समुद्री हलचल: समंदर में बढ़ रही गर्मी का असर मध्य भारत की बारिश पर दिख रहा है। फोटो: Scimex

हिन्द महासागर में समुद्री गर्म हवाओं के कारण मध्य भारत में मॉनसून की बारिश कम: रिसर्च

हिन्द महासागर के ऊपर तापमान में बहुत अधिक बढ़ोतरी मध्य भारत में कम बरसात का कारण बन रही है जबकि दक्षिण प्रायद्वीप में इसके कारण अधिक बारिश हो रही है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रिलॉजी के जलवायु परिवर्तन शोध विभाग की एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। इस रिसर्च के मुताबिक 1982 से 2018 के बीच पश्चिमी हिन्द महासागर इलाके में समुद्री हीटवेट की संख्या 1.5 प्रति दशक की दर से बढ़ी है। बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्से में समुद्री हीटवेव की संख्या 0.5 प्रति दशक बढ़ी है। 

शोध के मुताबिक इस दौरान पश्चिमी हिन्द महासागर क्षेत्र में 66 मरीन हीटवेव हुईं जबकि बंगाल की खाड़ी में कुल 94 हीटवेव दर्ज की गईं। यह स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले सालों में यह घटनायें और बढ़ेंगी। इस बीच एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि उत्तरी हिन्द महासागर में बहुत विनाशकारी चक्रवातों की संख्या बढ़ रही है। विशेष रूप से मई के महीने में। 

कोरल रीफ के लिये 1.5 डिग्री की तापमान वृद्धि विनाशकारी होगी: अध्ययन  

एक नये अध्ययन में यह बात पुष्ट हुई है कि दुनिया में बची हुई कोरल रीफ के लिये धरती की 1.5 डिग्री तापमान वृद्धि “विनाशकारी” होगी। अभी 84% कोरल रीफ उन जगहों पर हैं जहां वह समुद्री गर्म हवाओं का सामना कर सकती हैं। अध्ययन में चेतावनी दी गयी है कि अगर तापमान वृद्धि 1.5 तक हो गई तो यह प्रतिशत 0.2 रह जायेगा और 2 डिग्री की तापमान वृद्धि में तो सारे कोरल रीफ नष्ट हो जायेंगे।

ईएनएसओ परिवर्तनशीलता और वार्मिंग में वृद्धि के साथ समवर्ती क्षेत्रीय सूखे का बढ़ा जोखिम

नए शोध का अनुमान है कि 21वीं सदी के अंत तक “कंपाउंड ड्राउट” की संभावना 60% अधिक हो सकती है। शोधकर्ताओं ने हाई-एमिशन RCP8.5 परिदृश्य का उपयोग करते हुए, दस वैश्विक क्षेत्रों में, बोरियल गर्मी के दौरान मिश्रित सूखे के जोखिम में भविष्य के परिवर्तनों की जांच के लिए कई बड़े सिमुलेशन चलाए। उन्होंने पाया कि उत्तरी अमेरिका और अमेज़ॅन को सूखे के जोखिम में ‘अनुपातिक वृद्धि’ दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि सूखे की आवृत्ति में वृद्धि से कृषि क्षेत्र और जनसंख्या पर गंभीर मिश्रित सूखे का खतरा नौ गुना  अधिक होगा। यह अध्ययन मिश्रित सूखे के जोखिम में एल नीनो दक्षिणी दोलन की भूमिका का भी विश्लेषण करता है।

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