Newsletter - September 4, 2019
बैटरी वाहन: कहानी हो रही है टांय-टांय फिस्स
कुछ वक्त पहले तक सरकार कह रही थी कि देश का भविष्य बैटरी वाहन हैं। साल 2015 में नेशनल इलैक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020 लॉन्च किया गया जिसमें 2030 तक 100% बैटरी वाहनों की बात कही गई। अब अचानक सरकार का संकल्प डगमगा रहा है। ऑटो सेक्टर पिछले 2 दशकों की सबसे खराब मंदी से गुज़र रहा है और 3 लाख से अधिक लोग अभी तक अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। ऐसे में बैटरी वाहन मिशन को बलि का बकरा बना दिया गया है और इसकी घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
पहले प्रधानमंत्री ने जब कहा कि बैटरी और परम्परागत वाहनों का बाज़ार साथ साथ बढ़ सकता है फिर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नीति आयोग के बनाये उस नियम को खारिज कर दिया जिसमें पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले तिपहिया और दुपहिया वाहनों को क्रमश: 2023 और 2025 तक बन्द करने की बात कही गई थी। इसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा कि इंडस्ट्री किसी एक सेक्टर को दूसरे से अधिक प्राथमिकता नहीं दी जायेगी।
इसी तरह सरकार के कई दूसरे कदमों ने भी ऑटोमोबाइल सेक्टर पर असर डाला है। मिसाल के तौर पर अगले साल से BS – VI वाहनों और इसके ईंधन से जुड़े नियम। ऐसी नीतियों के बीच विश्व बाज़ार के हालात का भारत पर बुरा ही असर पड़ा है।
क्लाइमेट साइंस
अमेज़न: ब्राज़ील के दावे झूठे, जानकारों ने हालात बिगड़ने की चेतावनी दी
ब्राज़ील के पर्यावरण मंत्री रिकार्डो सेल्स ने “शुष्क मौसम, हवा और गर्मी” को अमेज़न के जंगलों में लगी आग के लिये ज़िम्मेदार ठहराया है। हालांकि जानकार कहते हैं कि इस तरह के हालात के लिये राष्ट्रपति जायर बोल्सानारो की नीतियों ज़िम्मेदार हैं जिसकी वजह से जंगलों का तेज़ी से कटान हुआ है। जंगल जैसे जैसे कटते गये हैं आग की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।
बोल्सनारो ने दावा किया कि हालात सामान्य हो रहे हैं। ब्राज़ील के विदेश मंत्री ने भी कहा आग को सफलतापूर्वक बुझाया जा रहा है लेकिन एक फॉरेस्ट इंजीनियर तासो एज़ीविडो – जो कि जंगल कटान की निगरानी कर रहे ग्रुप मैपबायोमास से जुड़े हैं – ने कहा है कि हालात अभी और खराब होंगे। ब्राज़ील के भीतर अगस्त के महीने में 1100 वर्ग किलोमीटर से अधिक अमेज़न फॉरेस्ट नष्ट हो गया।
चिन्ता की बात है कि अमेज़न ही नहीं दुनिया में अन्य जगह भी जंगलों में ऐसी आग फैल रही है जहां अब आग लगने की घटनायें नहीं हुआ करती थीं। इनमें साइबेरिया और अलास्का के जंगल शामिल हैं। साइबेरिया में जुलाई से अब तक 60 लाख एकड़ जंगल जल गये हैं जबकि अलास्का में 25 लाख एकड़ में आग फैल गई है।
समुद्र सतह में बढ़ोतरी, गर्म होते महासागर लायेंगे आपदा: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट
अगर कार्बन इमीशन पर काबू नहीं किया गया तो हमारे समुद्र मानवता के शत्रु बन सकते हैं। समाचार एजेंसी AFP ने IPCC की ड्राफ्ट “स्पेशल रिपोर्ट” के हवाले से यह ख़बर दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बदलाव शुरू हो चुका है जिससे मछलियों की संख्या में कमी और चक्रवाती तूफान में कई गुना बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। इससे लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित होंगे।
