कुछ वक्त पहले तक सरकार कह रही थी कि देश का भविष्य बैटरी वाहन हैं। साल 2015 में नेशनल इलैक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020 लॉन्च किया गया जिसमें 2030 तक 100% बैटरी वाहनों की बात कही गई। अब अचानक सरकार का संकल्प डगमगा रहा है। ऑटो सेक्टर पिछले 2 दशकों की सबसे खराब मंदी से गुज़र रहा है और 3 लाख से अधिक लोग अभी तक अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। ऐसे में बैटरी वाहन मिशन को बलि का बकरा बना दिया गया है और इसकी घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
पहले प्रधानमंत्री ने जब कहा कि बैटरी और परम्परागत वाहनों का बाज़ार साथ साथ बढ़ सकता है फिर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नीति आयोग के बनाये उस नियम को खारिज कर दिया जिसमें पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले तिपहिया और दुपहिया वाहनों को क्रमश: 2023 और 2025 तक बन्द करने की बात कही गई थी। इसके बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा कि इंडस्ट्री किसी एक सेक्टर को दूसरे से अधिक प्राथमिकता नहीं दी जायेगी।
इसी तरह सरकार के कई दूसरे कदमों ने भी ऑटोमोबाइल सेक्टर पर असर डाला है। मिसाल के तौर पर अगले साल से BS – VI वाहनों और इसके ईंधन से जुड़े नियम। ऐसी नीतियों के बीच विश्व बाज़ार के हालात का भारत पर बुरा ही असर पड़ा है।
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