पूरे यूरोपीय संघ की ऊर्जा खपत में 2030 तक (9% के वर्तमान लक्ष्य के बजाय) 13% की कमी की जाएगी। Photo: prothomalo.com

रूसी जीवाश्म ईंधन का आयात खत्म करने के लिए यूरोपियन कमीशन देगा 195 बिलियन यूरो

यूरोपियन कमीशन अगले सप्ताह अपने सदस्यों को रूसी जीवाश्म ईंधन आयात से बचाने के उपायों के मसौदे का अनावरण करेगा, जिसके तहत 195 बिलियन यूरो के निवेश का निर्धारण किया जाएगा। यह उपाय गैर-बाध्यकारी व्यवस्थाओं, यूरोपीय संघ के कानूनों और राष्ट्रीय सरकारों को दिए गए सुझावों का मिश्रण होंगे।  यूरोपियन कमीशन अपने विशाल कोविड -19 रिकवरी फंड के संसाधनों का उपयोग भी इस काम के लिए कर सकता है।

यह प्रतिक्रिया यूक्रेन में रूस के सैन्य हमले के विरोध में है। इसके लक्ष्यों के अंतर्गत यूरोपीय संघ नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 2030 तक (वर्तमान 40% के बजाय) 45%  तक बढ़ाएगा, 2030 तक 10 मिलियन टन नवीकरणीय हाइड्रोजन का उत्पादन और अतिरिक्त 10 मिलियन टन का आयात किया जाएगा। बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू किया जाएगा और पूरे यूरोपीय संघ की ऊर्जा खपत में 2030 तक (9% के वर्तमान लक्ष्य के बजाय) 13% की कमी की जाएगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यूरोपीय संघ बड़े पैमाने पर सौर और पवन परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए आवश्यक प्रशासनिक प्रक्रियाओं — जैसे पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन — का पालन करने की आवश्यकता में ढील देने पर विचार कर रहा है। 

हीटवेव से लड़ने के लिए भारत बंद कोयला खदानों को फिर से खोलेगा,  खनन के नियमों में दी जाएगी ढील

भारत सरकार ने अपने लड़खड़ाते बिजली संयंत्रों को ईंधन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए 100 बंद कोयला खदानों को फिर से खोलने की मंजूरी दी है। सरकार ने बिजली अधिनियम की धारा 11 को भी लागू किया है, जिसके तहत देश के आयात-आधारित कोयला संयंत्रों को पूरी क्षमता से बिजली पैदा करनी होगी। यह उपाय भारत में भीषण गर्मी के बीच लागू किए गए हैं। अनुमान है कि गर्मी के कारण बिजली की मांग 200 गीगावाट तक बढ़ सकती है। यह कोयला खदानें बंद कर दी गई थीं क्योंकि उन्हें आर्थिक रूप से अव्यवहारिक माना जाता था। देश के बिजली मंत्री ने दोहराया है कि कोयला भारत के ऊर्जा मिश्रण को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा। 

राज्य सरकारों को भी अगले तीन वर्षों के लिए कोयला आयात करने का आदेश दिया गया है। उन खदानों के लिए देश के हरित नियमों में ढील दी जाएगी जिन्हें पहले से ही अपने उत्पादन को 40% तक बढ़ाने की अनुमति है। इससे वह अपने उत्पादन में अतिरिक्त 50% का विस्तार कर सकेंगे। नियमों में बदलाव अगले छह महीनों तक प्रभावी रहेंगे।

यूएसए: कैलिफ़ोर्निया ने 2045 तक कार्बन-न्यूट्रल होने, जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने की योजना बनाई

कैलिफ़ोर्निया एयर रिसोर्सेज बोर्ड (CARB) ने जीवाश्म ईंधन पर राज्य की निर्भरता में भारी कटौती करने की योजना बनाई है, और कहा है कि उन्हें 2026 से पूरी तरह से इलेक्ट्रिक स्टोव, भट्टियों और अन्य उपकरणों को अपनाना होगा। यह योजना अभी शुरुआती चरणों में है, लेकिन इसका उद्देश्य राज्य को 2045 तक किसी भी अमेरिकी राज्य से तेज़ गति से कार्बन-न्यूट्रल बनाना है। हालांकि, वेस्टर्न स्टेट्स पेट्रोलियम एसोसिएशन ने ‘अधिक प्रतिबंध, शासनादेश और महंगे विनियमन’ के लिए योजना की आलोचना की है। वहीं पर्यावरणविदों ने प्राकृतिक गैस के उपयोग में विस्तार का सुझाव देने और कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकियों के लिए जगह बनाए रखने के लिए भी इसे लताड़ा है। 

बॉन्ड मार्केट है जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं के वित्तपोषण का पिछला दरवाजा; चीन ने किया अधिक कोयले का समर्थन

सनराइज प्रोजेक्ट और उरगेवाल्ड सहित कई नागरिक सामाजिक संगठनों ने बताया है कि अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड बाजार का उपयोग अभी भी प्रमुख जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया जा रहा है। यहां तक कि शेवरॉन, एक्सॉनमोबिल और सऊदी अरामको जैसी कंपनियों ने $491 बिलियन के वित्तपोषण के लिए इस ‘पिछले दरवाजे’ का प्रयोग किया है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि बॉन्ड पर सबसे अधिक निर्भर कोयला बाजार है। जब प्रमुख बैंकों ने कोयले के लिए ऋण देना बंद किया तो बॉन्ड ने बैंक ऋण की तुलना में 2.5 गुना अधिक पूंजी उत्पन्न कर दी। यह व्यवस्था इतनी प्रभावी है कि यह भारत और चीन में पूंजी जुटाने का प्राथमिक स्रोत है, और कोयला कंपनियों ने पहले ही 2022 में 12 अरब डॉलर जुटा लिए थे, जो कि 2021 में 5 अरब डॉलर थे।

इसके अलावा, चीनी केंद्रीय बैंक ने ‘कोयले के स्वच्छ और कुशल उपयोग’ हेतु अपने ‘टारगेटेड रे-लेंडिंग कोटा’ को बढ़ाने के लिए $15.13 बिलियन (100bn युआन) के अतिरिक्त वित्तपोषण को मंजूरी दी है। यह वृद्धि राज्य परिषद द्वारा अनुमोदित की गई है। कोयले का सरकारी समर्थन बढ़कर $45.4 बिलियन (300 बिलियन युआन) तक हो गया है, जो चीनी मीडिया का दावा है कि राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में बीजिंग का कदम है।

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