सबसे अधिक प्रभाव छोटे द्वीप-देशों पर पड़ेगा और तटीय इलाकों में रह रही आबादी इससे बहुत प्रभावित होगी। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर भी इस बदलाव की चोट पड़नी तय है। भारत में सुंदरवन जैसे इलाकों का वजूद संकट में पड़ जायेगा। इस ख़बर के लीक होने के बाद IPCC ने बयान जारी कर कहा है कि यह रिपोर्ट अभी लिखी जा रही है और इसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
जलवायु परिवर्तन से बदल रहा है दुनिया में बाढ़ का पैटर्न
एक नये शोध से पता चला है कि यूरोप में बाढ़ की घटनाओं के बदलते पैटर्न के पीछे जलवायु परिवर्तन का असर है। साइंस जर्नल नेचर में छपे शोध के मुताबिक पिछले 50 साल में यूके समेत उत्तर-पश्चिमी यूरोप में बाढ़ में भयानक वृद्धि हुई है जबकि दक्षिणी और पूर्वी यूरोप में ऐसी घटनायें कम हुई हैं। मिसाल के तौर पर उत्तरी इंग्लैंड और दक्षिणी स्कॉटलैंड में बाढ़ की घटनाओं में हर दशक में 11% बढ़ोतरी हो रही है जबकि रूस में ऐसी घटनाओं की संख्या में 23% गिरावट दर्ज की गई है। इन नतीजों तक पहुंचने के लिये शोधकर्ताओं ने 3,738 बाढ़ गणना केंद्रों के रिकॉर्ड्स का अध्ययन किया जिनमें 1960 से लेकर 2010 तक के आंकड़े थे।
क्लाइमेट नीति
बंजर होती ज़मीन को बचाने के लिये संयुक्त राष्ट्र की बैठक
दुनिया भर की ज़मीन तेज़ी से बंजर हो रही है और इसे लेकर विश्व के तमाम देशों का दो हफ्ते का सम्मेलन सोमवार को राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में शुरू हुआ। संयुक्त राष्ट्र के इस विशेष सम्मेलन की अध्यक्षता भारत कर रहा है और इसमें 190 से अधिक देश हिस्सा ले रहे हैं। पूरी दुनिया में करीब 13200 करोड़ हेक्टेयर ज़मीन है जिसमें से लगभग एक तिहाई (400 करोड़ हेक्टेयर) ज़मीन मरुस्थलीय हो चुकी है।
हमारे देश में कुल उपलब्ध क्षेत्रफल है लगभग 33 करोड़ हेक्टेयर। इसमें से लगभग 10 करोड़ हेक्टयेर ज़मीन मरुस्थल या बंजर हो चुकी है। इस ज़मीन को कृषि या बागवानी के लिये इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ज़मीन के अति दोहन, कीटनाशकों के इस्तेमाल और बाढ़ और तेज़ आंधियों के अलावा सूखे और जंगलों के कटान से ज़मीन ख़राब होती है। इसे उपजाऊ बनाने के लिये जैविक खेती को अपनाने और बेहतर जल प्रबंधन के साथ पेड़ लगाने जैसे कदम कारगर हो सकते हैं।
भारत सरकार ने यह वादा किया है वह अगले 10 सालों में 50 लाख हेक्टेयर ज़मीन को उपजाऊ बनायेगी। महात्मा गांधी की जन्मशती के 150 वें साल में सरकार कह रही है कि वह गांधी के जन्मस्थल पोरबंदर से दिल्ली तक एक हरित पथ बनायेगी। यह बात ध्यान देने की है कि सरकार ने 2015 में कहा था कि वह 130 लाख हेक्टेयर ज़मीन 2020 तक उपजाऊ बनायेगी और अगले 10 साल में यानी 2030 तक 80 हेक्टेयर ज़मीन और सुधारेगी।
गांधी जयंती से लगेगी सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक
पूरे देश में 2 अक्टूबर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के तहत आने वाले 6 आइटम बैन हो जायेंगे। सरकार 2022 तक प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगाना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्लास्टिक के बैग, कप, प्लेट्स, छोटी बोतलें, सेशे और स्ट्रॉ पर पाबंदी का ऐलान करेंगे जिसके बाद इनके उत्पादन, आयात, विक्रय और और इस्तेमाल पर रोक होगी। कुछ राज्यों ने प्लास्टिक बैग पर पहले ही पाबंदी लगाई हुई है।
G-7: धधकते अमेज़न पर ब्राज़ीली राष्ट्रपति के नख़रे
