बंजर होती ज़मीन: कीटनाशकों के इस्तेमाल, बाढ़ और तेज़ आंधियों के अलावा सूखे और जंगलों के कटान से ज़मीन ख़राब होती जा रही है। फोटो – Excavate.in

बंजर होती ज़मीन को बचाने के लिये संयुक्त राष्ट्र की बैठक

दुनिया भर की ज़मीन तेज़ी से बंजर हो रही है और इसे लेकर विश्व के तमाम देशों का दो हफ्ते का सम्मेलन सोमवार को राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में शुरू हुआ। संयुक्त राष्ट्र के इस विशेष सम्मेलन की अध्यक्षता भारत कर रहा है और इसमें 190 से अधिक देश हिस्सा ले रहे हैं। पूरी दुनिया में करीब 13200 करोड़ हेक्टेयर ज़मीन है जिसमें से लगभग एक तिहाई (400 करोड़ हेक्टेयर) ज़मीन मरुस्थलीय हो चुकी है। 

हमारे देश में कुल उपलब्ध क्षेत्रफल है लगभग 33 करोड़ हेक्टेयर। इसमें से लगभग 10 करोड़ हेक्टयेर ज़मीन मरुस्थल या बंजर हो चुकी है। इस ज़मीन को कृषि या बागवानी के लिये इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ज़मीन के अति दोहन, कीटनाशकों के इस्तेमाल और बाढ़ और तेज़ आंधियों के अलावा सूखे और जंगलों के कटान से ज़मीन ख़राब होती है। इसे उपजाऊ बनाने के लिये जैविक खेती को अपनाने और बेहतर जल प्रबंधन के साथ पेड़ लगाने जैसे कदम कारगर हो सकते हैं। 

भारत सरकार ने यह वादा किया है  वह अगले 10 सालों में 50 लाख हेक्टेयर ज़मीन को उपजाऊ बनायेगी। महात्मा गांधी की जन्मशती के 150 वें साल में सरकार कह रही है कि वह गांधी के जन्मस्थल पोरबंदर से दिल्ली तक एक हरित पथ बनायेगी। यह बात ध्यान देने की है कि सरकार ने 2015 में कहा था कि वह 130 लाख हेक्टेयर ज़मीन 2020 तक उपजाऊ बनायेगी और अगले 10 साल में यानी 2030 तक 80 हेक्टेयर ज़मीन और सुधारेगी।

गांधी जयंती से लगेगी सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक

पूरे देश में 2 अक्टूबर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के तहत आने वाले 6 आइटम बैन हो जायेंगे। सरकार 2022 तक प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगाना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्लास्टिक के बैग, कप, प्लेट्स, छोटी बोतलें, सेशे और स्ट्रॉ पर पाबंदी का ऐलान करेंगे जिसके बाद इनके उत्पादन, आयात, विक्रय और और इस्तेमाल पर रोक होगी। कुछ राज्यों ने प्लास्टिक बैग पर पहले ही पाबंदी लगाई हुई है।   

G-7: धधकते अमेज़न पर ब्राज़ीली राष्ट्रपति के नख़रे

विनाशकारी आग से धधकते अमेज़न ने सारी दुनिया को चिन्ता में डाला हुआ है लेकिन हाल में G-7 सम्मेलन के दौरान ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो के रुख में किसी तरह का अफसोस नहीं दिखा। जब इस आग को बुझाने के लिये ब्राज़ील को 2 करोड़ डॉलर की मदद देने के प्रस्ताव स्वीकार किया गया तो बोल्सनारो ने पहले इल मदद को यह कहकर ठुकरा दिया कि यूरोपीय देश ब्राज़ील के साथ एक उपनिवेश जैसा तरह बर्ताव कर रहे हैं और अमेज़न के जंगलों में क़ब्ज़ा करना चाहते हैं। बाद में ब्राज़ील ने यह कहकर मदद स्वीकार की इस रकम को किस तरह इस्तेमाल किया जाये यह उनकी सरकार तय करेगी।

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