दिल्ली-आगरा और दिल्ली-जयपुर के बीच ई-हाईवे की पायलट परियोजनाओं की सफलता के बाद, अब केंद्र सरकार 12 राज्यों के 23 शहरों के बीच 5,500 किलोमीटर के मौजूदा राजमार्गों को अपग्रेड करते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएचईवी) बनाने की योजना को अंतिम रूप दे रही है।
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत अपग्रेड किए जाने वाले इन ई-राजमार्गों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग पॉइंट एवं अन्य सुविधाओं के साथ 111 स्टेशन होंगे।
सबसे लंबा ई-हाइवे (558 किमी) बेंगलूरु और गोवा के बीच होगा जहां 11 स्टेशन होंगे और सबसे छोटा ई-हाइवे (111 किमी) अहमदाबाद से वडोदरा के बीच होगा जहां केवल 2 स्टेशन होंगे।
भारत सरकार की एजेंसी ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस (ईओडीबी) द्वारा परीक्षण के तौर पर दिल्ली-आगरा और दिल्ली-जयपुर ई-हाइवे परियोजनाओं की सफलता के बाद यह पहल की गई है।
ईओडीबी की योजना के अनुसार प्रत्येक स्टेशन (1.5 से 2 एकड़ के बीच) पर चार्जिंग पॉइंट और बैटरी स्वैपिंग की सुविधा होगी। इसके अलावा, वहां लॉजिस्टिक्स सुविधाएं, रेस्तरां और टॉयलेट भी होंगे।
जियो-फेंसिंग, ब्रेकडाउन बैकअप और इलेक्ट्रिक कारों एवं बसों की खरीद पर भी निवेश किया जाएगा।
ईवी नीतियों के कार्यान्वयन में पिछड़ रहे राज्य, बेहतर तंत्र की आवश्यकता
देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 26 ने पिछले पांच वर्षों में अपनी ईवी नीतियां जारी की हैं। इनमे से 16 2020-2022 के बीच जारी की गईं हैं।
आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और दिल्ली ऐसे आठ राज्य हैं, जिन्होंने अक्टूबर 2020 से पहले अपनी नीतियां जारी कीं, जो दो साल या उससे अधिक समय से प्रभावी हैं।
क्लाइमेट ट्रेंड्स ने सभी राज्यों की ईवी नीतियों की व्यापकता का अध्ययन किया और पाया कि उपरोक्त आठ राज्यों में से कोई भी ईवी के प्रयोग, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, या निवेश से संबंधित अपने लक्ष्यों को पूरा करने के मार्ग पर नहीं है।
महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की नीतियां सर्वाधिक व्यापक हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, केरल और उत्तराखंड की सबसे कम।
इसके आलावा, केवल नौ राज्यों ने नई आवासीय इमारतों, कार्यालयों, पार्किंग स्थलों, मॉल आदि में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना अनिवार्य किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों ने अपने निर्धारित लक्ष्यों की तुलना में काफी कम प्राप्त किया है।
उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश का लक्ष्य है कि 2026 तक सभी नए पंजीकृत वाहनों में से 25% इलेक्ट्रिक हों, लेकिन इसकी वर्तमान पहुंच 2.2% है। दिल्ली में 2024 तक 25% इलेक्ट्रिक वाहनों के लक्ष्य के मुकाबले फ़िलहाल 7.2% पर है।
कई राज्यों में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या भी नीतिगत लक्ष्यों से काफी कम है।
लांच हुई सोडियम-आयन बैटरी पर चलने वाली दुनिया की पहली इलेक्ट्रिक कार
चीन के ईवी निर्माता जेएसी ने कम लागत वाली सोडियम-आयन बैटरी संचालित दुनिया की पहली इलेक्ट्रिक कार (ईवी) लांच की है, इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया।
यह बैटरी भविष्य में ईवी की लागत को 10% तक कम करने में सहायक हो सकती है।
चूंकि सोडियम-आयन बैटरी में सस्ते कच्चे माल का उपयोग होता है, इसलिए यह ईवी निर्माताओं को वर्तमान तकनीकों का विकल्प प्रदान कर सकती है, जो मुख्य रूप से लिथियम और कोबाल्ट का उपयोग करते हैं।
जेएसी की कर में प्रयुक्त 25 किलोवाट ऑवर की इस बैटरी को एक बार चार्ज करने पर 250 किमी तक यात्रा की जा सकती है।
लिथियम-आयन के बनिस्बत सोडियम-आयन बैटरी का घनत्व कम होता है। यह बैटरियां जल्दी चार्ज होती हैं और कम तापमान में अधिक दक्ष होती हैं।
भारत में अगले तीन सालों में 25,000 ईवी चलाएगी ऊबर
ऊबर टेक्नोलॉजीस ने कहा है कि वह टैक्सी शेयरिंग सेवा के लिए भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) का प्रयोग करेगी। कंपनी का यह कदम सार्वजनिक और साझा परिवहन में ईवी के अधिक इस्तेमाल के लिए भारत सरकार के प्रयासों के बीच आया है।
कंपनी अपने कारों के बेड़े में तीन वर्षों में 25,000 ईवी शामिल करेगी।
फिर भी, ऊबर के 300,000 वाहनों के सक्रिय बेड़े के सामने यह संख्या छोटी है।
ऊबर ने 2040 तक भारत सहित कई देशों में 100% सेवाएं शून्य-उत्सर्जन इलेक्ट्रिक वाहनों से देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
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