एम्स के डॉक्टरों ने एक अध्ययन में पाया है कि थोड़ी देर के लिए भी नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, या NO2 के संपर्क में आने से आप इमरजेंसी रूम में पहुंच सकते हैं। स्टडी में पाया गया कि 0-7 दिनों के बीच भी NO2 के संपर्क में आने वालों को आपात चिकित्सा की जरूरत पड़ने की संभावना 53% बढ़ जाती है। इनमें से भी ज्यादातर मरीज ऐसे हैं जिनको कोई को-मोर्बिडिटी, यानी डायबिटीज, हाइपरटेंशन या हार्ट की बीमारी है, क्योंकि NO2 प्रदूषण केवल सांस की तकलीफ ही नहीं बढ़ाता, बल्कि सभी अंगों पर आक्रमण करता है।
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड प्रदूषक गैस है जो मुख्यतः जीवाश्म ईंधन, जैसे पेट्रोल और डीजल को जलाने से उत्पन्न होती है। इसलिए इसका सीधा संबंध ट्रैफिक से है। यह फेफड़ों में सूजन बढ़ाती है, उनको कमजोर करती है और खांसी और गले में खराश को बढ़ाती है। दूसरी ओर, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 और पीएम10) मुख्य रूप से कंस्ट्रक्शन और पराली जलाने के कारण उत्पन्न होते हैं। गौरलतब है कि पीएम2.5 के संपर्क में आने से बीमार होने वालों की तादाद 19.5 प्रतिशत थी, अध्ययन ने पाया।
डॉक्टरों का कहना है कि जब प्रदूषण ज्यादा हो तो जिनको सांस की बीमारी जैसे दमा या फिर कोई को-मोर्बिडिटी है, उन्हें बाहर निकलने से बचना चाहिए।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ा प्रदूषण, वायु गुणवत्ता बेहद खराब
पिछले कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता खराब हो गई है और दिल्ली सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के दूसरे चरण को लागू किया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 30 अक्टूबर 2023 को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। मंगलवार को दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 350 दर्ज किया गया, जो इस सीजन में अब तक सबसे ज्यादा है। सोमवार को एक्यूआई 347, रविवार को 325 और शनिवार को 304 था। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 300, गाजियाबाद में 272, गुरुग्राम में 203, नोएडा में 303, ग्रेटर नोएडा में 336 पर पहुंच गया है।
देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 6 दिल्ली-एनसीआर में हैं, जिनमें नोएडा सबसे अधिक प्रदूषित है। दिल्ली सरकार ने शहर में आठ नए खराब वायु हॉटस्पॉट की पहचान की है जिनके लिए कार्य योजना बनाई जाएगी और जहां प्रदूषण के स्रोतों की निगरानी के लिए विशेष टीमें तैनात की जाएंगी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि बिगड़ती स्थिति के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण शमन के उपायों की समीक्षा के लिए हाल ही में हुई बैठक में कई सरकारी विभागों के प्रमुख शामिल नहीं हुए। साथ ही दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कहा कि इस साल 15 अक्टूबर तक बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) के वाहन चलाने वालों को 1.5 लाख से अधिक चालान जारी किए गए।
प्रदूषण के कारण मुंबई में बढ़ीं सांस की बीमारियां
मुंबई में प्रदूषण और बीमारियां बढ़ने से लोगों का बुरा हाल है। सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ मुंबई के करीब 20% लोग एलर्जिक रायनाइटिस पीड़ित होते हैं, यानी उन्हें खांसी और आंखों में जलन की समस्या होती है। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इस साल अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है, और बहुत सारे लोग सांस लेने में परेशानी की शिकायत लेकर आ रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार 30 अक्टूबर को मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 157 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। 29 अक्टूबर को मुंबई में पीएम2.5 का स्तर 61 µg/m3 दर्ज किया गया, जबकि आस-पास के इलाकों जैसे मीरा-भाइंदर, उल्हासनगर और नवी मुंबई में यह क्रमशः 85, 81 और 79 µg/m3 रहा। यह सभी स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा तय की गई सीमा से कम से कम पांच गुना अधिक हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान गिरने के साथ प्रदूषक तत्व वायुमंडल के निचले स्तर पर ही रहते हैं, जिससे सांस की तकलीफ बढ़ती है।
चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ संजीव मेहता ने कहा कि शहर में चल रहे मेट्रो के काम के कारण सड़कों का एक बड़ा हिस्सा बंद है, जिससे वाहनों को आवाजाही में अधिक समय लग रहा है और प्रदूषण बढ़ रहा है।
वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुंबई में “बिगड़ती” वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की है।
पश्चिम बंगाल में हरित पटाखों की ध्वनि सीमा बढ़ाई गई
पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) ने केवल आवाज़ करने वाले हरित पटाखों की ध्वनि सीमा 90 डेसिबल (डीबी) से बढ़ाकर 125 डीबी कर दी है। डब्ल्यूबीपीसीबी ने एक आदेश में कहा है कि ‘आवाज़ वाले हरित पटाखों की ध्वनि-सीमा 125 डीबी के भीतर होगी और रोशनी करने वाले पटाखों के लिए 90 डीबी’। यह स्तर सीएसआईआर-नीरी के फॉर्मूले के अनुसार चार मीटर की दूरी से मापे जाते हैं।
अक्टूबर 2021 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पश्चिम बंगाल में हरित पटाखों के अलावा अन्य पटाखों की बिक्री और जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। दिवाली के अवसर पर हरित पटाखों को जलाने का समय भी दो घंटे — रात 8 बजे से 10 बजे तक निर्धारित किया गया है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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