भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर दी जाने वाली सब्सिडी बिक्री मूल्य का 40% से घटाकर 15% कर दिया है। नई दर 1 जून के बाद पंजीकृत किए गए वाहनों पर लागू होगी। सरकार की मंशा अधिक संख्या में वाहनों को सब्सिडी प्रोग्राम के अंतर्गत लाने की है। लेकिन इससे इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की प्रति यूनिट कीमतें काफी बढ़ोत्तरी होगी।
केंद्र सरकार ₹10,000 करोड़ की फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम इंडिया) प्रोत्साहन योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ‘प्रति यूनिट सब्सिडी मौजूदा स्तर पर जारी रहती तो इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए आवंटित राशि अगले दो महीनों में समाप्त हो जाती’। वहीं मौजूदा प्रतिशत घटा कर करीब 10 लाख अतिरिक्त वाहनों को फेम इंडिया के तहत सब्सिडी दी जा सकती है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यदि सब्सिडी में कटौती से फेम योजना अधिक समय तक चल सकती है तो ईवी उद्योग इसके लिए तैयार है।
लेकिन एक अन्य रिपोर्ट में ईवी उद्योग से जुड़े लोगों के हवाले से कहा गया कि सरकार का यह कदम बाजार के लिए हानिकारक हो सकता है जो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी बढ़ाने में बाधा उत्पन्न करेगा।
भारत में ईवी की संख्या 1%, धीमी गति के कारण कंपनियां नहीं कर पा रहीं प्रगति
एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में ईवी की बिक्री दर (हल्के वाहनों की कुल बिक्री के मुकाबले) केवल 1.1 प्रतिशत रही, जबकि एशिया के लिए यह औसत दर 17.3 प्रतिशत थी।
चीन 27.1 प्रतिशत की दर के साथ पहले पायदान पर है, और धीमी शुरुआत के बाद दक्षिण कोरिया में भी यह दर 10.3 प्रतिशत हो चुकी है।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार होने की वजह से भारत में इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के लिए संभावनाएं बहुत हैं, लेकिन धीमी घरेलू प्रगति के कारण कोई भी भारतीय कंपनी निकट भविष्य में वैश्विक स्तर पर बड़ी हिस्सेदारी लेती नहीं दिख रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पिछले 12 महीनों में देश में ईवी की बिक्री कुल हल्के वाहनों की बिक्री का 2 प्रतिशत से भी कम रही’। साथ ही भारत में 90 प्रतिशत ईवी दोपहिया और तिपहिया वाहन हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी ईवी अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा’।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में 30 प्रतिशत वाहन इलेक्ट्रिक होने चाहिए।
इलेक्ट्रिक कारें करती हैं अधिक उत्सर्जन: आईआईटी शोध का दावा
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि इलेक्ट्रिक कारें, हाइब्रिड और पारंपरिक अंतर्दहन इंजन (आईसीई) कारों की तुलना में 15 से 50 प्रतिशत अधिक ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण, उपयोग और स्क्रैपिंग से हाइब्रिड और पारंपरिक इंजन कारों की तुलना में कहीं अधिक उत्सर्जन होता है। अध्ययन में कहा गया कि बैटरी वाहनों को चार्ज करना होता है, और फ़िलहाल देश में 75% से अधिक बिजली जीवाश्म ईंधन से बनती है।
रिपोर्ट में बताया गया है की हाइब्रिड कारें सबसे अधिक इको-फ्रेंडली होती हैं और यदि सरकार साफ़ ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना चाहती है तो उसे हाइब्रिड कारों पर अधिक टैक्स को कम करना चाहिए।
वहीं इंग्लैंड में एक अध्ययन में पाया गया है कि बैटरी पैक के अतिरिक्त वजन के कारण भारी इलेक्ट्रिक कारों के टायरों से अधिक सूक्ष्म कण निकलकर वातावरण में प्रवेश करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विकसित देशों में इस प्रकार का नॉन-एग्जॉस्ट उत्सर्जन, पेट्रोकेमिकल कारों के एग्जॉस्ट उत्सर्जन से अधिक होगया है।
हालांकि अमेरिका की एनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) इन दावों को ख़ारिज करती है। ईपीए के अनुसार भले ही इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण में अधिक उत्सर्जन होता हो, लेकिन टेल-पाइप एमिशन न होने के कारण वह अपने जीवनकाल में पारंपरिक कारों की अपेक्षा कम उत्सर्जन होता है। वहीं चार्जिंग में होने वाले उत्सर्जन को कम करने का सीधा उपाय यह है कि बिजली का उत्पादन गैर-जीवाश्म स्रोतों से किया जाए।
ईवी निर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए वाहन निर्माता 10 अरब डॉलर का निवेश करेंगे
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारतीय वाहन निर्माता करीब 10 अरब डॉलर या 80,000 करोड़ रुपए का निवेश करने पर विचार कर रहे हैं।
यह निवेश ईवी इकोसिस्टम के लिए एक मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने के लिए किया जाएगा। पूंजीगत व्यय का आवंटन ईवी के लिए ग्रीन फील्ड प्लांट बनाने, बैटरी प्लांट में बेहतर शोध और निवेश और ग्रिड चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को सपोर्ट करने के लिए किया जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य है लगभग बीस लाख वाहनों का निर्माण करने की क्षमता विकसित करना, जिसे 2030 तक बढ़ाकर 72-75 लाख यूनिट की क्षमता तक पहुंचाया जाए। दोपहिया वाहन निर्माता लगभग 1.5 करोड़ ईवी मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं।
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