केंद्र सरकार ताप बिजलीघरों पर मेहरबान है। जो काम करने की बात 2015 में हुई थी वह अब तक नहीं हो सका और अब थर्मल पावर प्लांट्स को सल्फर डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन को नियंत्रित करने की टेक्नोलॉजी लगाने के लिये 2 साल और मिल गये हैं। कोयला बिजलीघरों के लिये 2015 में यह नियम बने थे और पहली बार उन्हें 2017 तक इनका पालन करने का समयसीमा रखी गई थी लेकिन सल्फर नियंत्रण के लिये फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) लगाने की यह डेडलाइन बार बार बढ़ती ही जा रही है।
केंद्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर की 10 किलोमीटर की परिधि में बने कोयला बिजलीघरों को 31 दिसंबर 2024 तक का समय दे दिया है जबकि इन्हें इस साल को अंत तक यह काम पूरा करना था। दिल्ली एनसीआर की 300 किलोमीटर की परिधि में 11 पावर प्लांट हैं जिन्हें उनकी लोकेशन के हिसाब से दिसंबर 2024 से दिसंबर 2026 तक का समय दिया गया है। अत्यधिक प्रदूषित इलाकों के 10 किलोमीटर के दायरे में बसे बिजलीघरों के लिये यह समयसीमा दिसंबर 2023 से दिसंबर 2025 कर दी गई है।
महत्वपूर्ण है कि भारत सबसे अधिक सल्फर डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन करने वाले देशों में है और यह गैस हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसे बीमारियों की वजह बनती है। जानकारों ने सरकार के इस फैसले पर निराशा जताई है और कहा है कि लगता है कि SO2 नियंत्रण के मानक कभी लागू नहीं हो पायेंगे।
दिल्ली में 1 जनवरी तक पटाखों पर रोक, कितना प्रभावी होगी यह पाबंदी
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी ने अगले साल 1 जनवरी तक राजधानी में किसी भी तरह के पटाखों के बनाने, बचने और जलाने पर रोक लगा दी है। दिल्ली सरकार पिछले 2 साल से आतिशबाज़ी पर रोक लगाने की नीति अपना रही है। दीवाली के वक्त आतिशबाज़ी से वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता है। सरकार ने पटाखों के भंडारण (स्टोरेज) और ऑनलाइन बिक्री पर भी रोक लगा दी है। दिल्ली सरकार को उम्मीद है कि जल्द लिये गये फैसले से पुलिस और प्रशासन को आतिशबाज़ी पर रोक लगाने के लिये ज़रूरी कदमों के लिये समय मिलेगा। हरियाणा सरकार ने भी अपने 14 ज़िलों में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है।
लेकिन पर्यावरण के जानकार इस बात से आश्वस्त नहीं है कि इस बैन के बाद भी दीवाली पर आतिशबाज़ी नहीं होगी। पिछले साल भी सरकार की ओर से इस तरह की पाबंदी थी लेकिन लोगों ने जमकर आतिशबाज़ी की। जाड़ों में आतिशबाज़ी और पराली जलाने के कारण प्रदूषण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाते हैं।
जलवायु परिवर्तन से हो रही हीटवेव और जंगलों की आग बढ़ा रही है वायु प्रदूषण: विश्व मौसम संगठन
विश्व मौसम संगठन (WMO) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक क्लाइमेट चेंज के कारण बार-बार हो रही भयंकर हीटवेव और जंगलों में लग रही आग से एयर क्वॉलिटी बिगड़ रही है। यह रिपोर्ट बताती है कि जंगलों में लगी विशाल आग के कारण साल 2021 में पूर्वी साइबेरिया में पीएम 2.5 का जो स्तर देखा गया वैसा पहले कभी नहीं था। डब्लूएमओ की रिपोर्ट के लीड साइंटिस्ट कहते हैं कि हीटवेव की संख्या, तीव्रता और अवधि के और अधिक बढ़ने पर एक नई समस्या खड़ी हो जायेगी जिसे ‘क्लाइमेट पेनल्टी’ कहा जाता है। ऐसे में धरती की सतह पर (जहां लोग रहते हैं) ओज़ोन का स्तर बढ़ने लगता है जो सांस के हानिकारक है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
दिल्ली में इस साल भी बैन रहेंगे पटाखे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहीं और जाकर जलाएं
-
दिल्लीवासियों के लगभग 12 साल खा रहा है वायु प्रदूषण: रिपोर्ट
-
वायु प्रदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता को दे रहा है बढ़ावा
-
वायु प्रदूषण से भारत की वर्ष-दर-वर्ष जीडीपी वृद्धि 0.56% अंक कम हुई: विश्व बैंक
-
देश के 12% शहरों में ही मौजूद है वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग प्रणाली