भारत सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-2026 में साफ ऊर्जा और विद्युत परिवहन के लिए प्रतिबद्धता स्पष्ट की है, और लो-कार्बन इकोनॉमी की ओर ट्रांज़िशन को गति देने के लिए महत्वपूर्ण आवंटन किए हैं।
इस वर्ष बजट के सबसे उल्लेखनीय प्रावधानों में परमाणु ऊर्जा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है, विशेष रूप से ‘परमाणु ऊर्जा मिशन’ के माध्यम से जिसमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) को विकसित करने के उद्देश्य से 20,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
यह पहल परमाणु ऊर्जा को कोयले का संभावित विकल्प बनाने के एक रणनीतिक बदलाव का संकेत है।
परमाणु ऊर्जा मिशन के लिए ₹ 20,000 करोड़
बजट में कोयला-आधारित ऊर्जा के विकल्प के रूप में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआरएस) के विकास में तेजी लाने के लिए ₹20,000 करोड़ के परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा की गई है। भारत की योजना 2033 तक कम से कम पांच एसएमआर तैयार करने की है। हालांकि, उच्च पूंजीगत लागत और फंडिंग की चुनौतियों को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।
स्वच्छ ऊर्जा और परिवहन
ग्रीन इकोनॉमी की ओर ट्रांज़िशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने क्रेडिट गारंटी योजना का विस्तार किया है, जिसके तहत अगले पांच वर्षों में 1.5 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त क्रेडिट प्रदान किया जाएगा। इससे अक्षय ऊर्जा और स्वच्छ प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में काम कर रही स्टार्ट-अप कंपनियां, लघु उद्योग और निर्यातक लाभान्वित होंगे। इसके अतिरिक्त, बजट में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए आवंटन में 10,000 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई है।
घरेलू और क्लीन-टेक मैनुफैक्चरिंग
बजट में लिथियम, कोबाल्ट और ज़िंक जैसे प्रमुख महत्वपूर्ण खनिजों पर सीमा शुल्क हटाकर स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी निर्माण में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी गई है। इस नीति से सोलर पीवी सेल, ईवी बैटरी, पवन टर्बाइन और ग्रिड-स्केल भंडारण के स्थानीय उत्पादन को सहायता मिलेगी। सरकार का उद्देश्य इनपुट लागत कम करके और कच्चे माल की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करके, निवेश को बढ़ाना, रोज़गार पैदा करना और स्वच्छ ऊर्जा में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
क्लाइमेट रेसिलिएंट कृषि
सरकार ने कीट-प्रतिरोधी और क्लाइमेट-रेसिलिएंट फसलें विकसित करने के लिए नेशनल मिशन ऑन हाई यील्डिंग सीड्स शुरू किया है। जुलाई 2024 से बीज की 100 से अधिक बेहतर किस्मों का प्रयोग शुरू किया गया है। इसके अतिरिक्त, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण की सीमा ₹3 लाख से बढ़कर ₹5 लाख कर दी गई है, जिससे सस्टेनेबल खेती में निवेश करने वाले 7.7 करोड़ ग्रामीण उद्यमियों को राहत मिलेगी।
शहरी क्लाइमेट अडॉप्टेशन
शहरों में क्लाइमेट रेसिलिएंस, जल सुरक्षा, स्वच्छता और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करके उनका आधुनिकीकरण करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का ‘अर्बन चैलेंज फंड’ शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत ‘सिटीज़ एस ग्रोथ हब्स’ और ‘क्रिएटिव रीडेवलपमेंट ऑफ सिटीज़’ जैसी पहले शुरू की गई हैं, जो सस्टेनेबल अर्बन प्लानिंग पर केंद्रित हैं। प्लानिंग में अडॉप्टेशन उपायों को शामिल करने का उद्देश्य तेजी से फैलते शहरी क्षेत्रों को रहने लायक और रेसिलिएंट बनाना है।
ईवी उद्योग की चिंताएं
स्वच्छ ऊर्जा पर कई घोषणाओं के बावजूद, बजट में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग को कोई नीतिगत सहायता नहीं दी गई है, विशेष रूप से टैक्स सुधारों के संबंध में। हालांकि ईवी मैनुफैक्चरिंग के लिए इंसेंटिव प्रदान किया गया है, लेकिन टैक्सेशन की स्पष्ट रूपरेखा के अभाव में उद्योग के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है। यह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेक्टर में निवेश कम करके ईवी एडॉप्शन की गति को धीमा कर सकता है।
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