पर्यावरण आकलन के नये प्रस्तावित नियमों को लेकर पिछले पखवाड़े एक नया विवाद तब खड़ा हुआ एक संसदीय पैनल ने ईआईए ड्राफ्ट- 2020 पर चर्चा शुरू कर दी। साइंस, टेक्नोलॉजी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के मामलों पर बनी इस संसदीय समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता जयराम रमेश हैं जो खुलकर नये प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं। बीजेपी और एनडीए के सांसद इससे नाराज़ हैं क्योंकि वह फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद ही चर्चा चाहते हैं। इन सदस्यों ने यह भी कहा कि ड्राफ्ट अभी हिन्दी भाषा में उपलब्ध नहीं है हालांकि पैनल के अध्यक्ष रमेश ने यह कहकर चर्चा शुरू कर दी है कि कमेटी तुरंत अपनी सिफारिशें नहीं दे रही और इसमें वक्त लगेगा।
ड्राफ्ट EIA-2020: सरकार के मुताबिक प्रावधानों में कुछ ग़लत नहीं
उधर केंद्रीय पर्यावरण सचिव आर पी गुप्ता के मुताबिक ड्राफ्ट ईआईए -2020 के प्रावधानों में परेशान होने वाली कुछ बात नहीं है। सरकार को कुल 2 लाख आपत्तियां और कमेंट मिले हैं लेकिन गुप्ता ने हिन्दुस्तान टाइम्स को दिये इंटरव्यू में साफ कहा है कि पर्यावरण को लेकर व्यक्त की जा रही चिंताओं को उनकी मैरिट के आधार पर सुना जायेगा और नये सिरे से विमर्श की कोई ज़रूरत नहीं है उससे “मुद्दों का नया पिटारा” खुल जायेगा। पर्यावरण सचिव ने कहा कि हर प्रोजेक्ट में पर्यावरण अनुमति के लिये जन सुनवाई की ज़रूरत नहीं है। गुप्ता के मुताबिक किसी भी प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।
संरक्षित जंगलों की 500 हेक्टेयर ज़मीन पर विकास प्रोजेक्ट
नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ ने पिछले साल (2019 में) जंगलों के कुल 481.56 हेक्टेयर संरक्षित इलाके में विकास कार्य शुरु करने की इजाज़त दी। यह बात पर्यावरण कानूनों पर काम करने वाली एक फर्म, लीगल इनीशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड इन्वायरेंमेंट – के विश्लेषण में सामने आयी है। जिस ज़मीन में डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं उस पर वन्य जीव अभ्यारण्य, नेशनल पार्क और कन्जर्वेशन रिज़र्व हैं। बोर्ड ने रेलवे, सिंचाई और खनन के कुल 68 प्रोजेक्ट के लिये संरक्षित वन भूमि पर काम की इजाजत दी है। नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ 1972 में वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत बनाई गई वैधानिक बॉडी है जिसका काम सरकार को नीतिगत योजना और वन्य जीव संरक्षण पर सरकार को सलाह देना है।
वन मंत्री ने दी किसानों को पेड़ लगाने की सलाह
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किसानों से अपनी ज़मीन पर पेड़ लगाने को कहा है, जिन्हें बाद में बेचा जा सके। जावड़ेकर ने राज्यों के वन मंत्रियों के साथ बैठक में ये बात कही। उन्होंने कहा कि हर राज्य अपने एक जंगल में कैम्पा फंड की मदद से जल और पशु-चारा संबंधित प्रोजेक्ट चलाये।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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