साफ ऊर्जा की जल्दी गिरती कीमतों के बीच डिस्कॉम (वितरण कंपनियां) पावर कंपनियों के साथ लम्बी अवधि के बिजली खरीद अनुबन्ध करने में अनमनी हैं। इसे देखते हुए संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से इस बारे में एक नीतिपत्र जारी करने को कहा है ताकि उलझन और अस्पष्टता दूर की जा सके। संसदीय पैनल के मुताबिक किसी नये साफ ऊर्जा प्रोजेक्ट को कर्ज़ मिलने के लिये लम्बी अधिक का बिजली खरीद अनुबन्ध एक अनिवार्यता हो जाती है।
जनवरी 2021की शुरुआत में देश में साफ ऊर्जा संयंत्रों की कुल क्षमता 92.54 गीगावॉट थी। इसमें सोलर के 38.79 गीगावॉट, पवन ऊर्जा के 38.68 गीगावॉट, बायोमास के 10.31 गीगावॉट और बाकी छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट हैं। भारत को साल 2022 तक कुल 175 गीगावॉट साफ ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करना है और अभी उसने करीब आधा रास्ता ही तय किया है। समिति ने नोट किया कि अगले डेढ़ साल में 50 सोलर पार्क के ज़रिये 82.46 गीगावॉट साफ ऊर्जा क्षमता के संयंत्र लगाये जाने बाकी हैं। अभी केवल 20% पूरी तरह विकसित हैं जबकि 10% आंशिक रूप से डेवलप हैं। बाकी 70% पार्कों का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।
बेसिक कस्टम शुल्क बढ़ने से सोलर की दरें तेज़ी से बढ़ेंगी: रिपोर्ट
भारत ने साल 2030 तक 280 गीगावॉट सोलर पावर क्षमता लगाने का जो लक्ष्य रखा है सोलर उपकरणों पर 1 अप्रैल 2022 से लगने वाली बेसिक कस्टम ड्यूटी से प्रभावित होगा। यह बात इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च में कही गई है। रिपोर्ट कहती है कि इससे बिजली खरीद का सालाना खर्च 900 करोड़ बढ़ जायेगा और बिजली दरें बढ़ना लाजिमी है।
केयर रेटिंग की एक और रिपोर्ट के मुताबिक केवल सेल आयात करने से सौर ऊर्जा की दरें 25-30 पैसा प्रति यूनिट बढ़ेगी जबकि मॉड्यूल आयात करने से 40-45 पैसे की अतिरिक्त वृद्धि होगी। जानकारों ने चेतावनी दी है कि यह कदम सौर ऊर्जा के विस्तार में बाधा बन सकता है क्योंकि अगले 12 महीनों में कुल 10 गीगावॉट के संयंत्र लगने हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि 2030 तक भारत के सामने 280 गीगावॉट सोलर का लक्ष्य है। अभी केवल चीन, थाइलैंड और विएतनाम से आयात होने वाले उपकरणों पर सेफगार्ड ड्यूटी लगती है लेकिन रिपोर्ट बताती है कि बेसिक कस्टम ड्यूटी सभी देशों से आने वाले उपकरणों पर लगेगी जिससे किसी भी देश से इसे आयात करना मुश्किल होगा।
चीन ने साल 2020 में पवन ऊर्जा क्षमता 100 गीगावॉट बढ़ाई, पूरी दुनिया से अधिक
कोरोना महामारी के बावजूद साल 2020 में चीन ने कुल पूरी दुनिया द्वारा एक साल पहले लगाई गई पवन ऊर्जा की सम्मिलित क्षमता से अधिक पावर की पवन चक्कियां लगाई। यह बात ब्लूमबर्ग न्यू एनर्ज़ी फाइनेंस (बीएनईएफ) की रिपोर्ट में कही गई है। चीन ने अपनी पवन ऊर्जा क्षमता में एक साल पहले की तुलना में 60% वृद्धि की।
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