछे हट रहा है: रॉयटर्स
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप (JETP) से अलग होने जा रहा है। एजेंसी ने एक “एक्सक्लूसिव” रिपोर्ट में यह बात कही है। JETP एक ऐसा सहयोग है जिसमें अमीर देश विकासशील देशों को कोयले से स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में संक्रमण में मदद करते हैं। वर्तमान में, JETP में 10 डोनर देश शामिल हैं, जिनकी घोषणा पहली बार 2021 में ग्लासगो में COP26 में की गई थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, वियतनाम और सेनेगल को बाद में ऋण, वित्तीय गारंटी और अनुदान के पहले लाभार्थी घोषित किया गया। इसमें बताया गया है कि डोनाल्ड ट्रम्प के पदभार संभालने के बाद से, अमेरिका ने “विदेशी सहायता में कटौती की है और जीवाश्म ईंधन के विकास को बढ़ावा दिया है”।
JETP के तहत इंडोनेशिया और वियतनाम के लिए अमेरिकी मदद का प्रतिबद्धता कुल मिलाकर $3 बिलियन से अधिक हो गईं, जिनमें से अधिकांश वाणिज्यिक ऋणों के माध्यम से थीं। दक्षिण अफ्रीका के लिए, देश के लिए $1.063 बिलियन से बढ़कर $11.6 बिलियन का वादा किया गया।
फ़रवरी में भारत की बिजली खपत में मामूली वृद्धि, कुल 131.54 बिलियन यूनिट
फरवरी में भारत की बिजली खपत मामूली रूप से बढ़कर 131.54 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 127.34 बीयू से अधिक रही थी। हालांकि, दोनों आंकड़े तुलनीय नहीं हैं, क्योंकि 2024 एक अधिवर्ष था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2024 में बिजली की खपत 127.34 बीयू थी। पीक डिमांड में भी वृद्धि हुई। इस साल फ़रवरी में यह 238.14 गीगावॉट रही जबकि पिछले साल इसी महीने यह 222 गीगावॉट थी। पीक पावर डिमांड पिछले साल मई के महीने में 250 गीगावॉट तक पहुंच गई थी।
इससे पहले उच्चतम पीक पावर डिमांड की 243.27 गीगावाट सितंबर 2023 में दर्ज की गई थी। सरकारी अनुमान के अनुसार, 2025 की गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग 270 गीगावाट तक पहुंचने की संभावना है। सेंट्रल इलैक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) के प्रमुख ने कहा है कि भारत बिजली की इस मांग को पूरा करना में सक्षम है। विशेषज्ञों का मानना है कि मार्च में बिजली की मांग और खपत बढ़ेगी, क्योंकि गर्मी सामान्य से अधिक के कारण पंखों, कूलरों और एयर कंडीशनरों के उपयोग अधिक होने की उम्मीद है।
ब्रिटेन ने 2030 तक तेल और गैस पर लगने वाले अप्रत्याशित कर को समाप्त करने की योजना की घोषणा की
ब्रिटिश सरकार ने नॉर्थ सी एनर्जी सेक्टर के भविष्य पर परामर्श शुरू करते हुए वर्ष 2030 में तेल और गैस के मुनाफ़े पर लगने वाले विन्डफॉल टैक्स को समाप्त करने की योजना की घोषित की है।
ऊर्जा सुरक्षा और नेट ज़ीरो विभाग (DESNZ) गुरुवार से चरणबद्ध तरीके से अपतटीय ऊर्जा संक्रमण के लिए एक योजना विकसित करने के लिए समुदायों, व्यवसायों, ट्रेड यूनियनों, श्रमिकों और हरित समूहों से बात करेगा। दो महीने का यह परामर्श नॉर्थ सी के मौजूदा बुनियादी ढांचे, प्राकृतिक संपत्तियों और विशेषज्ञता का उपयोग करके हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर और स्टोरेज, और नवीकरणीय ऊर्जा जैसी नई तकनीकों को लागू करने पर विचार करेगा।
इसके साथ ही, ट्रेजरी ने यह पुष्टि की कि ऊर्जा लाभ कर 2030 में समाप्त हो जाएगा और कहा कि भविष्य में मूल्य में उतार चढ़ाव के झटकों की संभावना से निपटने के लिए नई व्यवस्था पर अलग से परामर्श किया जायेगा। यह कर 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद ऊर्जा बिलों में वृद्धि से जूझ रहे परिवारों के लिए वित्तीय सहायता जुटाने के लिए लाया गया था।