सरकार ने वायु प्रदूषण और पर्यावरण से जुड़े नियमों को तोड़ने वालों के लिये एक माफी योजना तैयार की है। पर्यावरण के जानकार इसे पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से एक झटका और नियम तोड़ने वालों को बचाने का हथियार मान रहे हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक जिन प्रोजेक्ट के पास पर्यावरणीय अनुमति नहीं होगी उनका दोबारा मूल्यांकन होगा और नियम तोड़ने वाली कंपनी पर जुर्माना लगाया जायेगा। जानकार कहते हैं कि यह प्रोजेक्ट के आकार और प्रभाव को जाने बिना उसे वैधता देने जैसा है और गैर-कानूनी प्रोजेक्ट्स को । रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की “नई एमनेस्टी स्कीम” साल 2020 के ड्राफ्ट ईआईए नोटिफिकेशन में भी थी जिसमें परियोजनाओं को “निर्माण के बाद” अनुमति देने का प्रावधान था। इस ईआईए नोटिफिकेशन की खूब आलोचना हुई थी।
सरकार के नये प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई प्रोजेक्ट नियमों की अवहेलना करके बना है लेकिन और “मंज़ूरी देने योग्य” है तो उसे अपने संशोधन प्लान की लागत के बराबर बैंक गारंटी जमा करनी होगी। इसके अलावा नेचर और समुदाय के लिये संसाधनों को बढ़ाने का प्लान जमा करना होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार का कहना है कि सरकार की नई योजना नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश का पालन करने के लिये है जिसमें “पहले हुये नियमों के उल्लंघन पर संबंधित अधिकारी प्रदूषण करने वाला जुर्माना भरे के सिद्धांत पर कार्रवाई के लिये स्वतंत्र हैं।”