इस साल के आर्थिक सर्वे ने भले ही 2030 तक साफ ऊर्जा के क्षेत्र में 33000 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी करीब 23 लाख करोड़ रुपये के निवेश की सलाह दी हो लेकिन बजट में निवेश को बढ़ाने के लिये किसी तरह के पैकेज का ऐलान नहीं किया गया है। इससे साफ ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियां निराश हैं। साफ ऊर्जा के विस्तार के लिये भी बजट में केवल 108 करोड़ की बढ़ोतरी की गई है जो करीब 2 प्रतिशत ही है। बड़े स्तर पर लगने वाले सोलर प्लांट के लिये कुछ उत्साहवर्धन ज़रूर है लेकिन पवन ऊर्जा के बजट में 3 प्रतिशत कटौती की गई है। यह हैरान करने वाला है कि साफ ऊर्जा मंत्रालय भले ही साल 2030 तक 5,00,000 मेगावॉट साफ ऊर्जा के संयंत्र लगाने की बात करता है लेकिन बजट में बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को साफ ऊर्जा की श्रेणी में नहीं गिना गया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि लगातार दूसरे साल नेशनल क्लीन एनर्जी फंड से कोई रकम योजनाओं के लिये नहीं दी गई है।
सरकार करेगी बीमार पड़ी UDAY योजना की मदद
बजट में यह अंदाज़ा लगता है कि सरकार पावर वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की सुविधा के लिये चलाई जा रही UDAY योजना को दुरस्त करना चाहती है। कर्ज़ से जूझ रही डिस्कॉम को राहत देने के लिये UDAY योजना 2015 में शुरू की गई थी लेकिन इस योजना की काफी आलोचना हुई है। पिछले महीने रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि कंपनियों के कुल कर्ज मार्च 2020 तक 2.28 लाख करोड़ हो जायेंगे। इस साल मार्च में यह आंकड़ा 2.28 लाख करोड़ और मार्च 2018 में करीब 1.85 लाख करोड़ था। UDAY योजना की शुरुआत के बाद वितरण कंपनियों के कर्ज 2.75 लाख करोड़ से 1.94 लाख करोड़ ज़रूर हुये लेकिन जल्दी ही हाल फिर बिगड़ने लगे। अब हाल यह है कि साफ ऊर्जा का भविष्य ही ख़तरे में दिख रहा है। मिसाल के तौर पर राजस्थान में 3 डिस्कॉम कंपनियों पर कुल 843 लाख करोड़ बकाया हो गया है।
जगन मोहन रेड्डी ने केंद्र को दिखाया अंगूठा, बिजली खरीद करार रिव्यू होंगे
राज्य की कमान संभालने के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने फैसला किया है कि पावर कंपनियों से साफ ऊर्जा क्षेत्र में किये गये बिजली खरीद अनुबंधों में बदलाव होगा। रेड्डी का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू सरकार ने पावर कंपनियों से जो बिजली खरीद समझौते किये है उससे राज्य सरकार को 2,636 करोड़ का सालाना घाटा हो रहा है। रेड्डी ने विचाराधीन बिजली खरीद समझौतों को भी रद्द कर दिया है। इससे पहले केंद्रीय साफ ऊर्जा मंत्रालय के सचिव अनंत कुमार ने कहा था कि राज्य सरकार को बिजली खरीद समझौतों में बदलाव नहीं करना चाहिये क्योंकि इससे निवेशकों का भरोसा डगमगायेगा।
सोलर: पहली तिमाही में आयात 40% गिरा
आंकड़े बताते हैं कि 2019 की पहली तिमाही में भारत का सोलर पैनलों का आयात 40% गिर गया। इससे संकेत मिलता है कि देश में साफ ऊर्जा अभियान पटरी से उतर सकता है। मरकॉम इंडिया का विश्लेषण बताता है कि इस साल जनवरी से मार्च के बीच सौर ऊर्जा के कारोबार से जुड़े उपकरणों का आयात करीब 4500 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल की पहली तिमाही में यही आंकड़ा 7600 करोड़ रुपये था। चीन अब भी भारत के लिये बड़ा निर्यातक है लेकिन कुल व्यापार में 47% गिरावट आ गई। आयात में इस गिरावट के पीछे पिछले साल सरकार द्वारा लगाई गई 25 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी है जिसका मकसद देश के भीतर उत्पादन को बढ़ाना देना था।
दिल्ली पुलिस ने अपनाया क्लीन एनर्जी का रास्ता
दिल्ली पुलिस ने ऐलान किया है कि वह अपने सभी थानों और दफ्तरों पर सोलर पैनल लगायेगी। दिल्ली पुलिस का यह कदम बिजली का खर्च कम करने और साफ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये है। दिल्ली पुलिस सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी SECI की मदद से अपने 200 भवनों में सोलर पैनल लगायेगी। इस मुहिम के तहत दिल्ली पुलिस के भवनों में कुल 3 से 4 मेगावॉट सौर ऊर्जा के पैनल लगेंगे।
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