विनाशकारी आग से धधकते अमेज़न ने सारी दुनिया को चिन्ता में डाला हुआ है लेकिन हाल में G-7 सम्मेलन के दौरान ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो के रुख में किसी तरह का अफसोस नहीं दिखा। जब इस आग को बुझाने के लिये ब्राज़ील को 2 करोड़ डॉलर की मदद देने के प्रस्ताव स्वीकार किया गया तो बोल्सनारो ने पहले इल मदद को यह कहकर ठुकरा दिया कि यूरोपीय देश ब्राज़ील के साथ एक उपनिवेश जैसा तरह बर्ताव कर रहे हैं और अमेज़न के जंगलों में क़ब्ज़ा करना चाहते हैं। बाद में ब्राज़ील ने यह कहकर मदद स्वीकार की इस रकम को किस तरह इस्तेमाल किया जाये यह उनकी सरकार तय करेगी।
वायु प्रदूषण
फिलहाल नहीं लगेगी पुराने डीज़ल/पेट्रोल वाहनों पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसके तहत 15 साल से अधिक पुराने डीज़ल वाहनों और 10 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर पाबंदी लगाई गई थी। NGT के 2016 में दिये आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। केंद्र सरकार ने अदालत में तर्क दिया कि किसी वाहन की मियाद तय करना केंद्र सरकार के हाथ में है और किसी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन को मोटर वाहन एक्ट के तहत ही रद्द किया जा सकता है।
इससे पहले 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने डीज़ल वाहनों की छंटनी करने का आदेश दिया था। उस वक्त सरकार ने तर्क दिया था कि ये वाहन कम ईंधन पर चलते हैं और पेट्रोल वाहनों के मुकाबले 15 % कम CO2 छोड़ते हैं। बाद में पता चला कि पेट्रोल वाहनों के मुकाबले डीज़ल वाहन कहीं अधिक SOx और NOx हवा में छोड़ते हैं। इस लिहाज़ से कोर्ट के आखिरी फैसले पर सबकी नज़र है।
मुंबई ने अब तक नहीं दिया साफ हवा को रोड मैप!
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत भारत की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुंबई ने अब तक अपना प्लान नहीं बताया है। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम इस साल की शुरुआत में लॉन्च किया गया जिसमें देश के 102 शहरों को केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (CPCB) को बताना है हवा को साफ करने के लिये वह क्या कदम उठायेंगे। इन शहरों को 2024 तक प्रदूषण (PM 2.5, PM 10 इत्यादि) में कम से कम 30% कटौती करनी है। अब तक 90 से अधिक शहरों ने अपना रोड मैप बोर्ड को बता दिया है लेकिन नासिक, मुंबई और शोलापुर समेत 10 शहरों ने अब तक इस बारे में खाका कोर्ट में जमा नहीं किया है।
हाल में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 20 अन्य शहरों को NCAP में जोड़ने को कहा था जिसके बाद अब शहरों की संख्या 122 हो गई है। जानकार कहते हैं कि मुंबई की ओर से अब तक रोड मैप जमा न किया जाना निराशाजनक है क्योंकि मायानगरी की हवा तो राजधानी दिल्ली की हवा से भी अधिक ज़हरीली हो चुकी है।
महाराष्ट्र को प्रदूषण के खिलाफ युद्ध स्तर पर जुटना होगा: क्लाइमेट ट्रेंड
पर्यावरण पर काम कर रही संस्था क्लाइमेट ट्रेंड की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि महाराष्ट्र को वायु प्रदूषण से लड़ने के लिये युद्ध स्तर पर काम करना होगा। “Unknown Hurdles to a Trillion Dollar Economy: Solving Air Pollution in Maharashtra” नाम से प्रकाशित इस रिपोर्ट में अब तक हुये तमाम शोध कार्यों का अध्ययन कर पता लगाने की कोशिश की गई है कि राज्य में प्रदूषण के मुख्य स्रोत क्या हैं। राज्य में 50% वायु प्रदूषण के लिये उद्योग, पानी और हवाई जहाज का धुंआं, बायोमास और हवा के साथ उड़ने वाली धूल ज़िम्मेदार है। इसके बाद 30% हिस्सा वाहनों की वजह और बाकी 20% के लिये भवन निर्माण या उन्हें गिराये जाने से हो रहा प्रदूषण ज़िम्मेदार है।
