आसमानी इरादा: “मिशन 500 गीगावॉट” की योजना साफ ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है जिसमें सोलर की बड़ी भूमिका होगी। फोटो: NYT

साफ ऊर्जा बढ़ाने के लिये भारत की “मिशन 500 गीगावॉट” की योजना

कुल 101GW अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल कर लेने के बाद अब सरकार ने 2030 तक 500 GW के अपने घोषित लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु ‘मिशन 500 GW’ चलाने की योजना बनाई है।  इकॉनोमिक टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली मंत्रालय और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 2030 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करेंगे जिसमें उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियों, भंडारण आवश्यकताओं और ट्रांसमिशन समस्याओं का आकलन और 500GW के लिए ऊर्जा मिश्रण शामिल होगा। यह संयुक्त मंत्रालय पैनल क्षमता को बढ़ाने के लिए नियम तैयार करने और विदेशी निवेश आकर्षित करने की योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

साल  2029-30 के लिए अधिकतम उत्पादन क्षमता मिश्रण पर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट में कहा गया था कि पहले 2030 तक 450GW के लक्ष्य में 280 GW सौर ऊर्जा, 140GW पवन ऊर्जा और शेष हाइब्रिड स्रोतों का योगदान होता, जो इस खबर के मुताबिक हाइड्रोजन और जैव ईंधन यानी बायो फ्यूल का प्रस्तावित मिश्रण हो सकता है।

विक्रेताओं को रूफटॉप सोलर स्थापित करने के लिए सरकार नहीं बिजली वितरण कंपनियां अधिकृत करती हैं, केंद्र ने स्पष्ट किया

केंद्र ने स्पष्ट किया है कि उसने रूफटॉप सोलर लगाने के लिए विक्रेताओं (वे्ंडरो) को अधिकृत नहीं किया है जो कि राज्य की वितरण कंपनियों का काम है, जो नीलामी की प्रक्रिया के द्वारा  विक्रेताओं को सूचीबद्ध करती हैं। सरकार ने यह भी कहा कि उपभोक्ताओं को वितरण कंपनियों द्वारा तय दरों पर बिजली खरीदनी चाहिए। ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर योजना फेज II पहले 3 किलोवॉट के लिए 40% सब्सिडी और 3 किलोवॉट से 10 किलोवॉट  तक 20% सब्सिडी प्रदान करती है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि कुछ विक्रेता झूठे दावे कर रहे हैं कि उन्हें मंत्रालय द्वारा रूफटॉप सोलर लगाने के लिए अधिकृत किया गया है।

मंत्रालय ने चेताया कि कुछ विक्रेता घरेलू उपभोक्ताओं से डिस्कॉम्स द्वारा तय की गई दरों से अधिक कीमत वसूल रहे हैं, जो गलत है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त हुआ

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) को पर्यवेक्षक का दर्जा दे दिया है। भारत ने कहा कि छह वर्षों में आईएसए वैश्विक ऊर्जा बढ़ोतरी और विकास को लाभ पहुंचाने के लिए साझेदारी के माध्यम से सकारात्मक वैश्विक जलवायु कार्रवाई की एक मिसाल  बन गया है। कुल 108 देशों ने महासभा में भाग लिया, जिसमें 74 सदस्य देश और 34 पर्यवेक्षक और संभावित देश, 23 सहयोगी संगठन और 33 विशेष आमंत्रित संगठन शामिल थे।

भारत और फ्रांस ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस यानी आईएसए को संयुक्त रूप से नवंबर 2015 में पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान लॉन्च किया था। 

भारत 2030 तक साफ  ऊर्जा के माध्यम से बिजली की मांग को पूरा कर सकता है: अध्ययन

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ब्यूरो ऑफ एनर्जी रिसोर्स के ताज़ा अध्ययन में कहा गया है कि भारत 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से अपनी बिजली की मांग को पूरा कर सकता है। लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी (एलबीएनएल) ने जो स्टडी प्रकाशित की है उसमें कहा गया है कि भारत में बिजली की मांग 2030 तक दोगुनी हो जाएगी, जिसे देश नवीकरणीय यानी साफ ऊर्जा ऊर्जा और ‘पूरक लचीले संसाधनों’ जैसे एग्रीकल्चरल लोड शिफ्टिंग, भंडारण और जल विद्युत और मौजूदा तापीय विद्युत परिसंपत्तियों का अधिक से अधिक उपयोग करके प्राप्त कर सकेगा।   

इस अध्ययन में कहा गया है कि पिछले एक दशक में सौर ऊर्जा और स्टोरेज की गिरती कीमत से भारत के लिये अपनी बिजली की ज़रूरतों को पूरा कर पाना मुमकिन हो पाया है। भारत अगले एक दशक में बिजली की लागत 8-10% कम कर सकता है और 2020 के मुकाबले अपनी एनर्जी इंटेन्सिटी (कुल ऊर्जा और जीडीपी की अनुपात) 43-50% कम कर सकता है।  

अडानी ग्रीन एनर्जी ने कि सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन के साथ किया दुनिया का सबसे बड़ा हरित अनुबंध 

दुनिया के सबसे बड़े सोलर पावर डेवलपर अडानी ग्रीन एनर्जी ने भारत की सोलर एनर्जी क़ॉर्पोरेशन के साथ 4667 मेगावॉट का अनुबंध किया है।  यह अनुबंध 8000 मेगावॉट के सबसे बड़े टेंडर का एक हिस्सा है  और संभवत: दुनिया में इस प्रकार का सबसे बड़ा करार है। महत्वपूर्ण है कि साल 2020 से अब तक सोलर पावर कॉर्पोरेशन ने जो 8000 मेगावॉट के करार किये हैं उनमें 6000 मेगावॉट में अडानी ग्रीन एनर्जी का ही हिस्सा है।

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