साल 2030 तक धरती की तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री से नीचे रखने के लिये विश्व को अपने सारे इमीशन (2010 की तुलना में) 45% कम करने होंगे।

कोयला बिजलीघरों को बन्द करने के लिये दिशानिर्देश तैयार

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश का पालन करते हुये देश में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को बंद करने के लिए नए दिशानिर्देशों का प्रस्ताव दिया है। इसमें पर्यावरण प्रबंधन और पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट सहित कई उपायों का सुझाव है।

एनजीटी के मार्च 2021 के आदेश के बाद सीपीसीबी ने दिशानिर्देशों का एक खाका तैयार किया था। मोंगाबे इंडिया में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक यह आदेश वादी धर्मेश शाह की अपील पर सुनवाई करते हुए जारी किए गए थे। इस अपील में शाह ने तमिलनाडु में नेवेली थर्मल पावर स्टेशन में एक बिजलीघर को बंद करने के लिए उचित दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की थी। शाह ने अदालत को बताया था कि ऐसी इकाइयों को बंद करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कोई उचित दिशा-निर्देश नहीं हैं जो “खतरनाक पदार्थों के सुरक्षित प्रबंधन और निपटान के साथ-साथ बंद किए गए थर्मल पावर प्लांट के मशीनरी, भवन, राख के तालाब सहित संयंत्र की इमारतों के उचित निपटान और स्थान को सुधारने की जिम्मेदारी सुनिश्चित करते हों। 

जीवाश्म ईंधन पर ढिलाई के लिये जो बाइडेन की निन्दा 

जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को रोकने की कोशिश में पाखंड के लिये पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने जो बाइडेन की कड़ी आलोचना की है। ग्लासगो सम्मेलन में क्लाइमेट एक्शन को लेकर अमेरिका ने कहा था कि “हर देश को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिये लेकिन खुद बाइडेन सरकार मैक्सिको की खाड़ी में तेल और गैस भंडार की नीलामी कर रही है। ग्लासगो सम्मेलन में भी विकसित देश गरीब औऱ विकासशील देशों के साथ किये वादे को पूरा न करन पाने और क्लाइमेट एक्शन पर ढुलमुल रवैये के कारण निशाने पर रहे। अब  तमाम संगठन मांग कर रहे हैं कि बाइडेन को अपने चुनाव प्रचार के दौरान ज़मीन से तेल और गैस की ड्रिलिंग बन्द करने का वादा पूरा करना चाहिये। जीवाश्म ईंधन के निर्यात पर रोक लगानी चाहिये और तेल और गैस पाइप लाइन को बन्द करना चाहिये। 

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