जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में पहली बार मीथेन उत्सर्जन को रोकने के लिये गंभीरता दिखी है। सम्मेलन के दूसरे ही दिन अमेरिका और यूरोपियन यूनियन समेत कुल 105 देशों ने इस समझौते पर दस्तखत किये कि वो अपने मीथेन इमीशन में 2030 तक 30% की कमी करेंगे। मीथेन कम समय तक वातावरण में मौजूद रहने वाली ग्रीन हाउस गैस है लेकिन वह कार्बन डाइ ऑक्साइड के मुकाबले कई गुना अधिक ग्लोबल वॉर्मिंग करती है। इस समझौते पर सही तरीके से अमल किया गया तो मीथेन के उत्सर्जन में 40% तक कमी हो सकती है। भारत ने कृषि और पशुपालन क्षेत्र देश के हितों को देखते हुये इस संधि पर दस्तखत नहीं किये।
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