प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर एक बार फिर से “वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड” का ज़िक्र किया। इस सोच को पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस की पहली बैठक में ज़ाहिर किया था। इसका मकसद पूरी दुनिया में एक ग्रिड के ज़रिये नॉन स्टॉर सोलर पावर सप्लाई का मिशन है। इस साल जून में रिन्यूएबिल एनर्जी मिनिस्ट्री ने इस आइडिया पर अमल करने के लिये सलाहकारों की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा था। कई जानकार इसे चीन के वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट का जवाब मानते हैं जिसमें चीन 70 से अधिक देशों में निवेश कर रहा है। सरकार ने सलाहकारों की नियुक्ति का प्रस्ताव क्रियान्वित नहीं किया जिसके पीछे कोई साफ वजह नहीं बताई गई हालांकि बिजनेस स्टैंडर्ड अख़बार के मुताबिक कोरोना महामारी इस प्रस्ताव पर अमल न करने के पीछे एक वजह रही। वर्ल्ड बैंक इस प्रोजेक्ट के लिये तकनीकी सहयोग कर रहा है।
ISA: पहला “ऑनलाइन” सम्मेलन 8 सितंबर को
भारत और फ्रांस की साझेदारी से 2015 में लॉन्च हुए इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) की पहली वर्चुअल मीटिंग 8 सितम्बर को होगी। संभावना है कि इस ऑनलाइन वर्ल्ड सोलर टेक्नोलॉजी सम्मेलन में दुनिया की जानी मानी कंपनियों के प्रतिनिधि और नोबेल पुरस्कार पा चुके एक्सपर्ट शामिल होंगे। बड़े संभावित नामों में सॉफ्टबैंक के चीफ एक्सक्यूटिव मासायोशी सोन, टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क और बर्टेंड पिकार्ड हैं जिन्होंने सौर ऊर्जा चालित विमान में दुनिया का चक्कर लगाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऑनलाइन सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
साल 2020 की पहली छमाही में पवन और सौर ऊर्जा ने बनाया रिकॉर्ड
इस साल की पहली छमाही में पूरी दुनिया में उत्पादित कुल बिजली में सौर और पवन ऊर्जा की 10% हिस्सेदारी रही। इस दौर में कोल पावर में गिरावट भी दर्ज हुई लेकिन क्लाइमेट थिंक टैंक एम्बर के मुताबिक पेरिस समझौते के तहत तय किये गये लक्ष्य को हासिल करने के लिये अभी काफी कुछ किया जाना है। यह स्टडी बताती है कि लॉकडाउन के दौरान बिजली की मांग 3% गिरी है लेकिन तब भी कुल बिजली उत्पादन की एक तिहाई कोयला बिजलीघरों से मिली। साल के पहले 6 महीनों में सोलर और विन्ड का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 14% बढ़ा जबकि कोल पावर में इसी दौर में पिछले साल की तुलना में 8.3% की कमी आई। शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित रखने के लिये कोयला बिजली उत्पादन अगले 10 सालों (2030) तक 13% सालाना की दर से लगातार कम होना चाहिये।
पहले से स्वीकृत प्रोजेक्ट को भी देनी पड़ सकती है इम्पोर्ट ड्यूटी
सरकार पहले पास किये जा चुके सोलर पावर प्रोजेक्ट को चीन से उपकरण आयात करने पर इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट से मना कर सकती है। असल में “ग्रैंड फादर क्लॉज” के तहत इन प्रोजेक्ट्स के लिये कंपनियां चीन से आने वाले सामान पर लगने वाले कर में छूट का वादा था। इकॉनोमिक टाइम्स के मुताबिक अगर सरकार यह राहत नहीं देती तो वह प्रोजेक्ट “ख़तरे में पड़ सकते हैं” जिनकी प्लानिंग कम बजट में की गई है।
अख़बार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि वित्त मंत्रालय ने ड्यूटी में छूट से मना कर दिया है लेकिन कहा है कि सरकार कोयला सेस जैसा कोई फॉर्मूला इजाद करेगी ताकि कंपनियां अपना घाटा पूरा कर सकें। ज़ाहिर है आखिरी चोट उपभोक्ता पर ही पड़ेगी।
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