पिछले हफ्ते खान मंत्रालय के कहा कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी जीएसआई को जम्मू-कश्मीर राज्य में 59 लाख टन ‘संभावित’ लीथियम का भंडार मिला है। सरकार ने दावा किया लीथियम का भंडार ‘पहली बार’ पाया गया है हालांकि द टेलीग्राफ में प्रकाशित ख़बर में जीएसआई के दो भूविज्ञानियों की 1999 की रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिससे पता चलता है कि यह नब्बे के दशक में इस खनिज के बारे में जानकारी थी। टेलीग्राफ को दिए बयान में खनन मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा, “यह खोज जीएसआई के पहले किये गये शोध के आधार पर हुई है।”
लीथियम का यह भंडार रियासी ज़िले के सलाल गांव में मिला है। लीथियम एक दुर्लभ खनिज है जो बैटरी बनाने में इस्तेमाल होता है और इस भंडार के कारण विद्युत वाहनों की दुनिया में भारत बहुत आगे निकल सकता है। अभी भारत अपनी ज़रूरत का शत-प्रतिशत लीथियम आयात करता है। लीथियम इलैक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के लिये ही ज़रूरी खनिज नहीं बल्कि कैमरा और मोबाइल फोन बैटरियों के निर्माण के लिये भी आवश्यक है।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक 2017 और 2020 के बीच ही देश में कोई 165 करोड़ बैटरियों का आयात हुआ जिसमें 330 करोड़ डॉलर विदेशी मुद्रा खर्च हुई। लेकिन अभी जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार में खनिज को ‘संभावित’ लीथियम कहा गया है जो कि खनिज की एक उपश्रेणी है। संभावित का अर्थ है कि अभी खनिज की मात्रा और गुणवत्ता के बारे में भूविज्ञानियों को आत्मविश्वास कम है। आने वाले दिनों में खनन क्षेत्र से अधिक जानकारी इकट्ठा कर इस बारे में बताया जायेगा।
लिथियम-आयन बैटरी के उत्पादन के लिए आवश्यक मशीनरी पर सीमा शुल्क माफ
सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण हेतु आवश्यक पूंजीगत माल और मशीनरी के आयात पर सीमा शुल्क हटा दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट भाषण में कहा कि हरित परिवहन को बढ़ावा देने के लिए यह छूट देने का निर्णय लिया जा रहा है।
वित्तमंत्री ने कहा अर्थव्यवस्था को सतत विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए सरकार 4 गीगावाट-ऑवर क्षमता वाले बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीएएसएस) को वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) से सहायता प्रदान करेगी। पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए एक विस्तृत रूपरेखा भी तैयार की जाएगी।
विशेषज्ञों ने लिथियम आयन बैटरी के उत्पादन को कस्टम ड्यूटी से मुक्त करने के कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे घरेलू क्षमता की वृद्धि में मदद मिलेगी, जो पहले कम आपूर्ति के कारण आयात पर निर्भर थी। साथ ही इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में भी विस्तार होगा।
चंडीगढ़ में गैर इलैक्ट्रिक वाहनों के पंजीयन पर रोक
चंडीगढ़ में केंद्र शासित प्रशासन ने 10 फरवरी से उन्हीं दोपहिया वाहनों के पंजीयन की अनुमति दी है जो इलैक्ट्रिक होंगे। यानी पेट्रोल से चलने वाले टू-व्हीलर्स के पंजीकरण पर रोक लगा दी गई है। सरकार ने यह फैसला अपनी ईवी नीति को लागू करने के लिये किया है जिसे पिछले साल सितंबर में नोटिफाइ किया गया था। इसके तहत पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को धीरे-धीरे कम करना है और रोड टैक्स में छूट देकर इलैक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को प्रोत्साहित करना है। हालांकि 1 अप्रैल (नये वित्तीय वर्ष से) कुछ शर्तों के तहत पेट्रोल से चलने वाले तिपहिया फिर से रजिस्टर हो सकेंगे।
सब्सिडी में घपले के आरोप के बीच ई-बसों पर सरकार ने की ये घोषणा
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी बढ़ाने के दूसरे चरण (फेम-2) के तहत सरकार ई-बसों को आवंटित सब्सिडी फंड में बढ़ोतरी कर सकती है। इकोनोमिक टाइम्स ने सूत्रों को हवाले से यह ख़बर प्रकाशित की है। महत्वपूर्ण है कि इस कदम पर विचार ऐसे वक्त हो रहा है जब दर्जन भर इलैक्ट्रिक दुपहिया निर्माता कंपनियों पर घपले का आरोप है। इस बात की जांच हो रही है कि क्या इन कंपनियों ने गलत जानकारी देकर इंसेंटिव (प्रोत्साहन राशि) ली।
फेम-2 के तहत सरकार ने 7000 बसों, 55,000 यात्री कारों के साथ 5 लाख तिपहिया और 10 लाख दुपहिया वाहनों की खरीद को प्रोत्साहन देने के लिये 10,000 करोड़ का बजट रखा था। अधिकारी कहते हैं कि टू-व्हीलर सेगमेंट में 80 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है और अब फोकस ई-बसों पर लगाया जा रहा है। इसके अलावा ख़बर यह भी है कि जहां सरकार ने फेम-2 के लिये वित्तीय वर्ष 2023-24 में बजट को दोगुना किया है वहीं ऑटो इंडस्ट्री सब्सिडी को और एक्सटेंशन देने की मांग कर रही है।
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