कोरोना का असर: IEEFA ने अपनी ताज़ा रिसर्च में कहा है कि कोरोना महामारी के कारण भारत साफ ऊर्जा की ओर अधिक तेज़ी से जल्दी बढ़ेगा | Photo: NS Energy

पहला 24-घंटे-सोलर-सप्लाई का ठेका मिला ReNew पावर को

सौर ऊर्जा क्षेत्र में स्टोरेज के साथ 24-घंटे-सप्लाई (राउंड द क्लॉक पावर सप्लाई) का पहला ठेका री-न्यू पावर कंपनी को मिला है जिसमें बहुराष्ट्रीय निवेशक अमेरिकी गोल्डमैन सेस की पूंजी लगी है।  री-न्यू पावर हरियाणा स्थित कंपनी है और 24-घंटे-सप्लाई के लिये  वह सौर ऊर्जा के अलावा हाइब्रिड (पवन-जल विद्युत) और स्टोरेज का इस्तेमाल कर सकती है।  यह 400 मेगा-वॉट  प्रोजक्ट है और कंपनी ₹ 3.6 प्रति यूनिट की दर से सप्लाई करेगी।

कोरोना महामारी से होगा सौर ऊर्जा का पलड़ा भारी: IEEFA

ऊर्जा क्षेत्र पर नज़र रखने वाली संस्था आईईफा (IEEFA) ने अपनी ताज़ा रिसर्च में कहा है कि कोरोना महामारी के कारण भारत साफ ऊर्जा की ओर अधिक तेज़ी से जल्दी बढ़ेगा। आईईफा (IEEFA) के मुताबिक देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान साफ ऊर्जा (सोलर, विन्ड और मिनी हाइड्रो) प्रदूषण फैलाने वाले कोयले के मुकाबले अधिक भरोसेमंद साबित हुई है। सस्ती साफ ऊर्जा के प्रति रुझान तो महामारी से पहले ही दिख रहा था लेकिन देश में तालाबन्दी के बाद पलड़ा कोयले के मुकाबले साफ ऊर्जा की ओर अधिक झुका है। इसकी वजह यह है कि लॉकडाउन में जिस तरह कोयले की सप्लाई प्रभावित होती है वैसी रुकावट पवन या सौर ऊर्जा उत्पादन में नहीं आती। IEEFA रिपोर्ट यह भी कहती है कि हाल में लगे नये बिजली संयंत्रों से जो भी बिजली वित्त वर्ष 2019-20 में मिली उसमें से दो-तिहाई हिस्सा  साफ ऊर्जा से ही मिला।

बिजली दरों में एकरूपता के लिये नया खाका

देश के सभी राज्यों में बिजली दरों में एकरूपता लाने के लिये केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC) ने  साफ ऊर्जा के लिये एक नई ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की है। इसके लिये अपने सुझाव 28 मई तक दिये जा सकते हैं। नये नियम जुलाई 2020 से मार्च 2023 तक लागू होंगे। ड्राफ्ट पॉलिसी कहती है कि बिजली दरें कई बातों पर निर्भर करेंगी जैसी प्रोजेक्ट में कुल निवेश, कर्ज़ पर ब्याज़, मूल्य ह्रास और रखरखाव का खर्च।  यह नियम उन प्रोजेक्ट्स पर लागू होंगे जहां बिजली दरें राज्य विद्युत विनियामक आयोग (SERCs) तय कर रही हैं। साफ ऊर्जा उत्पादकों का कहना है कि नई नीति लागू होने से राज्य अपने मनमानी कर बार बार नियम नहीं बदल पायेंगे। नई नीति के अनुसार यह देखा जायेगा कि कोई साफ ऊर्जा प्रोजेक्ट किस स्रोत से बिजली बना रहा है। मिनी हाइड्रो, बायोमास आदि के लिये सालाना दरें तय की जायेंगी। सौर, पवन, हाइब्रिड और स्टोरेज प्रोजेक्ट के लिये केस टु केस आधार पर दरें तय होंगी।

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