लॉकडाउन में मिली आंशिक छूट के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बाकी महानगरों के मुकाबले सबसे अधिक तेज़ी से उछला है। दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरेंमेंट (सीएसई) ने आंकड़ों के आधार पर यह बात कही है। सीएसई की रिपोर्ट कहती है कि 23 मार्च को लॉकडाउन लगाये जाने के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण 80% घट गया था। सीएसई ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता,चेन्नई, हैदराबाद और बंगलुरू में PM 2.5 के स्तर का अध्ययन किया जिससे पता चलता है कि लॉकडाउन के पहले और आखिरी चरण के मुकाबले दिल्ली के प्रदूषण में 4 से 8 गुना बढ़ोतरी हुई है जबकि बाकी शहरों का प्रदूषण 2 से 6 गुना बढ़ा है।
विशाखापट्टनम गैस लीक: दक्षिण कोरियाई कंपनी मौतों के लिये ज़िम्मेदार
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दक्षिण कोरियाई फर्म एल जी पोलीमर्स को विशाखापट्टनम गैस लीक कांड के शिकार 12 लोगों की मौत के लिये “पूरी तरह” ज़िम्मेदार ठहराया है। ट्रिब्यूनल ने इस बारे में जांच के लिये गठित पैनल की रिपोर्ट को उद्धत करते हुए कहा कि कंपनी ने स्टोरेज टैंक की ठीक से देखभाल नहीं की जिसमें अत्यधिक हीटिंग और ऑटो-पोलिमराइज़ेशन के कारण 7 मई को प्लांट से ज़हरीली स्टाइरीन गैस का रिसाव हुआ। कोर्ट ने कहा कि कंपनी द्वारा जमा कराये गये 50 करोड़ से पुनर्निर्माण और पीड़ितों को अंतरिम राहत देने का काम होगा जिसके लिये कोर्ट ने एक पैनल का गठन किया।
दूसरी ओर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि एल जी पोलीमर्स का प्लांट बिना पर्यावरणीय अनुमति के चल रहा था और राज्य सरकार ने उसकी अर्ज़ी अभी स्वीकृति के लिये केंद्र को नहीं भेजी थी। कंपनी ने माना कि 1997 से 2019 तक प्लांट बिना सरकार की अनुमति के चल रहा था।
UK: कोरोना के कहर को वायु प्रदूषण से न जोड़ना “आश्चर्यजनक”
जानकारों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने उस रिपोर्ट की कड़ी आलोचना की है जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय में फैल रहे कोरोना के मामलों का वायु प्रदूषण से कोई रिश्ता नहीं बताया गया है। यह रिपोर्ट पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड रिव्यू (पीएचई) ने छापी है जिसमें कहा गया कि अल्पसंख्यकों में कोरोना का संक्रमण “बहुत अधिक” हुआ लेकिन वायु प्रदूषण से कोई रिश्ता नहीं बताया गया है।
पीएचई द्वारा इस तथ्य की अनदेखी को “आश्चर्यजनक” और “पूरी तरह से गैर-ज़िम्मेदाराना” बताया गया है। जानकारों का कहना है कि धनाड्य लोगों के मुकाबले अल्पसंख्यक सबसे प्रदूषित हवा वाली बस्तियों में रहते हैं और कोरोना का प्रदूषित हवा से क्या रिश्ता है यह पहले ही सिद्ध हो चुका है।
CO2 इमीशन कम करने के लिये EU ने दी कार कंपनियों को चेतावनी
यूरोपियन यूनियन क्लाइमेट एजेंसी का कहना है कि साल 2018 में नई कारों का कार्बन उत्सर्जन लगातार दूसरे साल बढ़ा और SUV कारों की बिक्री बढ़ने से हालात बिगड़े हैं। अब भले ही कोरोना के कारण कार उद्योग को झटका लगा है लेकिन यूरोपियन यूनियन के कार्यकारी आयोग ने कार निर्माताओं से कहा है वह कारों के CO2 इमीशन को इस साल से लागू होने वाले मानकों के हिसाब से कम करें। कंपनियों को 2018 के मुकाबले कारों के उत्सर्जन 27% घटाने होंगे। साल 2020 के लिये रखे गये लक्ष्य के मुताबिक नई कारों के लिये CO2 इमीशन की सीमा 95 ग्राम CO2/ किमी रखी गई है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
2018-2021 के बीच भारत ने देखा मानव-जनित वायु प्रदूषण का सबसे खराब स्तर
-
दिल्ली-गाज़ियाबाद में आठ वर्षों में बेहतर वायु गुणवत्ता सर्वाधिक दिन
-
वायु प्रदूषण से यूरोप में हर साल 1,200 युवाओं की मौत
-
वायु प्रदूषण कम करता है कोविड टीके का असर: शोध
-
वायु प्रदूषण कम कर रहा है ज़िंदगी, दिल्ली में रहना सबसे ख़तरनाक