साइंस जर्नल जूल में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक दुनिया अगर साफ ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करे तो साल 2050 तक 12 लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 900 लाख करोड़ रूपये बचा सकती है। नवीनीकरणीय ऊर्जा और जीवाश्म ईंधन की कीमतों का विश्लेषण करने के बाद इस स्टडी में भविष्य की कीमतों का अनुमान लगाया गया है। बीबीसी में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि सौर और पवन ऊर्जा की कीमतों में सालाना 10% तक गिरावट होने जा रही है। इस दर से साफ ऊर्जा जीवाश्म ईंधन के मुकाबले काफी सस्ती होगी।
रिसर्च में पाया गया है कि उद्योगों ने साफ ऊर्जा में ट्रांजिशन की कीमत का बहुत अधिक अनुमान लगाया जिससे निवेशकों और सरकारों का आत्मविश्वास कम रहा।
साल 2030 तक 70 गीगावॉट क्षमता के लिये भारत को सालाना 10 गीगावॉट तटीय पवन ऊर्जा क्षमता चाहिये
ग्लोबल विन्ड एनर्जी काउंसिल के मुताबिक पिछले 5 साल में (2017-21) सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने औसतन सालाना 3.5 गीगावॉट तटीय पवन ऊर्जा के टेंडर निकाले। इसमें 1.6 गीगावॉट प्रतिवर्ष के वह हाइब्रिड टेंडर शामिल नहीं हैं जो 2018 और 2021 के बीच दिये गये।
रिपोर्ट बताती है साल 2030 तक 70 गीगावॉट की क्षमता हासिल करने के लिये भारत को सालाना 8-10 गीगावॉट के टेंडर निकालने होंगे।
चीन: पवनचक्कियों के वैश्विक ऑर्डर में रिकॉर्ड बना, 2022 में 36% उछाल
वुड मैंकेंजी के मुताबिक चीन को दुनिया भर से मिलने वाले पवनचक्कियों के ऑर्डर में इस साल 36% की बढ़ोतरी हुई है और इनकी कल कीमत 18.1 बिलयन डॉलर के बराबर है। साल 2022 की दूसरी तिमाही में चीन को मिलने वाले टर्बाइन ऑर्डर 43 गीगावॉट पहुंच गये। वुड मैकेंजी की रिसर्च के मुताबिक चीन ने अगले 10 साल तक सालाना 55 गीगावॉट क्षमता की टर्बाइन बनाने का लक्ष्य रखा है।
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