इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन में पाया कि वायु प्रदूषण और उसमें मौजूद प्रदूषण के महीन कण जिन्हें हम पीएम 2.5 के नाम से जानते हैं उनके लम्बे समय तक संपर्क में रहने से एनीमिया का खतरा बढ़ सकता है। खून की कमी और एनीमिया भारत की औरतों में एक गंभीर समस्या है।
भारत में 15 से 49 वर्ष की आयु की करीब 53.1 फीसदी महिलाएं और युवतियां ऐसी हैं जो इसकी शिकार हैं।सिर्फ यही नहीं, भारत में जितनी फीसदी महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त है वो वैश्विक औसत से भी 20 फीसदी ज्यादा है। आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत उन देशों में शामिल हैं जहां 15 से 49 वर्ष की युवतियों और महिलाओं में एनीमिया का प्रसार सबसे ज्यादा है। शोध में यह बात भी सामने आयी की शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में एनीमिया का प्रसार कहीं ज्यादा है। राज्यों में भी जहां नागालैंड में 22.6 फीसदी 15 से 49 वर्ष की महिलाएं और युवतियां एनीमिया से ग्रस्त थी वहीं झारखंड में यह आंकड़ा 64.4 फीसदी तक दर्ज किया गया था।
दिल्ली-गाजियाबाद-गुरुग्राम सहित 9 शहरों में खराब हुई वायु गुणवत्ता
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 05 अक्टूबर 2022 को जारी एयर क्वालिटी ट्रैकर रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 153 शहरों में से 48 में हवा ‘बेहतर’ रही, जबकि 60 शहरों की श्रेणी ‘संतोषजनक’, 36 में ‘मध्यम’ रही। वहीं 9 शहरों बद्दी (229), दिल्ली (211), धारूहेड़ा (215), गाजियाबाद (248), ग्रेटर नोएडा (234), गुरुग्राम (238), खुर्जा (211), नोएडा (215) और पानीपत (221) में वायु गुणवत्ता खराब रही।
देश के 153 शहरों में गाजियाबाद की हवा सबसे ज्यादा खराब थी जहां प्रदूषण का स्तर 248 दर्ज किया गया, वहीं शिवसागर में हवा सबसे ज्यादा साफ थी।
दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 211 दर्ज किया गया है और दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में है। देश के अन्य प्रमुख शहरों में जैसे मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 75 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है। जबकि कोलकाता में यह इंडेक्स 40, चेन्नई में 129, बैंगलोर में 104, हैदराबाद में 74, जयपुर में 114 और पटना में 43 दर्ज किया गया।
फ्लाई-ऐश से संबंधित शटडाउन से पिछले तीन वर्षों में हुआ 17 बिलियन यूनिट से अधिक बिजली का नुकसान
हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि फ्लाई ऐश यानी कोयला बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख – जो कि प्लांट से होना वाला एक प्रमुख प्रदूषण भी है – ने भारत में 17.6 अरब यूनिट बिजली उत्पादन का नुक़सान किया है। मंथन अध्ययन केंद्र के आशीष सिन्हा और सेहर रहेजा द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि 2019 और 2022 के बीच, देश में राख से संबंधित मुद्दों के कारण थर्मल पावर प्लांट बंद होने से 17,625.46 एमयू (80% की बिजली उत्पादन क्षमता के आधार पर की गई गणना) बिजली उत्पादन का घाटा हुआ है।
अध्ययन के अनुसार, इन वर्षों में 17 बिजली इकाइयां एक महीने से अधिक समय तक बंद रहीं, उनमें से कुछ को बार-बार बंद किया गया था, और पांच यूनिट एक बार में 100 दिनों से अधिक के लिए बंद थीं। यह विश्लेषण केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की दैनिक उत्पादन रिपोर्ट (डीजीआर) के आंकड़ों पर आधारित है।
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