भारत इस साल अगस्त से चीनी सौर उपकरणों के आयात पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 20% बढ़ा सकता है। इस साल 29 जुलाई को वर्तमान 15% सेफगार्ड ड्यूटी का प्रावधान खत्म होगा। सरकार का बेसिक कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से चीन से आने वाले सोलर सेल, मॉड्यूल और इनवर्टर महंगे हो जायेंगे। साफ ऊर्जा मंत्रालय इस बारे में कामर्स मिनिस्ट्री को एक प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि सरकार पहले से हो चुके अनुबंधों पर यह नये बढ़े टैक्स नहीं लगायेगी। चीनी उत्पादों का अपनी कम कीमत के कारण भारत के घरेलू बाज़ार में दबदबा है। इसी वजह से सरकार ने अभी इन उत्पादों पर 15% की सेफगार्ड ड्यूटी लगाई हुई है।
सौर ऊर्जा: 2020 की पहली तिमाही में भारत, अमेरिका और चीन आगे
साल 2020 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने के मामले में चीन और अमरीका के साथ भारत अव्वल देश रहा। चीन ने सबसे अधिक 4 गीगावॉट के सोलर पैनल लगाये। दूसरा नंबर अमेरिका का रहा जिसने 3.6 गीगावॉट सोलर पावर जोड़ी। भारत ने इस बीच कुल 1.1 गीगावॉट के सोलर पैनल लगाये। जहां अमेरिका के लिये यह सौर पहली तिमाही का एक रिकॉर्ड था वहीं साल 2019 की पहली तिमाही के मुकाबले भारत में 43% कम सौर ऊर्जा क्षमता लगी। साल 2016 की आखिरी तिमाही के बाद यह भारत का सबसे निराशाजनक प्रदर्शन था। चीन की सौर ऊर्जा क्षमता के ग्राफ में भी साल 2019 की पहली तिमाही के मुकाबले 1.2 गीगावॉट की गिरावट हुई। जनवर-मार्च 2019 में चीन ने 5.2 गीगावॉट के सोलर पैनल लगाये थे।
सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों को ₹ 94 करोड़ का भुगतान
भुगतान में देरी का निबटारा करते हुए सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन इंडिया (SECI) ने पिछले महीने कंपनियों को कुल $ 1.25 करोड़ (करीब 94 करोड़ रुपये) का भुगतान किया। इसके अलावा कंपनियों को कुल $ 1.38 करोड़ (करीब 103 करोड़ रुपये) जीएसटी रकम भी चुकाई गई। मार्च में साफ ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन और नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन को चेतावनी दी थी कि सौर और पवन ऊर्जा कंपनियों को दो महीने में ये भुगतान किये जायें वरना उन्हें इस पर सरचार्ज देना होगा।
फ्रांस की कंपनी भारत में 2 GW के साफ ऊर्जा संयंत्र लगायेगी
फ्रेंच कंपनी EDF भारत में साल 2022 तक 2 गीगावॉट क्षमता के बराबर सौर और पवन ऊर्जा लगायेगी। “इलेक्ट्रसिटे डि फ्रांस” नाम की लंदन स्थित यह कंपनी भारत के हाइड्रो पावर सेक्टर में भी पैर पसारने की सोच रही है। कंपनी कहती है वह 2030 तक दुनिया भर में स्थापित साफ ऊर्जा की वर्तमान क्षमता (50 GW) से दुगना कर देना चाहती है।
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