सुस्त रफ्तार: संसदीय समिति ने कहा है कि सरकार साफ ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने में बहुत पीछे है और इसके बजट में भी लगातार कमी हो रही है | Photo: Council on Foreign Relations

साफ ऊर्जा क्षेत्र उत्तर भारत में दे सकता है 50 लाख नौकरियां

दिल्ली स्थित क्लाइमेट ट्रेंडस और फिनलेंड की एलयूटी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोध में यह बात सामने आयी है दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र 2050 तक साफ ऊर्जा के इस्तेमाल के इंटीग्रेटेड सिस्टम द्वारा कार्बन न्यूट्रल हो सकता है। यह दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो शहरी इलाकों में है और साफ ऊर्जा का इस्तेमाल पावर, हीटिंग, परिवहन और उद्योगों में किया जा सकता है।  इस शोध में पता चला है कि उत्तर भारत में  अभी 825 मीट्रिक टन CO2 के बराबर प्रति वर्ष इमीशन को घटाकर 2050 में शून्य किया जा सकता है। तेल, गैस और कोयला आधारित बिजली के मुकाबले क्लीन एनर्जी सेक्टर में बदलाव के कारण 2050 तक कुल 50 लाख नौकरियां मिलेंगी। 

अगस्त में साफ ऊर्जा का हिस्सा 34% पहुंचा 

 जून में कोरोना लॉकडाउन में ढील के बाद बिजली की मांग बढ़ना शुरू हुई। इस साल अगस्त हुई कुल बिजली खपत में साफ ऊर्जा का हिस्सा 34% जबकि पिछले साल अगस्त 2019 में यह आंकड़ा 32% था। डाउन टु अर्थ मैग्ज़ीन के मुताबिक हालांकि इस साल कुल पावर जेनरेशन 13% घटा है। गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ जाती है जिसकी आपूर्ति हाइड्रो पावर और रिन्यूएबिल से होती है। 

साल 2022 का नया लक्ष्य – 220 GW? 

भारत की क्लीन एनर्जी उत्पादन क्षमता अभी 134 GW है और वह 2022 तक इसे 220 GW करेगा। अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस द्वारा आयोजित विश्व सौर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह संदेश दिया। हालांकि सवाल है कि बिजली क्षेत्र में मंदी और सोलर पैनल के बाज़ार की दिक्कतों को देखते हुए यह लक्ष्य पाना क्या मुमकिन हो पायेगा। 

उधर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 2025 तक देश की सरकारी पेट्रोलियम कंपनियां अपने 50% पेट्रोल पम्प साफ ऊर्जा से चलायेंगी। प्रधान के मुताबिक देश की 3 बड़ी सरकारी कंपनियों के कुल 63,150 फ्यूल स्टेशन हैं और इन्होंने सोलर पैनल लगाने शुरू कर दिये हैं। उनके मुताबिक अभी इन सोलर पैनलों की कुल क्षमता 270 मेगावॉट है और अगले साल 60 मेगावॉट क्षमता के पैनल और लगेंगे। 

अगले 10 साल में यूरोप की 80% पावर सप्लाई साफ ऊर्जा  

यूरोप के उद्योग संगठन यूरोइलेक्ट्रिक के द्वारा किये एक अध्ययन में कहा गया है कि साल 2030 तक यूरोप की 80% बिजली साफ ऊर्जा स्रोतों से बनेगी। इस साल जून में कुल बिजली का 40% साफ ऊर्जा के स्रोतों से था और कोयले, गैसे से बनने वाली बिजली में पिछले साल के मुकाबले 18% गिरावट आई। साल 2010 में यूरोप में कुल बिजली का केवल 20% साफ ऊर्जा थी।

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