आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एनडीआरएफ द्वारा राहत और बचाव कार्य का एक दृश्य। फोटो: @04NDRF/X

कई राज्यों में बाढ़ से दर्जनों मौतें, हज़ारों हुए विस्थापित; शहरीकरण पर उठे सवाल

देश के कई राज्य भीषण बारिश और बाढ़ से बेहाल हैं। अगस्त के आखिरी हफ्ते में गुजरात में भारी बारिश और बाढ़ के कारण 49 लोगों की जान चली गई, सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और कई इलाके जलमग्न हो गए जहां से एनडीआरएफ और सेना सहित कई एजेंसियों ने 37,000 से अधिक लोगों को बचाया।

इसके बाद आंध्र प्रदेश में अभूतपूर्व मूसलाधार बारिश हुई और इससे आई बाढ़ में अबतक 32 लोगों की मौत हो चुकी है और 45,369 लोग राहत शिविरों में पहुंचाए गए हैं। विजयवाड़ा में हालात इतने ख़राब हो गए कि वायुसेना को खाने के पैकेट और पीने का पानी एयरड्रॉप करने पड़ रहे हैं। राज्य भर में लगभग 2.35 लाख किसानों को बाढ़ से नुकसान हुआ है।

तेलंगाना के कई हिस्सों में भी 31 अगस्त से तीन दिनों तक भारी बारिश हुई जिसमें कम से कम 16 लोगों की जान चली गई। राज्य के मुलुगु जिले के जंगलों में विशाल तूफान और अचानक बादल फटने के कारण एक अभूतपूर्व घटना घटी, जिसमें लगभग 500 एकड़ में फैले अनुमानित 50,000 पेड़ उखड़ गए

वन विभाग के अनुसार यह घटना स्थानीय जलवायु परिस्थितियों के कारण हुई जो अचानक बादल बनने के कारण विकसित हो गईं थीं। वन विभाग का कहना है कि वह एक रिपोर्ट तैयार करेगा और विशेषज्ञों या मौसम विभाग जैसी एजेंसियों से उन परिस्थितयों के कारणों पर प्रकाश डालने का भी आग्रह करेगा जिनसे जंगल को भारी नुकसान हुआ।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से उनके राज्यों में आई बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का अनुरोध किया है। 

उधर मौसम विभाग (आईएमडी) ने चेतावनी दी है कि गुरुवार को तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अलग-अलग स्थानों पर “भारी से बहुत भारी वर्षा” हो सकती है, वहीं उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर “भारी वर्षा” हो सकती है।

कई अन्य राज्य भी प्रभावित

आईएमडी ने दिल्ली के लिए ‘येलो’ अलर्ट जारी किया है और चेतावनी दी है कि खराब मौसम से हालात बिगड़ सकते हैं और दैनिक जीवन बाधित हो सकता है।

वहीं महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले तीन दिनों के दौरान मूसलाधार बारिश ने 10 लोगों की जान ले ली है और सात जिलों में लगभग 11.67 लाख हेक्टेयर भूमि पर फसल नष्ट हो गई है। भारी बारिश के कारण 523 जानवरों की भी मौत हो गई और क्षेत्र में 1,126 घरों को नुकसान पहुंचा है।

उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश के कारण दो राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 119 सड़कें बंद हो गई हैं, जबकि शिमला में मौसम कार्यालय ने छह जिलों के कुछ हिस्सों में बाढ़ की चेतावनी दी है।

राजस्थान में भी जोधपुर, सिरोही और उदयपुर जिले में भारी बारिश के कारण उत्तर-पश्चिम रेलवे ने कम से कम पांच ट्रेनें रद्द कर दीं। मौसम विभाग ने कहा है कि राज्य में मानसून कम से कम 4-5 दिनों तक सक्रिय रहेगा।

अगस्त में हुई 16% अधिक वर्षा, सितंबर में भी होगी औसत से ज्यादा

आईएमडी ने कहा है कि भारत में अगस्त में सामान्य से करीब 16 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई। उत्तर पश्चिम भारत में 253.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद से अगस्त में दूसरा सबसे अधिक है।

कुल मिलाकर, भारत में 1 जून को मानसून सीजन की शुरुआत के बाद से सामान्य 701 मिमी के मुकाबले 749 मिमी वर्षा हुई है।

सितंबर में भी सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। आईएमडी ने कहा कि उत्तर पश्चिम भारत और आसपास के इलाकों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।

आईएमडी ने कहा है कि उत्तर पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों, दक्षिणी प्रायद्वीप के कई हिस्सों, उत्तरी बिहार और उत्तरपूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तर-पूर्व भारत के अधिकांश हिस्सों को छोड़कर, भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।  उपरोक्त इलाकों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।

आईआईटी के शोध ने शहरीकरण पर उठाए सवाल

गुजरात के कई इलाकों में 25 से 30 अगस्त के बीच एक डीप डिप्रेशन के कारण बहुत भारी बारिश हुई। गुजरात-राजस्थान सीमा पर बना यह डिप्रेशन धीरे-धीरे अरब सागर में चला गया (जो बाद में चक्रवाती तूफान असना में बदल गया)।

इन दिनों के दौरान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि चरम मौसम की स्थितियों के कारण यह बाढ़ आई, लेकिन व्यापक शहरी विकास, ऊंचाई में बदलाव और जल निकासी पैटर्न ख़राब के कारण आपदा और भी बदतर हो गई।

शोध में कहा गया है कि भारत के पश्चिमी तट पर बार-बार ‘असामान्य मौसम की घटनाओं’ से साफ़ है कि शहरी नियोजन और इंफ्रास्ट्रक्चर के रेसिलिएंस का फिर से मूल्यांकन करने की तत्काल आवश्यकता है।

चूंकि तेजी से शहरीकरण क्षेत्रीय और स्थानीय हाइड्रोलॉजी को बदल रहा है और जल निकासी प्रणालियों पर अधिक दबाव डाल रहा है, इसलिए हाइड्रोलॉजी को शहरी विकास योजनाओं के मूल में रखना जरूरी है, शोधकर्ताओं ने कहा। उन्होंने कहा कि वडोदरा में बारिश अभूतपूर्व नहीं थी, फिर भी वहां भारी बाढ़ आई।  इसके लिए शायद व्यापक शहरी विकास और ख़राब ड्रेनेज पैटर्न दोषी है।

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