गिरता जलस्तर : देश के बड़े जलाशयों में तेज़ी से घटता पानी चिन्ता का विषय है और यह 2019 के चेन्नई जलसंकट की याद दिला रहा है। फोटो - Down To Earth

ज़बरदस्त हीटवेव और मॉनसून पूर्व बारिश की कमी, देश के 140 बड़े जलाशयों के जलस्तर रिकॉर्ड गिरावट

भारत में चल रही ज़बरदस्त हीटवेव और मॉनसून पूर्व बारिश की भारी कमी के कारण देश के 140 बड़े जलाशयों में पानी काफी घट गया है। सेंट्रल वॉटर कमीशन ने जो आंकड़े जारी किये हैं उनके मुताबिक 17 मार्च के 50% के संचय के मुकाबले 21 अप्रैल को स्टोरेज लेवल 39% तक गिर गया था। यह हर सप्ताह 2-3% की गिरावट के बराबर है। 

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मानसून पूर्व बारिश में (19 अप्रैल तक) ‘बड़ी गिरावट’ दर्ज की गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, कच्छ और सौराष्ट्र में 1 मार्च से कोई बारिश नहीं हुई है जबकि मध्य महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में सामान्य बरसात दर्ज की गई है। केवल 8 ‘सब डिवीज़नों’ में ‘अधिक’ बारिश हुई है। 

फॉरेस्ट फायर से नष्ट होने वाली ज़मीन का क्षेत्रफल पिछले 5 साल में 122 % बढ़ा 

वेबसाइट फैक्ट चेकर ने जंगलों में लग रही आग के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इसके मुताबिक पिछले 5 साल में जनवरी से मार्च के बीच फॉरेस्ट फायर की चपेट में आने वाला क्षेत्रफल 122 % बढ़ा है। साल 2017 में जहां  मिलियन हेक्टेयर आग की ज़द में आया वहीं 2021 में  मिलियन हेक्टेयर में आग में जल गया। 

पिछले साल नवंबर तक सबसे अधिक आग की घटनायें (527) मध्य प्रदेश में हुईं थीं। इसके बाद छत्तीसगढ़ (305), उत्तराखंड(292), ओडिशा (234) और महाराष्ट्र (185) का नंबर है। 

गर्मी बढ़ने से एलर्जी का वक्त और तीव्रता बढ़ रही है  

गर्मी की वजह से फूल जल्दी खिलने लगे हैं और बसंत का अवधि बढ़ गई है। विज्ञान पत्रिका साइंस में छपे शोध के मुताबिक परागण  10 से 40 दिन जल्दी शुरू होता है और 5 से 15 दिन देर तक चलता है। शोधकर्ता कहते हैं कि इस कारण एलर्जी से प्रभावित होने वाले लोगों का कष्ट बढ़ रहा है क्योंकि यह अधिक परेशान कर रही है और ज्यादा दिनों तक होती है। वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से पराग अधिक बन रहा है। शोध बता रहा है कि इससे आने वाले वर्षों में सीज़नल एलर्जी बढ़ेंगी।  

दक्षिण अफ्रीका: मूसलाधार बारिश, बाढ़ से 450 मरे  

मूसलाधार बारिश और बाढ़ से इस महीने दक्षिण अफ्रीका में 450 लोगों की मौत हो गई और हज़ारों बेघर हो गये। यहां तूफान के बाद 48 घंटों में इतनी बारिश हो गई जितनी पूरे साल होती है और राष्ट्रपति साइरल रमाफोसा ने जलवायु परिवर्तन को इसका कारण बताया। साल की शुरुआत से ही देश का यह क्षेत्र कई  चक्रवातों की मार झेल रहा है।  जानकारों का कहना है कि मूलभूत ढांचे का अभाव, संचार प्रणाली का टूट जाना और बड़ी संख्या में अनधिकृत बसावटों के कारण इतनी संख्या में लोगों की मौत हुई है। आईपीसीसी की सह अध्यक्ष डेब्रा रॉबर्ट्स के मुताबिक इस मौसमी मार में गरीब सबसे अधिक प्रभावित हुये हैं। पूरी दुनिया में सीमेंट उत्पादन की 8% क्षमता का कारखाने हमारे देश में ही हैं और इसका ग्राफ ऊपर बढ़ रहा है। 

फर्ज़ी ख़बरें जलवायु परिवर्तन की लड़ाई को कर रही कमज़ोर

गलत सूचनायें और फर्ज़ी ख़बरें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को मुश्किल बनाती हैं।  जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी आकलन रिपोर्ट के तीसरे हिस्से में इस मुद्दे को लेकर चिन्ता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “जलवायु परिवर्तन के कारणों और परिणामों के बारे में गलत सूचनाएं हर जगह मौजूद हैं वो चाहें परंपरागत मीडिया हो या सोशल या नया मीडिया। इससे नुकसान यह हो रहा है कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी का जमीन पर पहुंचना काफी कम हो गया है।” इस बारे में विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है। 

+ posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.