Antonio Guterres Coal India Fossil Fuel

गुटेरेस ने दिये संकेत : संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भारत को कोयले के इस्तेमाल पर चेताया है लेकिन देश में कोयला अभी बिजली का मुख्य स्रोत बना रहेगा। फोटो- Deccan Herald

भारत में कोयले के इस्तेमाल पर गुटेरेस ने जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत से अपील की है कि वह कोयले का इस्तेमाल जल्दी और पूरी तरह से बन्द करे। गुटेरेस ने कहा कि वह भारत में सस्ती बिजली की ज़रूरत को समझते हैं लेकिन इस साल के बाद देश में कोई कोयला पावर प्लांट नहीं लगना चाहिये और जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी खत्म होनी चाहिये। दिल्ली स्थित द एनर्जी एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट (टेरी) के कार्यक्रम में वीडियों क्रांफ्रेंस के ज़रिये हिस्सा शामिल हुये गुटेरेस ने यह बात कही। हालांकि गुटेरेस ने सोलर अलायंस के तहत  साफ ऊर्जा क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों की भी सराहना की।  

विवादों में उत्तराखंड सरकार की ईको टूरिज्म नीति 

उत्तराखंड सरकार की प्रस्तावित ईको-टूरिज्म पॉलिसी पर जानकार सवाल खड़े कर रहे हैं हालांकि सरकार कहती है कि यह नीति राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देगी। सरकार का कहना है कि उसने “पर्यावरण संरक्षण के लिये पर्याप्त सेफगार्ड” अपनाते हुये “जैव-विविधता को बचाने और सामाजिक-आर्थिक विकास” बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में 65% से अधिक जंगल हैं। सरकार का कहना है कि “उत्तराखंड ईको टूरिज्म पॉलिसी-2020” विशेष रूप से पहाड़ी ज़िलों के ग्रामीण इलाकों को विकसित करने के लिये बनायी गई है और इसमें “स्थानीय लोगों की भागेदारी का रोल प्रमुख रहेगा। उन्हें रोज़गार मिलेगा और पहाड़ी ज़िलों के गांवों से पलायन रूकेगा और जंगलों को बताने के लिये फंड इकट्ठा किया जा सकेगा।” 

जंगलों में ट्रैकिंग, नेचर वॉक, बर्ड वॉचिंग और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके साथ ही उत्तराखंड के मेलों और उत्सवों को इसमें शामिल किया जायेगा। उधर जानकारों और वन अधिकारियों का कहना  है कि वर्तमान स्वरूप में इस नीति को लागू करने की ताकत वन विभाग की जगह पर्यटन विभाग के अधिकारियों के पास होगी। इससे जंगल के संवेदनशील इलाकों में “गैरज़िम्मेदाराना” तरीके से “निर्माण की गतिविधियां” बढ़ने का डर है जिससे जैव विविधता को खतरा हो सकता है। 

वन महानिरीक्षक ने उठाये जंगल के आंकड़ों पर सवाल 

भारत जैसे देश में जहां पहले ही जंगलों पर भारी खतरा है वहां क्या ‘जंगलों की क्षतिपूर्ति’ (कॉम्पेनसेटरी अफॉरेस्टेशन) से कोई फायदा होगा? वन महानिरीक्षक (आईजी- फॉरेस्ट) ए.के.  मोहंती की एक चिट्ठी में साफ कहा गया है कि कॉम्पेनसेटरी अफॉरेस्टेशन को लेकर 70% आंकड़े “ग़लत या अधूरे” हैं। मोहंती ने ये चिट्ठी सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को लिखी है। इसमें उन्होंने वन क्षेत्र को आंकड़ों को लेकर कई खामियों को उजागर किया है।

EIA: 500 वैज्ञानिकों, बुद्धिजीवियों की सरकार से अपील 

पर्यावरणीय आकलन पर 500 जाने माने वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों ने सरकार से अपील कर कहा है वह अपने नये प्रस्ताविक प्रावधानों को वापस ले ले। इन लोगों वे एक खुले पत्र में सरकार से कहा है कि EIA-2020 (नोटिफिकेशन) के प्रावधान पर्यावरण के लिये गंभीर ख़तरा हैं।  सरकार को पर्यावरणीय प्रभाव पर जारी किये गये नोटिफिकेशन पर जानकारों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने 17 लाख सुझाव दिये हैं लेकिन केंद्रीय पर्यावरण सचिव पहले ही किसी भी तरह के बदलाव पर ठंडा रुख दिखा चुके हैं। 

संयुक्त राष्ट्र अगले साल क्लाइमेट समिट से पहले करेगा मीटिंग 

कोरोना महामारी के कारण ग्लासगो में दिसंबर में होना वाला जलवायु परिवर्तन महासम्मेलन नहीं हो सका। अब अगले साल होने वाले सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र सभी देशों की एक मीटिंग करने की सोच रहा है ताकि उस वक्त की भरपाई हो सके जो कोरोना के कारण बर्बाद हुआ। सम्मेलन नवंबर 2021 में तय किया गया है। हर साल होने वाले इस सम्मेलन में दुनिया के 190 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं।

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