देश के 12 राज्यों में काम कर रही साफ ऊर्जा कंपनी ACME ने राजस्थान में सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन के साथ किया करार तोड़ दिया है। यह करार रिकॉर्ड बिजली दरों (₹ 2.44 प्रति यूनिट) पर किया गया था। ACME ने प्रोजेक्ट के लिये ज़मीन मिलने में देरी और कोरोना संकट से चीन से सप्लाई के संकट की वजह से यह फैसला किया है।
ACME को 2017 में यहां 200 मेगावॉट का प्लांट लगाने का ठेका मिला था। अब कंपनी ने रेग्युलेटर सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी अथॉरिटी (CERCI) को बताया है कि प्रोजेक्ट में पहले ही देरी हो चुकी है और कोरोना की वजह से अनिश्चितता बढ़ रही है। हालांकि SECI ने ACME की बात को नकारते हुये कहा कि ऐसा कुछ नहीं है जिससे कंपनी अपना काम शुरू नहीं कर सकती। SECI ने पहले कंपनी की बैंक गारंटी ज़ब्त करने की धमकी भी दी लेकिन बाद में यह मामला “आपसी सहमति” से सुलझ गया।
भारत में सोलर पावर है कोल से 30% सस्ती: IEEFA
ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी IEEFA और JMK की रिसर्च में सामने आया है कि दुनिया के निवेशक भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिये दिलचस्पी दिखा रहे हैं तो इसके पीछे एक वजह यह है कि सौर ऊर्जा की दरें (₹ 2.50 से ₹ 2.87 प्रति यूनिट) कोल पावर के मुकाबले 20-30% कम हैं। अगर वितरण कंपनियां पावर प्लांट्स के साथ बिजली खरीद का लम्बा अनुबंध करती हैं तो उन्हें कोल के मुकाबले 10-12% का मुनाफा हो सकता है। साल 2016 से अब तक भारत की सोलर पावर क्षमता 6 GW से बढ़कर 35 GW हो गई है। यह 2022 तक भारत के 100 GW सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के तय लक्ष्य का एक तिहाई है।
कोरोना: अमेरिका में साफ ऊर्जा क्षेत्र में 6 लाख नौकरियां गईं
लॉकडाउन के बाद से सोलर क्षेत्र के साथ बैटरी कार सेक्टर और घरों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का उत्पादन बन्द होने से अमेरिका में अब तक करीब 6 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं। मार्च में ही करीब डेढ़ लाख लोगों को साफ ऊर्जा क्षेत्र में नौकरियां गंवानी पड़ी थीं। उसके बाद से इस सेक्टर में करीब 4.5 लाख लोग बेरोज़गार हो चुके हैं। BW रिसर्च पार्टनरशिप ने जून तक 5 लाख लोगों की नौकरियां जाने की बात कही थी जो संभावित आंकड़ा अब रिव्यू करके 8.5 लाख कर दिया गया है।
डेनमार्क बनायेगा दो “पवन ऊर्जाद्वीप”
डेनमार्क ने 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन (1990 के स्तर पर) 70% घटाने का लक्ष्य रखा है और इसी मुहिम में वह 40 गीगावॉट के दो “ऊर्जाद्वीप” लगा रहा है जो कि समुद्र में चलने वाली तेज़ हवा का इस्तेमाल करेंगे। डेनमार्क ने 2050 तक कार्बन न्यूट्रल हो जाने का भी लक्ष्य रखा है। कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिये यह दुनिया की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है और इसे डेनिश संसद ने मंज़ूरी दे दी है। इन दो “ऊर्जाद्वीपों” से जो बिजली बनेगी वह डेनमार्क की कुल घरेलू बिजली खपत से अधिक है। डेनमार्क की योजना है कि वह इस साफ ऊर्जा को दो पड़ोसी देशों पोलैंड और नीदरलैंड को निर्यात करेगा।
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