आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में पिछली 7 मई को हुये गैस लीक कांड के दो महीने बाद मंगलवार को पुलिस ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया जिसमें दक्षिण कोरियाई फर्म एलजी पॉलीमर के सीईओ और दो निदेशक शामिल हैं। गैस कांड की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना कंपनी की लापरवाही से हुई। जांच बताती है कि फैक्ट्री का सुरक्षा अलार्म काम नहीं कर रहा था और अब इसे रिहायशी इलाके से दूर हटाया जाये। जांच में इस दुर्घटना के लिये 21 कारण गिनाये गये हैं जिनमें त्रुटिपूर्ण स्टोरेज डिज़ाइन और चेतावनियों की अनदेखी शामिल है। मैंनेजमेंट को 21 में से 20 वजहों के लिये ज़िम्मेदार पाया गया है। इस गैस लीक में 12 लोगों की जान गई थी और सैकड़ों लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। जांच में कहा गया है कि कंपनी ने सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया।
नया शोध: कहां से आ रहा दिल्ली में वायु प्रदूषण?
एक नये शोध में पता चला है कि कम से कम 3 ऐसे गलियारे हैं जहां से आने वाला प्रदूषण दिल्ली की एयर क्वॉलिटी में बढ़ोतरी करता है। आईआईटी कानपुर और दिल्ली समेत देश-दुनिया के जाने माने संस्थानों ने अपने शोध में प्रदूषण करने वाले 35 कारक बताये हैं जिनमें से 26 दिल्ली की हवा में काफी अधिक मात्रा में हैं। इस शोध के लिये 2018 और 2019 के जाड़ों के दौरान एयर क्वॉलिटी का अध्ययन किया गया और पाया गया कि उत्तर-पश्चिम, उत्तर और उत्तर पूर्व की दिशा से आना वाला प्रदूषण दिल्ली की घुटन को बढ़ाता है।
उत्तर-पश्चिम गलियारे से आना वाला प्रदूषण हरियाणा, पंजाब और पाकिस्तान के इलाकों से है जो अधिकांश क्लोरीन और ब्रोमाइड के कण दिल्ली में आ रहे हैं। उत्तरी गलियारे में प्रमुख रूप से नेपाल और यूपी है जहां से कॉपर, कैडमियम, लेड और सल्फर जैसे प्रदूषकों के कण भारत में आते हैं। तीसरे गलियारे उत्तर-पूर्व का प्रदूषण भी यूपी से ही है जो क्रोमियम, निकिल और मैग्नीज़ के कण दिल्ली में भेज रहा है।
लॉकडाउन से पता चला क्या कदम उठाने हैं ज़रूरी
कोरोना महामारी से लड़ने के लिये लगाये गये लॉकडाइन देश के महानगरों की एयर क्वॉलिटी में काफी सुधार हुआ। निजी कंपनी रेस्पाइरर लिविंग साइंसेज और कार्बन कॉपी ने लॉकडाउन के चार चरणों में औसत एयर क्वॉलिटी का विश्लेषण किया। इसके साथ ही दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बैंगलुरू द्वारा लागू लोकल लॉकडाउन का भी अध्ययन किया गया।
इसमें PM 2.5 और PM 10 जैसे कणों साथ कार्बन मोनो ऑक्साइड, ओज़ोन और बेंज़ीन की प्रदूषण मात्रा को देखा गया। विश्लेषण से पता चलता है कि मात्र 74 दिन के अंतराल में चार महानगरों ने नेशनल क्लीन एय़र प्रोग्राम (NCAP) के तहत तय किये गये लक्ष्यों का 95% हासिल किया। गौरतलब है कि NCAP के तहत तय लक्ष्य 2024 तक पूरे करने हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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