रिपोर्ट बताती है कि 50 साल में वाहनों की संख्या 11,000% बढ़ी है और राज्य में 15,000 ईंट के भट्टों पर प्रदूषण नियमों को लेकर कोई निगरानी नहीं है। इसकी अलावा राज्य भर में हरे भरे इलाकों में पेड़ काटकर भवन निर्माण चल रहा है जिससे वायु प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा है।
साफ ऊर्जा
रूफटॉप सोलर पावर के लिये नई गाइडलाइन
सरकार ने ग्रिड से जुड़े रूफ टॉप सोलर पावर के दूसरे चरण में 22 गीगावॉट के कार्यक्रम के लिये गाइडलाइन जारी की हैं। केंद्र सरकार ने 2022 तक 38 गीगावॉट रूफटॉप सोलर का लक्ष्य रखा है। इसमें से 4 गीगावॉट रिहायशी कॉलोनियों में और बाकी 34 गीगावॉट के लिये सरकारी दफ्तरों, शिक्षण संस्थानों, उद्योगों और बिजनेस से जुड़े भवनों की छत इस्तेमाल की जायेगी। इस कार्यक्रम के तहत सोलर सेल और मॉड्यूल के देसी निर्माण को बढ़ावा दिया जायेगा। रिहायशी इलाकों में सोलर लगाने का काम डिस्कॉम (वितरण कंपनियां) करेंगी। जिन्हें सरकार के सेंट्रल फाइनेंसियल असिस्टेंस प्रोग्राम के तहत मदद दी जायेगी।
UDAY: सुस्ती दिखाने वाले राज्यों के फंड में होगी कटौती
UDAY स्कीम के दूसरे चरण में केंद्र सरकार अब तक सुस्ती दिखा रहे वाले राज्यों के फंड में कटौती करेगी। उज्ज्वल डिस्कॉम अश्योरेंस योजना (UDAY) कर्ज़ में दबी वितरण कंपनियों की सेहत सुधारने के लिये बनाई गई। ऊर्जा मंत्री आर के सिंह के मुताबिक दूसरे चरण में कई सुधार एक पैकेज के रूप में लाये जायेंगे। पैसे का आबंटन अच्छे प्रदर्शन को हासिल करने के लिये होगा। अगर डिस्कॉम अपनी हालत ठीक नहीं करते तो उन्हें दी जाने वाली राशि में कटौती की जायेगी।
चीन: इस साल के पहले 6 महीनों में 11 गीगावॉट सोलर के नये संयत्र
चीन ने साल 2019 के पहले 6 महीनों में सौर ऊर्जा में 11.4 गीगावॉट की बढ़ोतरी की है। यह वृद्धि तान की सौर ऊर्जा में करीब 20% का उछाल है। कटौती की जायेगी। अब चीन की कुल सौर ऊर्जा क्षमता 186 गीगावॉट हो गई है। इसमें से 130.5 गीगावॉट सोलर पावर ग्रिड से जुड़ी ऊर्जा है। साल 2018 में ही चीन की कुल साफ ऊर्जा क्षमता (हाइड्रो और बायोमास मिलाकर) 728 गीगावॉट हो गई थी जो देश में लगाये गये सभी बिजलीघरों की कुल उत्पादन क्षमता का 38% है।
बैटरी वाहन
बैटरी वाहनों के लिये कोई “लक्ष्य” नहीं, फंडिंग के लिये ADB से वार्ता
नीति आयोग के सुझाव के बावजूद अब भारत सरकार ने कहा है कि वह अभी बैटरी वाहनों के लिये कोई लक्ष्य तय नहीं कर रही है। यह घोषणा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की। उन्होंने आयोग के उस नियम को रदद् कर दिया जिसमें 2023 से सभी तिपहिया वाहन और 2025 से सारे दुपहिया वाहनों को केवल बैटरी चालित करने की बात कही गई थी। इस ऐलान से परम्परागत ऑटो निर्माताओं ने राहत की सांस ली है जो पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाले दुपहिया और तिपहिया वाहनों को बन्द करने का विरोध कर रहे थे।
दूसरी ओर केंद्र सरकार बैटरी वाहन समेत तमाम क्षेत्रों में तेज़ी लाने के लिये एशियाई विकास बैंक (ADB) से 1200 करोड़ रुपये के कर्ज़ के लिये वार्ता कर रही है।
इंडियन ऑइल बनायेगी 100% देसी नॉन-लीथियम आयन बैटरी
भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में एक इंडियन ऑयल जल्दी ही इलैक्ट्रिक वाहनों के लिये 1 गीगावॉट क्षमता का नॉन लीथियम आयन बैटरी प्लांट लगायेगी। इंडियन ऑयल यह प्लांट एक विदेशी स्टार्ट-अप कंपनी के साथ मिलकर लगायेगी। उम्मीद है कि इस साझा उपक्रम से लीथियम आयन बैटरियों पर निर्भर ता कम होगी, जिनका 90% आयात करना पड़ता है। नई बैटरियां देश में आसानी से मिलने वाले कच्चे माल से तैयार होंगी और खालिस देसी प्रोडक्ट होंगी।
चीन की घटिया ईवी बैटरियों पर लगेगा ऊंचा आयात शुल्क
नीति आयोग ने सिफारिश की है कि चीन से आने वाली दोयम दर्जे की ईवी बैटरियों पर हाइ इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई जाये। इससे पहले यह ख़बर आई थी कि चीन अपना “कबाड़” भारत में खपा रहा है क्योंकि इन बैटरियों के ग्राहक उसे अपने देश में नहीं मिल रहे। इस कदम से ऐसी चीनी बैटरियों का इस्तेमाल भारत में कम होगा जो एनर्ज़ी, तापमान सहने की क्षमता और सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरती।
दूसरी ओर वित्त मंत्रालय ने देसी बैटरी निर्माताओं के लिये 700 करोड़ रुपये की सब्सिडी के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इससे देश में वाहनों के लिये कुल 50 गीगावॉट-पावर क्षमता का बैटरी निर्माण होगा।
जीवाश्म ईंधन
सरकार ने कोयले में 100% विदेशी निवेश को दी मंज़ूरी
वित्त मामलों की कैबिनेट कमेटी ने देश में कोयला खनन और उससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर कारोबार में 100% विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है। अब तक कोल इंडिया (CIL) और इसकी सहयोगी SSCL देश की प्रमुख खनन कंपनियां थी। जिन निजी कंपनियों को सीमेंट, पावर और स्टील के लिये खानें दी गई हैं उन्हें अपने उत्पादन का सिर्फ 25% हिस्सा खुले बाज़ार में बेचने की अनुमति थी। जहां एक ओर FDI कोयला बाज़ार में तेज़ी और नई टेक्नोलॉजी ला सकता है वहीं इससे भारत के कार्बन इमीशन बढ़ेंगे और यह ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य के खिलाफ होगा।
NTPC बनना चाहती है कोयले में नंबर – 2
सरकारी क्षेत्र की पावर कंपनी NTPC ने कहा है कि वह देश की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक बनना चाहती है। कोयला खनन में कोल इंडिया भारत की नंबर-1 कंपनी है। NTPC अपने 11 कोल ब्लॉक्स से अभी सालाना 80 लाख टन कोयला निकालती है जिसे वह बढ़ाकर 10 करोड़ टन सालाना करना चाहती है। हालांकि NTPC ने यह ऐलान ऐसे वक़्त किया है जब कोल पावर में निवेश तेज़ी से घटा है और दुनिया भर में कोयला की खपत घटाने की मांग हो रही है।
इस बीच केंद्र सरकार ने नीति आयोग की उस मांग को खारिज़ कर दिया है जिसमें कहा गया था कि सीमेंट, स्टील और बिजली बनाने वाली कंपनियों को कैप्टिव कोल माइन न देने को कहा गया था। नीति आयोग चाहता था कि इन उद्योगों में लगी कंपनियां बाज़ार से कोयला खरीदें लेकिन बिजली मंत्रालय ने कहा कि इससे सप्लाई पर असर पड़ेगा और “देश अंधेरे में डूब जायेगा।”
महज़ 5 साल में खत्म हो सकता है UK का शेल गैस भंडार
नये शोध बताते हैं कि यूनाइटेड किंगडम यानी UK का शेल गैस भंडार अगले 5 साल में खत्म हो सकता है। पहले अनुमान लगाया गया था कि ब्रिटेन के पास अगले 50 साल के लिये पर्याप्त शेल गैस है। यह ख़बर गैस उत्खनन कंपनियों के लिये एक बड़ा झटका हो सकती है क्योंकि इस रिसर्च में कहा गया है कि कंपनियों के लिये 2 करोड़ घन फुट गैस निकालना भी मुमकिन नहीं होगा जबकि 13 करोड़ घन फुट गैस का अनुमान लगाया गया था। UK की सबसे बड़ी उत्खनन कंपनियों में से एक कुआड्रिला ने इस शोध के नतीजों को खारिज कर दिया है।