सौर पैनलों के निर्माण के लिए चीन से आयातित एल्यूमीनियम फ्रेम की भारत ने एंटी-डंपिंग जांच शुरू की है।

ग्रीन हाइड्रोजन के प्रयोग और निर्यात पर आदेश जारी कर सकती है भारत सरकार

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने कहा है कि सरकार देश में हरित हाइड्रोजन के उपयोग पर एक आदेश जारी कर सकती है। मंत्रालय के साचिव भूपिंदर सिंह भल्ला ने कहा कि हाइड्रोजन मिशन में ऐसा आदेश जारी करने के लिए प्रावधान है।

सरकार पहले यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वह उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उद्योग को कुल मांग का स्पष्ट ब्यौरा दे सकती है। समय के साथ संबंधित मंत्रालयों और क्षेत्रों के परामर्श से इस पर निर्णय लिया जाएगा, भल्ला ने कहा।

उन्होंने यह भी कहा कि मिशन के तहत 2030 तक नियोजित ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में से लगभग 70 प्रतिशत निर्यात के लिए होगा।

सूत्रों के अनुसार भारत ने यूरोपीय संघ और सिंगापुर को प्रति वर्ष 11 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक हरित हाइड्रोजन निर्यात करने के संभावित सौदे पर चर्चा की है, जो बदले में इन भारतीय स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करेंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार द्विपक्षीय समझौतों पर विचार करेगी, जिसके तहत दूसरे देश हरित हाइड्रोजन के उत्पादन से जुड़े कार्बन क्रेडिट का उपयोग कर सकेंगे।

भारत ने शुरू की सौर पैनलों के लिए चीन से आयातित एल्यूमीनियम फ्रेम की एंटी-डंपिंग जांच

भारत ने एक घरेलू निर्माता की शिकायत के बाद चीन से सौर पैनलों के निर्माण के लिए आयातित एल्यूमीनियम फ्रेम की एंटी-डंपिंग जांच शुरू की है। वाणिज्य मंत्रालय का व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) चीन में उत्पादित या वहां से आयात किए गए ‘सौर पैनल/मॉड्यूल के लिए एल्यूमीनियम फ्रेम’ की कथित डंपिंग की जांच कर रहा है। 

जांच के लिए आवेदन विशाखा मेटल्स ने किया था, जिसका आरोप है कि यह उत्पाद चीन द्वारा भारत में लंबे समय तक भारी मात्रा में डंप कीमतों पर निर्यात किया जाता रहा है और इससे घरेलू उद्योग पर असर पड़ रहा है।

यदि जांच में पाया जाता है कि इस डंपिंग से घरेलू निर्माताओं को वास्तविक क्षति हुई है, तो डीजीटीआर इन आयातों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा।

विकासशील देशों को ऊर्जा बदलाव के लिए तत्काल चाहिए निवेश: यूएन

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटाड) ने एक अपील जारी कर कहा है कि विकासशील देशों को एनर्जी ट्रांजिशन के लिए निवेश आकर्षित करने हेतु तत्काल सहायता की जरूरत है।

अंकटाड द्वारा हाल ही में प्रकाशित “विश्व निवेश रिपोर्ट 2023” से पता चलता है कि नवीकरणीय ऊर्जा में अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय निवेश विकसित देशों पर केंद्रित है। 2015 के पेरिस समझौते के बाद से यह निवेश लगभग तीन गुना हो गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, विकासशील देशों को नवीकरणीय ऊर्जा में लगभग 1.7 ट्रिलियन डॉलर के सालाना निवेश की जरूरत होती है। जबकि 2022 में वे स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए केवल $544 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित कर सके।

विकासशील देशों में ऊर्जा बदलाव के लिए आवश्यक कुल धनराशि काफी बड़ी है और इसमें पावर ग्रिड, ट्रांसमिशन लाइन, भंडारण और ऊर्जा दक्षता में निवेश शामिल है।

इरेडा ने इस साल मंजूर किए 36% अधिक लोन

भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) ने कहा है कि उसने पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) की तुलना में इस बार 36.23 प्रतिशत अधिक लोन  मंजूर किए हैं, जिनकी कुल राशि 32,586 करोड़ रुपए है।

कंपनी ने पिछले वित्तीय वर्ष में 21,639 करोड़ रुपए के लोन वितरित किए थे, जो उसके पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक था।

इरेडा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के तत्वावधान में संचालित होने वाली एक पब्लिक सेक्टर यूनिट है। साल 2022-23 के वार्षिक खातों को इसकी 36वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में अपनाया गया।

शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) प्रदीप कुमार दास ने कहा कि इस साल इरेडा द्वारा मंजूर किए गए लोन, उनका संवितरण, लोन बुक, मुनाफा और निवल मूल्य अब तक का सबसे अधिक रहा है।

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