सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसके तहत 15 साल से अधिक पुराने डीज़ल वाहनों और 10 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर पाबंदी लगाई गई थी। NGT के 2016 में दिये आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। केंद्र सरकार ने अदालत में तर्क दिया कि किसी वाहन की मियाद तय करना केंद्र सरकार के हाथ में है और किसी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन को मोटर वाहन एक्ट के तहत ही रद्द किया जा सकता है।
इससे पहले 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने डीज़ल वाहनों की छंटनी करने का आदेश दिया था। उस वक्त सरकार ने तर्क दिया था कि ये वाहन कम ईंधन पर चलते हैं और पेट्रोल वाहनों के मुकाबले 15 % कम CO2 छोड़ते हैं। बाद में पता चला कि पेट्रोल वाहनों के मुकाबले डीज़ल वाहन कहीं अधिक SOx और NOx हवा में छोड़ते हैं। इस लिहाज़ से कोर्ट के आखिरी फैसले पर सबकी नज़र है।
मुंबई ने अब तक नहीं दिया साफ हवा को रोड मैप!
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत भारत की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई ने अब तक अपना प्लान नहीं बताया है। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम इस साल की शुरुआत में लॉन्च किया गया जिसमें देश के 102 शहरों को केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (CPCB) को बताना है हवा को साफ करने के लिये वह क्या कदम उठायेंगे। इन शहरों को 2024 तक प्रदूषण (PM 2.5, PM 10 इत्यादि) में कम से कम 30% कटौती करनी है। अब तक 90 से अधिक शहरों ने अपना रोड मैप बोर्ड को बता दिया है लेकिन नासिक, मुंबई और शोलापुर समेत 10 शहरों ने अब तक इस बारे में खाका कोर्ट में जमा नहीं किया है।
हाल में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 20 अन्य शहरों को NCAP में जोड़ने को कहा था जिसके बाद अब शहरों की संख्या 122 हो गई है। जानकार कहते हैं कि मुंबई की ओर से अब तक रोड मैप जमा न किया जाना निराशाजनक है क्योंकि मायानगरी की हवा तो राजधानी दिल्ली की हवा से भी अधिक ज़हरीली हो चुकी है।
महाराष्ट्र को प्रदूषण के खिलाफ युद्ध स्तर पर जुटना होगा: क्लाइमेट ट्रेंड
पर्यावरण पर काम कर रही संस्था क्लाइमेट ट्रेंड की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि महाराष्ट्र को वायु प्रदूषण से लड़ने के लिये युद्ध स्तर पर काम करना होगा। “Unknown Hurdles to a Trillion Dollar Economy: Solving Air Pollution in Maharashtra” नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट में अब तक हुये तमाम शोध कार्यों का अध्ययन कर पता लगाने की कोशिश की गई है कि राज्य में प्रदूषण के मुख्य स्रोत क्या हैं। राज्य में 50% वायु प्रदूषण के लिये उद्योग, पानी और हवाई जहाज का धुंआं, बायोमास और हवा के साथ उड़ने वाली धूल ज़िम्मेदार है। इसके बाद 30% हिस्सा वाहनों की वजह और बाकी 20% के लिये भवन निर्माण या उन्हें गिराये जाने से हो रहा प्रदूषण ज़िम्मेदार है।
रिपोर्ट बताती है कि 50 साल में वाहनों की संख्या 11,000% बढ़ी है और राज्य में 15,000 ईंट के भट्टों पर प्रदूषण नियमों को लेकर कोई निगरानी नहीं है। इसकी अलावा राज्य भर में हरे भरे इलाकों में पेड़ काटकर भवन निर्माण चल रहा है जिससे वायु प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा है।
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