हीटिंग का असर: भारत में कम हुई मानव उत्पादकता की क्षति 15,900 करोड़ डॉलर से अधिक आंकी गई।

कार्बन उत्सर्जन से हुई गर्मी के कारण भारत को 15,900 करोड़ डॉलर की चोट

कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रही ग्लोबल हीटिंग मानव उत्पादकता पर भी सीधा असर डाल रही है। क्लाइमेट ट्रांसपरेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक जी-20 देशों में भारत उत्सर्जन से बढ़ रही हीटिंग से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला देश है। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत को साल 2021 में ग्रीन हाउस गैस इमीशन के कारण बढ़ी गर्मी से 15,900 करोड़ डॉलर की क्षति हुई। क्लाइमेट ट्रांसपरेंसी – जो कि जलवायु परिवर्तन पर नज़र रखने वाले विश्व भर के संगठनों का समूह है – की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से 2021 के बीच  गर्मियों में औसत तापमान (1986 से 2005 के मुकाबले ) 0.4 डिग्री अधिक महसूस किया गया। इस कारण भारत में 16,700 करोड़ श्रमिक घंटों (लेबर ऑवर्स) का नुकसान हुआ। सभी जी – 20 देशों में भारत की अर्थव्यवस्था को इस कारण सबसे अधिक चोट पहुंची जो उसके जीडीपी की 5.4% के बराबर है।  यह क्षति सेवा, निर्माण और 

एक्सट्रीम वेदर के कारण भारत के चावल और गेहूं भंडार में भारी गिरावट 

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़े दिखाते हैं कि गेहूं और चावल का भंडार पिछले 5 साल में सबसे निचले स्तर पर है क्योंकि एक्सट्रीम वेदर के कारण इन फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा है। यहां जमा किये गये अनाज को 80 करोड़ जनता तक सब्सिडी के तहत सस्ती दरों में पहुंचाया जाता है लेकिन पिछले 1 साल में सर्दियों और गर्मी दोनों ही मौसमों में फसलों पर असर पड़ा है। हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि एफसीआई के भंडार में अभी 5 करोड़ टन से अधिक गेहूं और चावल है जो न्यूनतम भंडारण स्तर से 66%  अधिक है। 

निगम का कहना है कि घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिये देश में अभी पर्याप्त चावल है लेकिन गेहूं का भंडार 14 साल में सबसे कम है क्योंकि यूक्रेन-रूस संकट के कारण बढ़ी मांग की वजह से किसानों ने अपना गेहूं सीधे बाज़ार निजी व्यापारियों को बेचा है। तमिलनाडु समेत देश के कई हिस्सों में भारी बारिश के कारण धान की फसल पर बहुत बुरा असर पड़ा।  

पिछले 50 साल में वन्य जीव आबादी 69% घटी: डब्लूडब्लूएफ 

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड यानी डब्लू डब्लू एफ की लिविंड प्लेनेट इंडेक्स के मुताबिक 1970 के बाद से धरती पर वन्य जीवों की आबादी बहुत तेज़ी से कम हुई है। इसमें 69% गिरावट हुई है। जिन प्राणियों की संख्या घटी है उनमें स्तनधारी, पक्षी, उभयचर, सरीसृप और मतस्य परिवार के हैं। लातिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में 1970 और 2018 के बीच मॉनीटर किये जा रहे वन्य जीवों की संख्या 94% कम हुई। दिसंबर में होने वाले बायोडायवर्सिटी समिट से पहले ये जानकारी काफी महत्वपूर्ण है। 

इस दौर में ही दुनिया में ताजे पानी के जलीय जीवों की संख्या में 83% की कमी आई है। रिपोर्ट में पाया गया है कि 1970 से 2016 तक ताजे पानी की मछलियों की संख्या में 76% की गिरावट आई है। महत्वपूर्ण है कि इसी दौर में इंसानी आबादी दोगुना हो गई है। क्या इंसानी की धरती पर मौजूदगी बढ़ना बेज़ुबान जानवरों के लिये ख़तरा है?

नाइजीरिया में बाढ़ से सैकड़ों लोग मरे, 13 लाख से अधिक विस्थापित

नाइजीरिया के 36 में से 33 राज्यों में विनाशकारी बाढ़ ने भारी तबाही की है। इसने अफ्रीकी देश के 600 से अधिक लोगों की जान ले ली है और 13 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। अधिकारियों के मुताबिक 3,400 वर्ग किलोमीटर इलाका पानी में डूब गया और इससे आने वाले दिनों में फूड सप्लाई चेन पर प्रभाव पड़ेगा जो कि उत्तर-पश्चिम और सेंट्रल नाइजीरिया में चल रहे असंतोष से पहले ही प्रभावित है।   

हालांकि साल के इस वक्त में यहां बाढ़ का होना असामान्य नहीं है लेकिन 2022 में आई ये बाढ़ कई दशकों की सबसे विनाशकारी बाढ़ है। अधिकारियों का कहना है कि अत्यधिक बारिश और पड़ोसी देश कैमरून में बांध से छोड़ा गया पानी इसकी मुख्य वजह है। 

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