मध्य प्रदेश के सिंगरौली क्षेत्र में दो कोयला बिजली घरों के राखड़ बांध (एश डेम) से हुए हानिकारक रिसाव के लिये कंपनियों पर कुल 111.35 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। सरकारी कंपनी एनटीपीसी को कुल 104 करोड़ रुपये और निजी कंपनी एस्सार को 7.35 करोड़ रुपये भरने होंगे। इस जुर्माने को तय करने के लिये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और आईआईटी (रुड़की) के संयुक्त पैनल ने नुकसान का आंकलन किया और पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में जमा की। इस दो कंपनियों ने कुल 10 रुपये अंतरिम राशि के तौर पर जमा किये हैं।
पिछले साल एनटीपीसी के विन्ध्याचल पावर प्लांट और एस्सार के महान बिजलीघर से रिसाव हुआ था। मुआवजे की राशि तय करने के लिये ग्रीन हाउस गैसों के इमीशन और रिसाव के कारण उस क्षेत्र में हुये जल-प्रदूषण को आधार बनाया गया है।
तेलंगाना: सिंगारेनी कोयला खदान पर अदालत ने मांगी रिपोर्ट
तेलंगाना के खम्मम ज़िले में चल रही सिंगारेनी कोयला खदान पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस खदान की वजह से वायु प्रदूषण और मिट्टी के खराब होने की शिकायत की गई है जिससे आसपास के क्षेत्र में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। अदालत ने खम्मम के ज़िलाधिकारी समेत चार लोगों की एक टीम से 9 नवंबर तक इस बारे में रिपोर्ट जमा करने को कहा है। इस टीम में पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी और राज्य प्रदूषण बोर्ड के अफसर के अलावा माइनिंग और जियोलोजी विभाग के वरिष्ठ अफसर को रखा गया है।
कोरोना संकट: दफ्तरों के एसी में लगेंगे विशेष फिल्टर
कोरोना महामारी के खतरे को कम करने के लिये सरकार दफ्तरों में चल रहे एसी में विशेष फिल्टर लगाने की मुहिम चला रही है। सरकार का कहना है कि इससे इनडोर एयर क्वालिटी बेहतर होगी और बिजली की बचत होगी। राज्य की एजेंसी एनर्जी एफिशेंसी सर्विसेस लिमिटेड (EESL) ने करीब 37 लाख फिल्टर यूनिट लगाने के लिये निविदायें मांगी हैं। सरकार ने छोटे और मझौले उद्योगों को निविदा (बोली) के लिये प्रोसेसिंग फी माफ कर दी है। मरकॉम के मुताबिक यह विशेष फिल्टर लगावे के लिये जून में एक पायलट प्रोजेक्ट किया गया था जिसमें पाया गया कि इनडोर एयर क्वॉलिटी में 90-95% का सुधार हुआ।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
दिल्ली में इस साल भी बैन रहेंगे पटाखे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहीं और जाकर जलाएं
-
दिल्लीवासियों के लगभग 12 साल खा रहा है वायु प्रदूषण: रिपोर्ट
-
वायु प्रदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता को दे रहा है बढ़ावा
-
वायु प्रदूषण से भारत की वर्ष-दर-वर्ष जीडीपी वृद्धि 0.56% अंक कम हुई: विश्व बैंक
-
देश के 12% शहरों में ही मौजूद है वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग प्रणाली