पिछली 7 मई को अलसुबह विशाखापट्टनम में हुये गैस लीक कांड के बाद जो मुकदमा दर्ज किया गया है उसमें दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी पॉलीमर के किसी कर्मचारी का नाम नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एफआईआर में ‘स्टाइरीन’ शब्द का इस्तेमाल भी नहीं किया गया है जबकि पुलिस अधिकारियों ने इस गैस की मौजूदगी के बारे में पुष्टि कर दी थी। हालांकि एफआईआर में लापरवाही और गैर इरादतन हत्या का केस किया है। विशाखापट्टनम में 7 मई की सुबह करीब 3.30 बजे स्टाइरीन गैस लीक होने से 11 लोगों की जान चली गई थी और करीब 800 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिस प्लांट से गैस रिसाव हुआ उसके 800 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को आधी रात को हटाना पड़ा।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नुकसान के लिये कंपनी पर 50 करोड़ रुपये का अंतरिम जुर्माना किया है। डाउन टु अर्थ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक लीक हुई गैस में स्टाइरीन की मात्रा मानकों से 500 गुना अधिक थी। आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि इस मामले में सरकार से रिपोर्ट जमा करने को कहा है और इस कैमिकल लीक कांड का पर्यावरण पर असर जानने के लिये विशेषज्ञों की टीम गठित की है।
हवा साफ हो तो बच सकेंगी 6.5 लाख लोगों की जान
एक नये अध्ययन में कहा गया है कि अगर भारत लॉकडाउन खुलने के बाद भी वायु प्रदूषण का वर्तमान स्तर बरकरार रख पाया तो हर साल 6.5 लाख लोगों की जान बच सकती है। आईआईटी दिल्ली और चीन के विश्वविद्यालयों की साझा रिसर्च में यह बात कही गई है।
लॉकडाउन के बाद पहले 30 दिनों में देखा गया है कि घटे प्रदूषण की वजह से सेहत को ख़तरे में 52% की कमी आई है। इस शोध में 16 मार्च से 14 अप्रैल के बीच देश के 22 शहरों की हवा में PM10 और PM 2.5 के अलावा कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO) नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड (NO2), ओज़ोन (O3) और सल्फर डाइ ऑक्साइड (SO2) के स्तर का अध्ययन किया गया। यह स्टडी एक प्रतिष्ठित साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुई है।
कोरोना से CO2 उत्सर्जन के ग्राफ में होगी सबसे बड़ी गिरावट: IEA
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण दुनिया भर में लागू आर्थिक और सामाजिक लॉकडाउन से बिजली की मांग में 6% गिरावट होगी। इससे CO2 इमीशन में 8% तक गिरावट होगी। इससे पहले 2009 की आर्थिक मंदी के वक्त CO2 इमीशन में 400 मिलियन टन की गिरावट दर्ज की गई थी लेकिन कोरोना के कारण गिरावट इससे 6 गुना अधिक होगी। दुनिया के सभी देशों को औद्योगिक नीतियों पर सलाह देने वाली IEA का कहना है यह बहुत एहतियात के साथ लगाया गया अनुमान है।
कोरोना बढ़ाई UK और यूरोप में साइकिलों की मांग
कोरोना महामारी के कारण उपजे नये हालात में UK और यूरोप में साइकिलों की मांग एकदम बढ़ गई है। फ्रांस में 50 यूरो में साइकिल की मरम्मत की जा रही है ताकि लोगों को साइकिल चलाने के लिये उत्साहित किया जा सके। सोच यह है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी प्रदूषण का स्तर नीचे रखा जा सके। फ्रांस में 2 करोड़ यूरो की योजना के तहत लोगों को साइकिल चलाना भी सिखाया जा रहा है और पार्किंग का भी इंतजाम किया जा रहा है। फ्रांस की मंत्री एलिज़ाबेथ बोर्नी का कहना है कि देश में 60% यात्रायें 5 किलोमीटर से कम हैं। इस बीच UK में लोग संक्रमण के डर से बस और मेट्रो का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। ‘साइकिल टु वर्क’ स्कीम के कारण आपातकालीन सेवाओं में लगे लोगों की और से ऑर्डर्स 200 प्रतिशत का उछाल दर्ज हुआ है। इसके अलावा पूरे UK में साइकिलों की बिक्री बढ़ गई है। सप्ताह में 20-30 साइकिल बेचने वाले स्टोर्स का कहना है वह अब हर हफ्ते 50 से अधिक साइकिलें बेच रहे हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।