दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 39 भारतीय शहरों को स्थान मिला है।
आईक्यूएयर द्वारा पीएम2.5 के वार्षिक औसत स्तर के आधार पर तैयार की गई पांचवीं विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से सात गुना खराब है।
आईक्यूएयर एक स्विस वायु गुणवत्ता प्रौद्योगिकी कंपनी है जो हर साल विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट तैयार करती है। साल 2022 की यह रिपोर्ट 7,323 शहरों और 131 देशों के पीएम2.5 डेटा पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान का भिवाड़ी शहर 92.7 के पीएम स्तर के साथ भारत का सबसे प्रदूषित और दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है। वहीं दिल्ली 92.6 के पीएम स्तर के साथ सबसे प्रदूषित महानगरीय शहर बताया गया है।
131 देशों की सूची में भारत आठवें स्थान पर रहा, हालांकि 2022 में पीएम2.5 का औसत स्तर 2021 के मुकाबले थोड़ा बेहतर रहा।
वहीं एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि 2022-23 की सर्दियों के दौरान पीएम2.5 का स्तर दिल्ली में उच्चतम रहा, जबकि दूसरे शहरों में भी बहुत खराब स्तर दर्ज किया गया।
दिल्ली के बाद कोलकाता और मुंबई सबसे अधिक प्रदूषित हैं, जबकि बेंगलुरू और चेन्नई में हवा की गुणवत्ता सबसे तेजी से खराब हुई। लेकिन 2021-22 की सर्दियों की तुलना में, दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया।
मुंबई में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने एक सात सदस्यीय समिति गठित की है। 1 अप्रैल, 2023 से बीएमसी धूल और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू किया जाएगा और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ब्रह्मपुरम वेस्ट प्लांट में लगी आग से जहरीली हुई कोच्चि की हवा
केरल के कोच्चि में ब्रह्मपुरम वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट में लगी भीषण आग पर 12 दिनों के लगातार प्रयासों के बाद पूरी तरह से काबू पाया जा सका।
12 दिनों की इस आग से कोच्चि की हवा बेहद जहरीली हो चुकी है। आग बुझने के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोच्चि के निवासियों को सावधान रहने की चेतावनी दी है।
हवा में रासायनिक प्रदूषकों के बढ़े हुए स्तर के कारण, गर्मी की पहली बारिश में रासायनिक पदार्थों का स्तर बहुत अधिक हो सकता है। एसिड रेन की संभावना भी जताई गई है।
हवा में रासायनिक प्रदूषण आस-पास के जिलों आलप्पुझा, कोट्टायम और त्रिस्सूर में भी फैल गया है।
राज्य सरकार ने कोच्चि में एक स्वास्थ्य ऑडिट का आदेश दिया है ताकि आग के प्रभावों का पता लगाया जा सके और उन लोगों के लिए विशेष वार्ड और मोबाइल क्लीनिक स्थापित किए जा सकें जिन्हें मेडिकल सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
वायु प्रदूषण से बढ़ता है युवाओं में ‘लॉन्ग कोविड’ का खतरा: शोध
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले युवाओं में लॉन्ग कोविड का खतरा बढ़ जाता है। कोविड की बीमारी ठीक हो जाने के बाद भी यदि लंबे समय तक शरीर में उसके कुछ लक्षण बने रहते हैं तो उसे ‘लॉन्ग कोविड’ कहा जाता है।
लैंसेट रीजनल हेल्थ यूरोप में प्रकाशित इस अध्ययन में 753 ऐसे युवाओं को शामिल किया गया जिन्हें कोविड हो चुका था। ऐसे युवा जिनमें संक्रमण हल्का या मध्यम था, उनमें हर छह में से एक ने लॉन्ग कोविड से पीड़ित होने की सूचना दी।
इन युवाओं में दो महीने या उससे अधिक समय तक रहने वाले लक्षणों में प्रमुख थे सांस की तकलीफ, थकान और गंध या स्वाद में बदलाव।
अध्ययन में पाया गया कि महामारी के पहले जो युवा अधिक प्रदूषित इलाकों में रहते थे, विशेषकर जो ट्रैफिक से होने वाले प्रदूषण के अधिक संपर्क में थे, उनमें इन लक्षणों के होने की संभावना 28 प्रतिशत अधिक थी। खास तौर से सांस की तकलीफ जैसे रेस्पिरेटरी लक्षणों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव और अधिक पाया गया।
दिल्ली का ग्रीन कवर दो दशकों में हुआ दोगुना
केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि दिल्ली में ग्रीन कवर पिछले दो दशकों में दोगुना हो गया है।
भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2021 का हवाला देते हुए सरकार ने न्यायलय को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी का ग्रीन कवर 2001 में 151 वर्ग किमी से बढ़कर 2021 में 342 वर्ग किमी हो गया है। सरकार ने इस वृद्धि का श्रेय ‘कई एजेंसियों द्वारा बड़े पैमाने चलाए गए वृक्षारोपण कार्यक्रमों’ को दिया है।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि राज्य के भौगोलिक क्षेत्र में ग्रीन कवर का हिस्सा 2001 में 10.2 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 23.06 प्रतिशत हो गया।
केंद्र सरकार ने यह हलफनामा राष्ट्रीय राजधानी में खराब वायु गुणवत्ता और प्रदूषण के स्तर पर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दायर किया था।
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