कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयले के आयात के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की है। 2.416 मिलियन टन (एमटी) कोयले के आयात के लिए यह निविदा तब जारी की गई है जब देश बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए हर विकल्प तलाश रहा है। सीआईएल ने बिजली उत्पादकों की ओर से आयात का आह्वान किया है। थर्मल कोयले की यह खेप जिस भी देश से आए, उसकी अपेक्षित गुणवत्ता 5,000 जीएआर (सकल कैलोरी मान) या उससे 30% ऊपर-नीचे होनी चाहिए। निविदा 29 जून तक खुली रहेगी और नौ अलग-अलग बंदरगाहों के जरिए देश में कोयला लाया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, भारत ने मई में 34% अधिक कोयले का और 26% अधिक बिजली (वर्ष-दर-वर्ष) का उत्पादन किया, जिसमें 37 शीर्ष कोयला खदानों ने अपने रेटेड आउटपुट के 100% से अधिक उत्पादन किया।
यूरोपीय संघ: प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों की मंजूरी पर वकीलों ने उठाया सवाल, कोयला संयंत्रों को स्टैंड-बाय पर रखेगा जर्मनी
एक ओर जहां यूरोपीय संघ रूस से गैस आपूर्ति को पूरी तरह बंद करना चाहता है, वहीं जलवायु मामलों के वकीलों के संघ ने प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के समर्थन पर सवाल उठाने के लिए ‘आंतरिक समीक्षा’ नामक एक नए कानूनी विकल्प का उपयोग करने की योजना बनाई है। यह प्रक्रिया इस तथ्य पर जोर देगी कि मुख्य रूप से ग्रीस और माल्टा के ज़रिए जो पाईपलाईनें अनुमोदित की गई हैं वह यूरोपीय जलवायु कानून के अनुच्छेद 6 का उल्लंघन करती हैं और यह यूरोपीय संघ के जलवायु लक्ष्यों के विरुद्ध होगा। इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने कथित तौर पर पाइपलाइनों द्वारा मीथेन उत्सर्जन को संज्ञान में नहीं लिया है और वकीलों का तर्क होगा कि इस उत्सर्जन के परिणाम पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील भूमध्य सागर के लिए गंभीर हो सकता है।
साथ ही, इस आशंका में कि रूस से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति अचानक गिरने से देश में ऊर्जा की कमी हो सकती है, जर्मन सरकार कथित तौर पर कोयला संयंत्रों को लगभग दो साल तक विकल्प के तौर पर बनाये रखेगी। कहा जाता है कि जर्मनी में कई तेल और कोयले से चलने वाले संयंत्र हैं जिन्हें आपातकालीन राहत के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है, लेकिन फ़िलहाल जर्मन सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि वह 2030 तक कोयले के उपयोग को समाप्त करने के अपने लक्ष्य पर कायम है।
नई जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं को मंजूरी पर अमेरिका ने की यूरोपीय संघ की आलोचना
रूसी जीवाश्म ईंधन आयात बंद करने के प्रयास के रूप में कई कोयला परियोजनाओं तथा तेल और गैस पाइपलाइनों को मंजूरी देने के लिए अमेरिका ने यूरोपीय संघ की आलोचना की है। अमेरिका ने कहा है कि जीवाश्म ईंधन प्राप्त करने की यह नई होड़ यूरोपीय संघ के दीर्घकालिक जलवायु लक्ष्यों के विपरीत है। यही नहीं, थिंक टैंक क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर के अनुसार प्राकृतिक गैस इकाईयां स्थापित करने के लिए यूरोपीय संघ द्वारा मिस्र, अल्जीरिया, कतर और यहां तक कि अमेरिका के साथ हड़बड़ी में किए गए समझौते ‘विश्व को अपरिवर्तनीय वार्मिंग की और धकेल देंगे’, क्योंकि इन परियोजनाओं का बुनियादी ढांचा दशकों तक इस्तेमाल किया जाएगा और इसका जलवायु पर प्रभाव यूरोपीय संघ को ऊर्जा संकट से मिलने वाली अल्पकालिक राहत से कहीं अधिक होगा।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
कोयले का प्रयोग बंद करने के लिए भारत को चाहिए 1 ट्रिलियन डॉलर
-
भारत ने 10 लाख वर्ग किलोमीटर के ‘नो-गो’ क्षेत्र में तेल की खोज के हरी झंडी दी
-
ओडिशा अपना अतिरिक्त कोयला छूट पर बेचना चाहता है
-
विरोध के बाद यूएन सम्मेलन के मसौदे में किया गया जीवाश्म ईंधन ट्रांज़िशन का ज़िक्र
-
रूस से तेल आयात के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा