ऊर्जा क्षेत्र पर से जुड़ी दो बड़ी एजेंसियों इरीना (IRENA) और ईफा (IEEFA) के जानकारों का कहना है कि कोरोना की वजह से सोलर पावर की गिरती कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ा। ईफा के विश्लेषकों ने तो यह तक कहा है कि कोरोना के कारण सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना और सस्ता हो गया। ईफा ने यह भी बताया है कि महामारी के कारण बाज़ार में ब्याज की दरें घट गईं जिससे सौर ऊर्जा की दरें और सस्ती हुई। पिछले एक साल में सोलर प्लांट लगाने की कीमत 20% कम हुई है और इसकी वजह से अप्रैल और मई में सोलर ने नये रिकॉर्ड बनाये।
उधर इरीना (IRENA) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में सौर ऊर्जा की दरों में 82% से अधिक गिरावट हुई है। समुद्र तट (onshore) और समंदर के भीतर (offshore) पवनचक्कियों से मिलने वाली बिजली की दरों में 40% और 30% की गिरावट दर्ज हुई है।
साफ ऊर्जा स्टार्ट-अप को बढ़ाने के लिये दो बड़े ग्रुप आये साथ
केलिफोर्निया स्थित गैर लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन न्यू एनर्जी नेक्सस और एक अन्य नॉन प्रॉफिट क्लाइमेट कलेक्टिव ने मिलकर न्यू एनर्जी नेक्कस इंडिया बनाया है। इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया में ऐसे स्टार्ट अप कंपनियों का एक नेटवर्क तैयार करना है जो उद्यमिता और नई सोच के साथ साफ ऊर्जा की दिशा में काम करें।
ये दोनों ग्रुप अपने अनुभव के बूते वैश्विक नेटवर्क को बढ़ाना चाहते हैं ताकि स्टार्ट अप कंपनियां साफ ऊर्जा क्षेत्र में पैर जमा सकें। न्यू एनर्जी नेक्सस ने साल 2016 में आयोजित भारत के पहले सोलर हैकाथॉन के दौरान क्लाइमेट कलेक्टिव से हाथ मिलाया था। तब से दोनों ही संगठन इस क्षेत्र में साथ काम कर रहे हैं।
खाली ज़मीन पर रेलवे लगायेगी 3,000 मेगावॉट के सोलर पैनल
लॉकडाउन के दौरान अपनी खस्ताहाल सेवाओं के लिये आलोचना का केंद्र बनी रेलवे का कहना है कि वह खाली पड़ी ज़मीन पर 3,000 मेगावॉट क्षमता के सोलर पैनल खड़े करेगी। बजट में सरकार ने रेल की पटरियों के साथ-साथ सोलर पावर का नेटवर्क खड़ा करने की बात कही थी। रेलवे यह काम एक-एक हज़ार मेगावॉट के 3 चरणों में पूरा करेगी। पहला और तीसरा चरण पब्लिक-प्राइवेट साझेदारी के तहत होगा। सरकारी कंपनी रेलवे एनर्जी मैनेजमैंट कंपनी लिमिटेड टेंडर निकालने, निरीक्षण और बिजली सप्लाई के लिये ज़िम्मेदार होगी। रेलवे ट्रैक्स की कुल लम्बाई करीब 1,25000 किलोमीटर है और इसे प्रतिवर्ष 1200 करोड़ यूनिट बिजली चाहिये होती है। रेलवे का लक्ष्य है कि वह साल 2030 तक कार्बन न्यूट्रल हो जाये।
अडानी ग्रीन लगायेगी 8,000 मेगावॉट का सोलर प्लांट
अडानी ग्रीन ने कहा है कि उसने 8,000 मेगावॉट का सोलर प्लांट लगाने के लिये एक सरकार के साथ अनुबंध किया है। यह प्रोजेक्ट 600 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी करीब 45,000 करोड़ रुपये का होगा। कंपनी का कहना है कि वह देश के अलग अलग हिस्सों में साल 2022 तक 2,000 मेगावॉट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगा लेगी और बाकी काम 2025 तक पूरा होगा। इस ऐलान के साथ कंपनी के शेयर में 5% (करीब 300 रुपये) का उछाल आ गया।
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