बांग्लादेश ने नौ नई कोयला परियोजनाओं को रद्द करने की फैसला किया है। देश में आयातित कोयले की बढ़ती लागत और घटता विदेशी निवेश इसकी वजह हैं।
बांग्लादेशी अखबार डेली सन की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के बिजली सचिव हबीबुर्रहमान ने बिजली क्षेत्र की एक मासिक समीक्षा बैठक में 7,461 मेगावाट की संयुक्त बिजली क्षमता के साथ नियोजित कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को हटाने का फैसला किया है।
वर्तमान में बांग्लादेश अपनी जरूरत से अधिक बिजली पैदा करता है। इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (IEEFA) के अनुसार, वर्ष 2019-2020 में बांग्लादेश ने अपने बिजली संयंत्रों की क्षमता का केवल 40% उपयोग किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 43% कम है।
भले ही बांग्लादेश बिजली का उपयोग नहीं करता है लेकिन उसके पावर डेवलपमेंट बोर्ड को पावर प्लांट ऑपरेटरों को महंगी सब्सिडी का भुगतान करना पड़ता है।
कोयले की जगह फिर क्या इस्तेमाल किया जायेगा ?
समाचार रिपोर्ट और पिछली सरकार के बयान ने सुझाव दिया है कि बांग्लादेश कोयले की बजाय एलएनजी (प्राकृतिक गैस) इस्तेमाल कर सकता है।
क्लाइमेट होम में छपी रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषकों का कहना है कि एलएनजी बांग्लादेश के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक दीर्घकालिक समाधान है।
मीथेन गैस को आमतौर पर कोयले की तुलना में अधिक साफ ईंधन के रूप में जाना जाता है, क्योंकि जलने पर निकलने वाली CO2 की मात्रा अपेक्षाकृत 50% रह जाती है। लेकिन यह भी सच है कि इसे निकालने और ट्रांसपोर्ट करने में जो मीथेन वायुमंडल में रिसती है उस से ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी होती है।
बांग्लादेश से खुद को दूर करने लगे हैं प्रमुख निवेशक
जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं से कई प्रमुख निवेशकों ने अपने आप को दूर कर लिया है जिससे बांग्लादेश की कोयला संभावनाओं को झटका लगा है। एशियन डेवलपमेंट बैंक और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक ने संकेत दिया है कि वे कोयले को बढ़ावा नहीं देंगे।
एशिया के सबसे बड़े कोयला निवेशक जैसे जापान और दक्षिण कोरिया ने बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव में दूसरे देशों में कोयला प्रोजेक्ट पर निवेश न करने का ऐलान किया है। दक्षिण कोरिया के कई बड़े वित्तीय संस्थानों ने भी देश के बाहर कोयला परियोजनाओं में फंडिंग न करने का फैसला किया है
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश के मटरबारी में जापानी ऊर्जा कंपनी सुमितोमो द्वारा विकसित 1,200 मेगावॉट का कोयला बिजलीघर बन्द किया जा सकता है। सरकार ने अभी तक परियोजनाओं की सूची का खुलासा नहीं किया है।
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