एक ओर क्लाइमेट साइंटिस्ट कह रहे हैं कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिये जीवाश्म ईंधन का प्रयोग तेज़ी से कम करने की ज़रूरत है लेकिन दूसरी ओर बड़ी कंपनियां ऐसे खनन बढ़ा रही हैं जिनके ग्लोबल वॉर्मिंग कई स्तर पर बढ़ेगी। मल्टीनेशनल माइनिंग कंपनी ग्लेनकोर प्लेक ऑस्ट्रेलिया के मीथेन हॉट-स्पॉट कहे जाने वाले क्षेत्र में कोयला खनन कर रही है जिससे पर्यावरण को बड़ा खतरा होगा। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हेल क्रीक खनन क्षेत्र से – जहां कंपनी कोल माइनिंग का विस्तार करना चाहती है – हर साल इतना मीथेन उत्सर्जित हो सकता है जितना धरती पर लाखों कारों के चलते से होता है। मीथेन सबसे खतरनाक ग्रीन हाउस गैसों में है।
प्रचुर मीथेन गैस वाले इस क्षेत्र में खनन विस्तार कर रही ग्लेनकोर का कहना है कि कोयला माइनिंग के दौरान रिसने वाली मीथेन को रोकने का कोई विश्वसनीय तरीका उपलब्ध नहीं है। पर्यावरण विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे हालात में इन जगहों पर किसी तरह के नये खनन की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिये।
गैरकानूनी कोयला खनन: ईसीएल ने की कार्रवाई
कोयला स्मगलिंग मामले में ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) कर्मचारियों की कोलकाता में हुई गिरफ्तारी के बाद अब कंपनी ने पश्चिम बर्धमान, पुरुलिया और बांकुरा ज़िलों में कार्रवाई की है। ईसीएल ने अपने केंद्रीय औद्योगिक पुलिस फोर्स (सीआईएसएफ) के साथ मिलकर एक टास्क फोर्स बनाई है और गैरकानूनी खनन और कोयले की चोरी वाले संभावित क्षेत्रों को बन्द किया है।
सीबीआई ने नवंबर 2020 में कोयला चोरी और स्मगलिंग और कई कर्मचारियों की मिलीभगत की सूचना के बाद पड़ताल शुरू की थी और पिछले बुधवार को कंपनी के पूर्व कर्मचारियों समेत कुछ 7 लोगों को कोल स्मगलिंग के आरोप में गिरफ्तार किया। बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी से भी जांच एजेंसियों ने इस बारे में पूछताछ की है। अब ईसीएल ने अपने अधिकार क्षेत्र में खनन वाले इलाकों में यह कार्रवाई की है।
कोयला क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये कई कदम उठाये: शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि सरकार ने देश को कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भर करने के लिये कई नीतिगत सुधार किये हैं। शाह ने कहा कि बिना सही माइनिंग पॉलिसी के देश का विकास संभव नहीं है और 8.2 प्रतिशत की विकास दर के साथ भारत सबसे तेज़ विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में है। शाह ने कहा कि इस विकास दर में खनन क्षेत्र का विशेष योगदान है। महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा क्षेत्र में कोयले को लेकर काफी असमंजस दिखता है। हालांकि भारत सरकार ने साल 2030 तक 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा का लक्ष्य रखा है वहीं नीति आयोग के रिपोर्ट्स बताती आयी हैं कि कोयला भारत में बिजली बनाने का मुख्य स्रोत बना रहेगा।
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